रविवार, 27 दिसंबर 2009

जंगल कोठा का हिट मन्तर-इस्तेमाल करके देखो!

आज म्हारी बात कुलवंत हैप्पी जी ते हो रही थी तो वो बोल्या के भाई साब कई दिन होग्या थमने हरियाणी में कुछ  लिखे, एक आध पोस्ट लिख ही मारो, फेर मन्ने सोच्या के इब छोटे भाई की बात मानणी ही पड़ेगी. क्यूँ के म्हारे देश में छोटे भाईयों का भी ऊँचा ओहदा होया करे सै, अगर उसकी बात मान ले जब, नही तो ये छोटे जब खोटे हो ज्यां तो बड़ी-बड़ी लड़ाई भी भी हरवा दियां करें और थमने रावण और विभीषण वाली कहाणी तो सुण ही रक्खी सै. सारी लंका का नाश हो ग्या था. क्यूँ के रावण नै छोटे भाई की बात की तरफ ध्यान नहीं दिया और अपणी जिद के कारण हार करवा ली. एक कहावत भी बणी सै "क्षमा बडन को चाहिए छोटन को उत्पात" तो भाई मन्ने भी सोच्या के, बड़ा सूं तो राम का रोल तो करणा ही पड़ेगा नहीं तो फेर थम तो खुद समझदार सो के होगा?
 सरकार नै एक कानून बणा दिया के गांव में घरां में जंगल कोठा (लैट्रिन) होणा चाहिए. इब बाहर कोई जंगल नहीं जावैगा. बाहर जंगल जाण के कई नुकसान दिक्खे सरकार नै. सरकार नै देख्या के देश में लोग पढ़ लिख तो खूब रहए सें  पण लेखकां, साहित्यकारां और चिंतकां की बड़ी कमी हो रही सै. जिसके कारण देश और प्रदेश के विकास में बड़ी रूकावट खड़ी होगी सै. सरकार का सारा ही काम इन पै ही टिका हुआ सै. एक हिसाब सै तो इनका काळ ही पड़ ग्या.
इसका कारण ढूंढ़या गया तो बेरा पाट्या पहले तो पेड़ पौधों के जंगल थे. गांव के बाहर बणी होया करती, लोग आराम से जंगल हो आया करते, ब्रम्ह मुहूरत मै उठ कै जंगल मै रोज चिंतन करया करते थे. शांति के कारण नए-नए विचार दिमाग मै उमड़ते-घुमड़ते रहते. रोज कोई ना कोई राग- रागणी जनम ले लिया करते. जो सरकारी करमचारी थे, वे भी जंगल मै परजा की भलाई की नयी-नयी योजना सोच कै सरकार कै सामने धर दिया करते. सरकार नै भी लोक कल्याण करने के लिए योजना तैयार मिल्या करती. मंतरी और मुखमंतरी अपणा अंगूठा टेक कै झट उसने लागु कर देते.
इब गांवां की सारी बणी कट गई. बणीयों की जगहां बड़े-बड़े मॉल बणगे, जंगल नहीं रहे. लोगां नै अपने खेतां मै प्लाट काट लिए, कालोनी बसगी. चारुं तरफ कंक्रीट के जंगल होगे. इब जंगल जाण की समस्या होगी. तावळ-तावळ (जल्दी-जल्दी) मै मुंह अँधेरे जंगल करो और भाज ल्यो. कदे कोई देख ना ले, इस तावळ के कारण कई बीमारी पैदा होगी. लोगां का पेट ख़राब रहण लाग ग्या, कबज, अपच, बवासीर और भी तरह-तरह की बीमारी होवण लाग गी. सरकारी विकास मै रोड़े अटक गे. इब पेट में रोड़े अटक गे तो फेर पेट ही उमड़े घुमड़े गा, विचार किस तरियां आवेंगे? कित से  राग रागणी निकलेगी? किस्से - कहाणी, चिंतन कहाँ से निकलेंगे? पहले पेट का मलबा तो निकले. यो ही हाल सारे सरकारी कर्मचारियों का हो ग्या. सारा दफ्तर ही एक कार्बन डाईआक्साईड चैंबर बण गया चारू तरफ यो समस्या ही गंभीर होयगी.
इब समस्या ने देख कै यो कानून  बणाया के घर-घर मै जंगल कोठा होणा चाहिए. क्यूँ के जंगल ही सरकार के लिए बहुत बड़ी समस्या बणगे थे. इसका तोड़ जंगल कोठा ही था. जिसमे माणस आराम से अखबार, मोबाइल, चाय पाणी लेके बैठे और निश्चिन्त होके चिंतन करे. जंगल कोठा योजना तै  सरकार की सारी समस्या हल होगी और दफ्तर का हाल भी सुधर गया. साहित्कार और चिंतकां की भीड़ लाग गई. ब्लॉग पै भी बतावें सै पंद्रह हजार ब्लोग्गर आगे. सरकार की योजना रंग लाई, विकास के काम धड़ धड शुरू होगे. जंगल कोठा योजना नै तो सारा रोग ही काट दिया. 
जंगल कोठा शहरों मै तो पहले ही बण ग्या था. इसका महत्तम मन्ने भी देर ते समझ मै आया, पण जब समझ में आया तो भाईयों अपणी भी बल्ले बल्ले होयगी. मैं तो कवि जन्म ते बण गया था. मेरी भुआ बताया करती, जब मन्ने जनम लिया तो होते ही सुर मै है रोया था और लगातार दो तीन घंटे तो डटा ही नहीं, आज भी एकाध बर अगर कोई माईक थमा दे तो जब तक पब्लिक माथा नहीं पिटे तब या अपणी पीटण की नौबत नहीं आ जा तब तक मेरा ताई माईक नहीं छूटे.
कविता तो मै सकुल का टैम तै लिखे करता. अखबारों में भेज्या करता. लिख लिख खूब कागज काले करे. एक संपादक नै मेरी गैल साजिश करी और मेरी एक कविता छाप दी. फेर तो मै घोषित कवि बण ग्या. फेर तो रोज लिख-लिख के कविता भेजता. इब उनकी खबर आई के पता लिखा और टिकिट लगा एक खाली लिफाफा भी साथ भेजें नहीं तो आपकी कविता की कोई गारंटी नहीं है.एक संपादक नै लिख कै भेज्या" आपकी कविता बहुत ही अच्छी है. बहुत अच्छा भाव है हम आपकी कविता का उपयोग नहीं कर कर पा रहे हैं, हम खेद सहित कहते हैं आप भव बनाये रखे एवं इस कविता का अन्यत्र उपयोग करने के लिए स्वतंत्र हैं." इब थम ही बताओ कविता भी म्हारी और ये ऊत हमने ही स्वतंत्रता दे रहे सै. कविता छापनी बंद कर दी और हमने भी लिखना बंद कर दिया.
एक दिन मेरे एक मित्तर नै जंगल कोठा के महत्तम बारे मे बताया. मन्ने यूँ ही मजाक में ले लिया. पण एक दिन मैं अख़बार ले के जंगल कोठा मै गया हुआ था तो मेरे दिमाग मैं एक कविता की लहर उठी, मन्ने पेन और पैड जंगल कोठा मै ही रख लिया था.तो सीधी ही लिख मारी और एक नामी पत्रिका में भेज दी, के बताऊ भाई मेरे कविता परमुखता से छापी गई और मेरा गुण-गाण भी करया के बड़ी ऊँचे स्तर की कविता लिखते हैं. इसी तरह विषयों पर पकड रही तो देश के बड़े बड़े कवियों में नाम शुमार होगा. तो मन्ने जंगल कोठा का यो चमत्कार देख्या. मेरी कविता हिट हो गई.
मन्ने यो बात अपणे साहित्यकार दोस्त तै बताई तो वो बोल्या "इब तो मेरी बात का बिस्वास होया!"  जद तो तन्ने समझ मै नहीं आया, यो जितने भी बड़े - बड़े आदमी सै सारे ही जंगल कोठा मैं अपणे सोच का छौंक लगाया करे, इस बात का मन्ने पहले तै ही पता था. इब मेरी समझ मै आ ग्या था के जितने भी छापण वाले संपादक सै सारे ही जंगल कोठा कै चिन्तक सै. तो भाईयों इस समस्या का मन्ने भी तोड़ पा गया और सरकार नै भी. आज मेरी कविता और कहाणी बिदेशा मैं भी पढ़ी जा रही सै. जंगल कोठा कै चिंतन नै मन्ने भी हिट कर दिया. जब से लेके आज तक मन्ने सारे कागज जंगल कोठा मै ही काले करे.
इब ब्लोगिंग शुरू कर दी. कई दिन यूँ ही खाली निकल गे. कोई मेरा ब्लॉग पढ़ण नहीं आया . मन्ने इसका भी तोड़ ढूंढ़या और पाया. सूबे-सूबे उठ कै अपणा लैपटॉप ले कै जंगल कोठा मै कमोड पै बैठ कै ही पोस्ट करया करूँ. बस पोस्ट करता ही एक घंटा मै दस-पंद्रह कमेन्ट आ जाया करे और आत्मा नै तसल्ली मिल  जा सै. मैं अपणी पोस्ट भी उस टैम मै लगाया करूँ जद म्हारे सारे ब्लोगर अपणे-अपणे लैपटॉप ले के जंगल कोठा मै ही मिले सै. तो भाई मन्ने इनकी दुखती रग पकड़ रक्खी सै. अगर थमने भी कविता-कहाणी, व्यंग्य और पोस्ट हिट करनी सै तो जंगल कोठा का ही मंतर इस्तेमाल करो ओर हिट हो जाओ. मैं यो आप बीती भी जंगल कोठा तै ही पोस्ट कर रह्या सूं ... 

ललित शर्मा         

गुरुवार, 3 दिसंबर 2009

" हट जा ताऊ पाच्छे नै दारू पिवण दे जी भर के नै"

यो ले  भाई,बात या थी के जित भी जाओ उत ताऊओ की ही चर्चा हो री सै,  मन्ने भी सोच्या साँझ का टैम सै जरा थोड़ी देर कनाट प्लेस के चक्कर काट आऊं, रीगल-रिवोली कने थोड़ी देर आंख भी सेक ल्यांगे और एकाध ओल्ड मंक का अद्धा भी ले ल्यांगे, आज जाड़ा घणा हो रह्या सै, मैं पंहुचा ही था तो म्हारे फौजी ताऊ मनफूल सिंग  सामने  दिक्खे  में तो बावला हो गया जी , अरे भाई  ताऊ जी अडे पहले ही पहुच गये, मन्ने तो बताया भी कोणी, और यो भी उरे ही सुवाद ले रहया सै. ताऊ बेटे का नाता म्हारे हरियाणे में बड़ा ही मशहूर  होया करे। बाज्जे वालों ने गाणा भी बना दिया - "हट जा ताऊ पाच्छे नै नाचण  दे जी भरके नै" तो बात या सै के पुरे हरियाणा के छोरे इस ताऊ तै ही दुखी हो रहे सै । ना खान दे ,ना पीने दे , ना नाचण दे, किसी णा किसी रूप मैं बैरी हर जगां पा जा सै, अपणा लट्ठ हमेशा ही ताणे राखे सै बैरी, जद ही मै कहूँ सूं के  ताऊ इब जमाना बदल गया, छोरों के साथ नाच्चो कुद्दो मौज मनाओ। ज्यादा परेसान करोगे तो चाँद मोहम्मद ने रास्ता तो काढ ही दिया सै। आगले का बाप्पू और दुखी सै । इसी फिजा लाया के पुरे खानदान की ही फिजा ख़राब करके धर दी । तो दुनिया के जितने भी बड़े-बड़े ताऊ जी सै, ईणने  यो ही सलाह सै के इब मान भी जाओ । और छोरों ने नाचण  दयो, कूदण दयो, मजे लेण दयो ,इब छोरों ने नया गाना और बना लिया " हट जा ताऊ पाच्छे नै दारू पिवण दे जी भर के नै" 
एक बात तो में बतानी भूल ही रह्या था। कुछ दिन पहले मै ट्रेन में आ रह्या था । मेरे सामने वाली बर्थ पे दो लुगाई थी और एक छोट्टा बच्चा था, दिल्ली तै गाड्डी चाल्ली । आगरा में ओर पेसेंजर चढ़े , उनकी सीट पे जगां देख के बैठ गे । बोल्ले आगले टेसण  तक जाणा सै । फेर आगले टेसण  पे दूसरी सवारी भी चढ़ गी ,उनने भी आगले टेसण तक जाणा था। जब आगले टेसण  पे सीट  खाली हुयी तो में बोल्यो "माता जी आप अडे सो जाओ नही तो फेर कोई और बैठ जा गा । तो वा बोली " तन्ने मैं  माताजी लाग्गू सूं ? तेरे ते कोई एक दो साल मेरी उम्र छोटी ही होगी। " मेरे तो जवाब सुण सांप सुंघ गया, काटो तो खून नही। मेरे ते रह्या नही गया "क्यूँ के बोले बिना रह नही सकता हरियाणे की इज्जत का सवाल था"  तो मन्ने पूछा "ये छोटा बच्चा आपका पोता है के दोहिता? वा बोल्ली  "दोहिता", मैं बोल्या "फेर तो हकीकत में मेरी उम्र आपसे बड़ी है। इससे बड़ा तो मेरा पडपोता सै ।" फेर वा बोल्ली " पण इतनी उम्र तो नहीं लगती आपकी" मै बोल्या " मैं जवान रहने वाली गोलियां खाता हूँ, तो बोल्ली " कहाँ मिलती है? मै बोल्या " के तूं भी लेगी", वो बोल्ली " ना ऐसे ही पूछ रही थी. तो मै बोल्या " फेर क्यूँ फालतू बावली हो रही सै," जिस गांव नहीं जाणा उसका रास्ता क्यूँ पूछना, नूये मजे ले,
तो ताऊ जी बड़ा खराब जमाना आ गया सै। जीजी  कह दो जीजा जी मुफ्त में लो, भुआ कह दो फूफा साथ में मुफ्त में लो और अगर फूफा हो ही गया तो सारे रास्ते फेर उसकी सेवा करो, उसका हुक्का-चिलम भर के लाओ
आख़िर में "लुहार" नै उसका यो ही तोड़ पाया के "मैडम" बोलो और आनन्द में रहो।


(और भाई कोई सलाह देनी तो मेरा घर का किवाड़ २४ घंटे खुल्ला सै। क्यूँ के बंद किवाड़ तो बाल-बच्चेदारों के ही मिलगे देश की जनसँख्या जो बढाणी से )



आपका 
रमलू लुहार

शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2009

फोटू देख के फँसणा ना कोय-फौजी ताऊ मनफूल सिंग

बात यूँ हुई के म्हारे ताऊजी के छोरे का ब्याह था। तैयारी बड़ी जोर-शोर ते चल रही थी। एक दिन ताऊ मेरे धोरे आए ओर बोल्ले- एँ रे रमलू तन्ने बेरा कोणी के राधे का ब्याह आखा तीज का मांड राख्या सै। तूं अडे आडा पड्या सै। चाल मेरे साथ घोडी करण चालना सै। मन्ने मन ही मन में सोच्या वाह रे ताऊ मेरे ब्याह में तो झोट्टा (भैसा) तक ल्याण ने कोन्या था इब अपने पूत के ब्याह में घोडी ढूंढे सै । चालो ताऊ जी बोल के मै तयार होग्या। दोनु जणे मोटरसायकिल पै बैठ के शहर चाल पडे। मेरे धोरे बुलेट मोटरसायकल थी। उसमे थोडी खराबी आ रक्खी थी। चालते-चालते मोटर सायकल मिसफायर करया करती। मेरे मन में आज ताऊ की परेड कराण की मन में आयगी। मै ताऊ ते बोल्या - ताऊ इस मोटर सायकल में माडी सी खराबी आ री सै। या जब गर्म हो जा सै । तो इसके इंजन में बम सा पाटे सै, इसी बात होगी तो मै गाड़ी रोकूंगा ओर तू उतर के भाज लिए। ब्याह का टैम सै । किते चोट - फेट लाग गी तो लोग सोचेंगे , के ताऊ दारू पीके पड़ मरया मुफ्त में बदनामी होगी, ताऊ बोल्या- ठीक सै। थोडी देर बाद गाड्डी ने मिसफायर करया मन्ने झट ब्रेक लाया ओर गाड्डी पटक के भाज लिया, आगे -आगे मै, पीछे -पीछे धोती की लाँग पकडे-पकडे ताऊ। मै एक किलोमीटर भाज्या होऊंगा। ताऊ की हालत ख़राब, बोल्या- मन्ने बेरा होता तो बस ते ही आ जाता। माटी ख़राब तो नही होती। मै बोल्या- ताऊ इब न होवे, चाल बैठ ले । हम शहर पहुँच गे ।इब आगे की कहाणी सुण ल्यो। हम घोडी आले के पंहुचे , उसने क्या इक्यावंसो लूँगा ,ताऊ मोल-भावः करण लाग्या तो घोडी आला बोल्या देख ताऊ आखातीज का सावा सै। तेरी समझ में आवे तो दे बयाना घोडी टैम ते तेरे घर पहुँच जायेगी। तो ताऊ बोल्या पहले घोडी दिखा। तो घोडी आले ने बताया के घोडी तो ब्याह में जा रही सै। उसकी फोटो दिखा सकूँ सुं। घोडी वाले ने फोटो दिखाई घोडी धोले-चिट्टे (सफ़ेद) रंग की तगडी जानदार थी। ताऊ ने फोटू देख के बयाना दे दिया। हम घर आ गे।आखातीज का दिन भी आगया , निकासी की तयारी हो ली थी । बच्चे चिल्लाने लगे "घोडी आगी-घोडी आगी" मन्ने बाहर निकल के देख्या तो घोडी तो मेरा मटा खूब सजा कै लाया था। घोडी पै दूल्हा बैठ गया निकासी चालु हो गई। गाम का चक्कर काट लिया। जब दूल्हा घोडी ते उतरया तो कूद के घोडी पे एक छोरा चढ़ गया। चढ़ते ही उसे एड लगाईं, लगते ही घोडी बेहोस हो के पड़ गयी. घोडी वाले ने रोला मचाना (चिल्लाना) शुरू कर दिया- मेरी घोडी मार दई-मेरी घोडी मार दई, इतनी देर म्हारा सरपंच आया बोल्या के रोला मचा रख्या सै। घोडी वाले ने सारा किस्सा बताना,सरपंच ने घोडी के ऊपर का कपडे का श्रृंगार हटवाया और घोडी के कान में एक फूंक मारी घोडी उठ के खड़ी होगी, ताऊ भी खड़े होके देख रह्या था. उसने देख्या के घोडी के तो बाल भी उडोडे थे, घोडी तो एक दम बूढी थी. ताऊ का छोह (गुस्सा) सातवें आसमान पे था. उसने कहा- के साले ठगी करता है. जो घोडी तुने बताई थी ये वो नहीं है. घोडी वाला बोला" मन्ने घोडी ना दिखाई उसकी फोटू दिखाई थी. ताऊ बोले वो तो जवान ठाडी गोदी की फोटू थी और ये बूढी फूस पड़ी है. घोडी वाला बोला ताऊ मै झूठ नहीं बोलता घोडी वाही सै. पण थोडा सा फर्क यो सै के जो फोटू मन्ने दिखाई थी वो "इसकी जवानी की थी." ताऊ के साथ तो चाला हो गया.जवान की फोटू दिखा कै बूढी घोडी थमा दी. 

यो तो थी ताऊ के साथ धोखाधडी की बात,एक नया किस्सा सुण...................म्हारे सरपंच का छोरा फुलसिंग कॉलेज में पढ़े सै। होया नु के आज कल कम्पूटर पे इंटरनेट से दोस्ती-दोस्ती खेलने का काम चल रह्या सै। उसने उसमे भी भाग लिया.गांव का छोरा तो था ही.उसने ऑरकुट में अपनी पिछाण बनाई. जैसे ही ऑरकुट का पन्ना खुल्या उसने एक सोणी सी छोरी की फोटू दिखी. उसने उसके बारे में जानकारी लेने की कोशिश करी,लेकिन बात तो नु थी ना पहले दोस्त बनो फेर फोटू दिखेगी उसने दोस्ती का हाथ बढा दिया. उस छोरी ने दोस्ती कबूल कर ली. जब छोरे ने उसकी फोटू का अलबम खोल्या तो उसमे उसके बेटे के ब्याह की और उसके पोते के कुआ पूजन की फोटू थी. बेचारा फुलसिंग "फूल" बन गया. तो इस तरह के धोखे देने वाले तो पग-पग पे मिले हैं. लुहार ने इसका तोड़ यो पाया के भाई सौदा अपनी आँख के सामने देख के करो नहीं फेर थारी भी निकासी रूंग (बाल) उडी घोडी पे ही निकलेगी.

सबने लुहार की राम-राम,मेरी सलाह अच्छी लागी हो तो भाई एकाध कार्ड इंटरनेट पे लिख दियो।इससे मुझे पता चल जायेगा के भाइयों का प्यार म्हारी खातिर भी सै.





आपका



रमलू लुहार 

(फोटो गूगल से साभार)

गुरुवार, 29 अक्तूबर 2009

टिप्पणियाँ मोडरेशन से प्रकाशन के बाद कहाँ गायब हो जाती हैं-कोई तो बताये

एक प्रश्न मेंरे दिमाग में कई दिन से घूम रहा है कि मोडरेशन से प्रकाशित करने के बाद टिप्पणियाँ ब्लॉग पर दिखती नहीं हैं, कहीं इस रास्ते में  ही बीच में गायब हो जाती है, मै इससे अचम्भित हूँ, कई बार ऐसा हो चूका है. लेकिन मुझे इस समस्या का समाधान नहीं मिला, अभी "शिल्पकार के मुख से " ब्लॉग पर समीर भाई ने मेरी गजल प्रकाशित होते ही पहली टिप्पणी की थी मैंने उसे प्रकाशित किया और वह ब्लॉग पर नहीं दिख रही है, बीच में ही कहीं "उड़ने वाली स्याही" की तरह गायब हो गई, दूसरी टिप्पणी  अभी गिरिजेश राव  जी की आई वो प्रकाशित हो गयी है. पहले भी ऐसा कई बार हो चूका है.उस समय तो मैंने ध्यान नही दिया, आज मुझे ये गंभीर बीमारी लगी. इस लिए आप लोगों से पूछने के लिए एक पोस्ट लिखने के लिए मजबूर होना पड़ा है, कृपया किसी को मालूम हो तो मुझ जिज्ञासु की जिज्ञासा शांत करने की कृपा करे.

गुरुवार, 22 अक्तूबर 2009

मैंने तो हार के भी बहुत कुछ पाया सै- फौजी ताऊ मनफूल सिंग का कहणा

आज ताऊ की किस्मत का फैसला होणे वाला सै. आज ताऊ के वोटों की गिनती होगी. तडके ते ही ताऊ, रमलू, बनवारी, रामेषर, शिम्भू. भोला, चन्दरु, कमली, राधे, चुन्नू, चौधरी, सारे मतगणना स्थल पै पहुँच गए. भाई जब इतनी मेहनत करी सै इलेक्शन में तो वोट गिणन जाणा ही पड़ेगा. सारे अपने "जुगाड़" पे बैठ के चल पड़े.
ताऊ-"के होगा रमलू?"
रमलू-"ठीक ही होगा ताऊ. आपां इलेक्शन जितांगे"
"यार मन्ने तो कुछ गड़-बड लागे सै"
"क्यूँ"
"वो मनी राम सै ना! सुसरे ने घणे ही रुपये बांटे सै."
"कोई बात ना ताऊ. जो होगा देख्या जायेगा" शिम्भू  बोल्या
वोटां की गिनती चालू होयगी. ताऊ तो सारे राउंड मै मनी राम ते पीछे चल रह्या सै. आखरी राउंड में ताऊ मनी राम से ८३४५ वोटों से हार गया.
ताऊ बोल्या"चालो भाई लोगो-घर चालो"
"यो किस तरह हो गया ताऊ हमने तो समझ में ही नहीं आया"शिम्भू 
"होना के था इब चौपाल में ही चल के बात करेंगे" ताऊ बोल्या
सारे चौपाल में पहुचे, देख्या तो पूरा गांव इक्कट्ठा हो रह्या था. सबके मुह उतरे हुए थे. जैसे कोई घणा बड़ा शोक का काम हो गया. ताऊ नै सबसे पहले उनसे कहा कि" भाईयों! आप इस तरह किस चीज का शोक मना रहे हो? अरे भाई!दो लडेंगे तो एक ही जीतेगा. दोनों नहीं जीतते. और मेरे धोरे तो कुछ था ही नहीं खोने के लिए. मैंने तो हार के भी बहुत कुछ पाया सै. वो दुनिया की सबसे कीमती  चीज सै "आपका प्यार". आपने मन्ने जीताने में कोई कसर नहीं छोड़ी. मनी राम नै मुझे हराने में कोई कसर नहीं छोड़ी वो जीत गया. भाई उसने तो एक रात मैं ही तख्ता पलट दिया, इतने नोट बांटे के सारे गांव नोटों से भर दिये. और पैसा भी ऐसी चीज है बड़ों बड़ों का इमाण ख़राब कर दे सै. इसमें किसी की को गलती नहीं सै. मैं पैसे से कमजोर था. मेरे धोरे तो सिर्फ लोगों का प्यार था देने के लिए. फेर मैं ठहरा फौजी, सारी चीजें और विरोधियों के ओछे हथकंडे मैं समझ नहीं पाया. क्यूँ की!हमने तो छल करना सिख्या ही नही. जब तक हमारे देश में इलेक्शन मे रुपयों से वोट ख़रीदे जायेंगे तब तक हमारे जैसे लोग हारते ही रहेंगे. इब इस देश पे राज पैसे वाले  ही कर सकते हैं. सारे ही करोड़ पति-अरब पति खड़े थे. सिर्फ मैं ही ऐसा था जिसके पास पैसे नहीं थे. वो तो आप लोगों का साहस और हिम्मत थी के मैं इलेक्सन लड़ गया. कुल मिला के मेरी जीत चोरी हो गई, मनी राम नै मेरी जीत चुरा ली. कोई बात नहीं, इब आगे और इलेक्शन आवेगा. और लड़ लेंगे. इब यो तो पता चल गया कुण से वोट बीकन वाले सै, भाई हमारी लोकप्रियता में तो कोई कमी नहीं थी, बस वोट ही नहीं पड़े.
"ताऊ एक बात बताऊँ- " मधु लिमये गोवा मुक्ति आन्दोंलन में गोवा की जेल में बंद थे. उनको जब जेल से छोड्या गया तो गोवा ते बम्बई तक सड़क के दोनों तरफ लगभग २० लाख लोगों ने उनका सुवागत किया था, जब मुंबई से इलेक्शन लड्या तो ८०० वोट मिले थे. वो भी बहुत परसिद्ध आदमी थे पर उनकी प्रसिद्धि वोट में नहीं बदल सकी. यो तो मजबूत लीडर के होता ही है." रमलू बोल्या.
ताऊ बोल्या-" भाइयों इस चुनाव में जिसने भी मुझे वोट दिये ,मेरी सहायता करी, उन सबका मै धन्यवाद करू सूं, इब आराम करण दयो, बाकी बात बाद में करेंगे. आप सबने मेरी राम-राम,



आपका 
रमलू लुहार


 

बुधवार, 21 अक्तूबर 2009

महर्षि चरक एवं चरक संहिता-१३,दूध के प्रकार एवं उसके गुण

रमलू बोल्या- ताऊ एक बात बताऊँ 
ताऊ - बता रमलू
"वो ललित वाणी पे चरक संहिता का प्रवचन चाल रह्या सै, एक दिन अपनी चौपाल पे भी करवा दे, क्यूँ की हरियाणे में दूध,दही, घी का ही तो मामला सै"
"हाँ  यो तो घणी सुथरी बात कही, चाल बुला पंडत जी, ओर करा दे."
"तो आज शाम की चौपाल में पक्की -दूध पे प्रवचन होगा"
तो भाई लोगो सुण ल्यो आज ताऊ कि विशेष मांग पे चरक संहिता का एक प्रवचन चौपाल पे सै, लाभ उठाओ"

गतांक से आगे...................
अत: क्षिराणी वक्ष्यन्ते कर्म चैवां गुणाश्च ये
अविक्षीरमजाक्षीरं गोक्षीरम माहिषम च यत.(११५)
दूधों के गुण - अब दूधों का वर्णन किया जायेगा.उनके कार्य उपयोग एवं गुण कहे जायेंगे.
दूध के प्रकार
  • भेड़ का दूध
  • बकरी का दूध
  • गौ का दूध
  • भैंस का दूध
  • ऊंटनी का दूध
  • हस्तिनी का दूध
  • घोडी का दूध
  • मानवी (नारी) का दूध
दूध के सामान्य गुण - दूध प्राय: मधुर, स्निग्ध(चिकना), शीत, स्तन्य(स्तनों में दूध बढ़ाने वाला), प्रीमण तृप्त करने वाला, वृहण (मांस बढ़ाने वाला) वृष्य (वीर्य वर्धक रति शक्ति बढ़ाने वाला) मेध्य, मेधा बुद्धिवर्धक, बलवर्धक, मनश्कर(मन को प्रशन्न करने वाला) जीवन शक्ति वर्धक, थकावट दूर करने वाला, रक्त पित्त का नाश करता है.विहत (चोट घाव) और चोट के कारण टूटी हड्डी को भी जोड़ने वाला है. सब प्राणियों के धातु के अनूकूल पड़ता है.दोषों को शांत करता है, मलों का शोधन करता है. प्यास को बुझाता है. मन्दाग्नि को तीव्र करता है. दुर्बलता एवं घाव लगने पर श्रेष्ठ है. पांडू रोग अम्ल पित्त शोष (सूखा), गुल्म( पेट आदि में गांठ बढ़ जाना) तथा उदर रोग, अतिसार(पतले दस्त आना), ज्वर, दाह, सोजन, इनमे दूध को ही पथ्य कहा गया है.
योनी के दोष, वीर्य के दोष, मूत्र के रोग. प्रदर के रोग, मल की गांठें (सुदे) पड़ जाने पर, वात एवं पित्त रोगियों को दूध पथ्य है. नस्य (नाक से लेने), लेप करने, स्नान करने, वमन, और आस्थापन(निरुह वस्ति लेने), विरेचन और स्नेहन लेने आदि प्राय: सब कार्यों में दूध का उपयोग किया जाता है. इनके पान करने के गुण विस्तार में आगे कहेंगे. प्राय: सभी दूध मधुर हैं. ऊंटनी का दूध कुछ नमकीन होता है, बकरी का दूध कसैला होता है, ऊंट का दूध कुछ रूखा और गरम होता है.मनस्कर अर्थात प्रभाव में ओज बढ़ाने से  मन का सामर्थ्य बढ़ जाता है. रक्त पित्त में बकरी के दूध को पॉँच गुना पानी में देने का विधान है.

भाइयों थमने यो किसा लाग्या प्रवचन,बतईयों

आपने रमलू लुहार की राम-राम 

शनिवार, 17 अक्तूबर 2009

फौजी ताऊ मनफूल सिंग की टैंकर भर -भर के दीवाली की बधाई!!!!




इलेक्शन का काम ख़तम होया, घणी मारा मारी थी. इब दीवाली आगी,
ताऊ बोल्या-"रमलू इलेक्शन का काम तो ख़तम हो गया.सबने मतदाता नै धन्यवाद भी देणा सै. एक काम कर कार्ड छपवा दे दीवाली के"
रमलू- "किस तरह के कार्ड छपवाने सै ताऊ जी"
ताऊ-"यार घणे दिन हो गए इलेक्शन में चक्कर काटते.कोई बढ़िया सी फिल्म की हिरोइन का फोटू लगा के दीवाली की बधाई का सन्देश लिखवा दे, तो मजा आ जावेगा." न्यू कर "वो कैटरिना कैफ की फोटू छपवा दे"
रमलू - "ताऊ आपका कहणा तो ठीक सै पण सल्लू भाई नाराज हो जागा"
ताऊ-"तो एक काम कर बेबो का फोटू लगा दे.उसते भी काम चल जागा"
रमलू- "ताऊ क्यूँ पंगे लेन लग रहया सै सूबे-सूबे"
ताऊ- "यो के बात हो गई पंगे लेन की"
 रमलू-"यो अपना पटौदी आला नवाब सै ना, उसकी छोरे की बहु बनन वाली सै सारा मामला फिट सै, वो आपका मुलाकाती नाराज हो जागा ओर आपकी दोस्ती भी खतरे में पड़ जागी"
ताऊ-"तो भाई मीना कुमारी की ही लगा दे अपणे ज़माने की किलकी पाड़ हिरोइन सै"
रमलू-"ताऊ इनती पुरानी हिरोइन की फोटू लगावेगा तो आज कल के छोरे नाराज हो जावेंगे"
ताऊ-"यार तुने बड़ा चक्कर में डाल दिया, तो फेर के करया जाये"
रमलू-"एक काम करें सै, मै अपणे आप ही कोई अच्छी सी हिरोइन देख के कार्ड में लगवा दूंगा, जो एक दम फ्रेश होगी."
ताऊ-"ओर कार्ड के साथ मै कुछ गिफ्ट भी देणा पड़ेगा ना,उसके लिए के लेना सै'
रमलू-"ताऊ एक बात सूझी मन्ने, वो अपना दारू कम्पनी वाला सै ना मालिया, उसने दीवाली पे सबने एक-एक दारू की बोतल बांटी सै. आप उसते कम थोडी हो आप भी बाँट दो"
ताऊ-"हाँ यार यो काम सही बताया, जा मेरा कैंटीन का कार्ड लेजा और यो ही लिया, आपण भी राजी और पब्लिक भी राजी"
रमलू-"यो काम ठीक करया ताऊ-सारे गाम के छोरे खुश हो जंगे."
ताऊ-"जा फेर यो काम जल्दी करके आ, दीवाली का टैम हो रहया सै."
ईब रमलू किसा कार्ड छपा के लाया वो आपके सामने सै .


आप सब नै फौजी ताऊ मनफूल सिंग की दीवाली की टैंकर भर -भर के बधाई, आप भी आओ म्हारे गाम की चौपाल पे जिन्दगी के मजे यहीं मिलेंगे. एक बार फेर दीवाली की बधाई.

आपका 
रमलू लुहार



सोमवार, 5 अक्तूबर 2009

फौजी ताऊ के"लालटेन लाइट"डिनर में उड़न तश्तरी

आज ताऊ नै टुब वेळ पे उड़न तश्तरी की आण की ख़ुशी में पार्ट्री रखी सै, टुब वेळ पे पार्टी रखने कारण यो सै के एक तो गाम ते दूर सै, ओर कोई सा बुढा टल्ली भी होयगा तो भी कोई समस्या कोणी भले ही खेतों में रात भर भाषण दिए जावे, इलेक्शन का टैम से कोई नै मना भी नहीं कर सकते,रमलू कैंटीन ते ताऊ का महीने का कोटा लेने गया सै, रात का ८ बजे का टैम सै पार्टी का ताऊ के चमचे तेयारी करण लग रहे सै. रसोइए का काम बनवारी नै संभाल रख्या सै, पत्थरों का चूल्हा बना के हांडी चढा रक्खी सै,उसमे तरी बना रहया सै ओर मुर्ग मुस्सलम  की डिश तेयार हो रही सै,ताऊ ने अपणे खास फौजी दोस्त कप्तान सिंग जाट नै भी बुला रख्या सै, ठीक ८ बजे उड़न तश्तरी की सवारी लेके ताऊ पहुच गया, टेबल तो थी कोणी "ऊंट का गाडा" के चारों तरफ कुर्सी लगा रखी थी उसके उपर दरी बिछा के बढ़िया सुन्दर गुलदस्ता लगा के बीच में लालटेन रखी थी मतबल ताऊ के गाम का "लालटेन डिनर" था, इतनी देर में रमलू भी आयटम लेके आ गया उसने पूछा बनवारी ते -क्यूँ सामान तेयार सै सब, बनवारी बोल्यो- के बताऊँ यार रमलू थोडा लेट सै, वो सुसरी मुर्गी खुल गयी तो भाज गई थी रामेषर दुबारा लेके आया सै बस १५ मिनट मै सब तेयार सै, तू चिंता ना कर जब तक पनीर लेजा मैंने बढ़िया बना दिए अपणा कार्यक्रम चालू करो, रमलू आयटम लेके डिनर टेबल पे पहुँच गया, देखते हैं के अपणे परमानद जी पहुच गे अपनी सेना लेके,उतरते बोले फौजी चिंता मत कर मै सामान साथ लाया सूं किसी छोरे नै भेज के गाड़ी में से उतरवाले,भाई आज तो सारी मण्डली ही बैठ गई पहला दौर चालू हुआ उड़न तस्तरी के नाम ते,बातचित चल रही थी, बीच मै शिम्भू बोल्या-ताऊ सुणया सै बिदेश मै आज कल एक सपेशल सवारी चल रही सै, जिसमे ना तेल लगता,ना उसका इंजन आवाज करे,ना उसने घोडे-गधे जैसे खिलाने की जरूरत, वो तो दाना ही चुगे सै,दो पैर की सै,और आदमी उस पे चढ़ के बाजार जा के सारे काम करके आ सके सै, मन्ने तो म्हारे गाम का वो नौबत सै ना वो कह था, फेर मै सोचु था कोई बिदेश ते आवे गा उस ते पूछूँगा, इब समीर भाई आ रहे सें तो सोच्या पूछ ही लूँ हो सके सै एकाध ऐसी सवारी इनने भी ले रखी हो, ताऊ बोल्या-हाँ भाई समीर बता के यो बात सच्ची सै, समीर बोले -हाँ ताऊ यो बात सच्ची सै के इस तरह का एक प्राणी तो हो सै पर उसका सवारी में काम लेते मन्ने देख्या नहीं, रमलू बोल्या-कोण का जानवर हो सै, समीर बोल्ले-उसने ताऊ "ईमू" कह सै यो आस्ट्रेलियन चिडिया सै, ओर दो पैर की हो सै दाना चुगे सै चले भी घणी सै ओर ६ से७ फुट तक की ऊँची हो सै पण इसका दिमाग छोटा हो सै,सिर्फ डेढ़ इंच का इसलिए यो जयादा सोच नही सकती ओर ज्यादा याद नहीं रख सकती इसलिए इसने जंगली पक्षी बोले सै,यो सवारी के काम नहीं आ सकती,पण इसमें ताकत घणी होया करे, वाह भाई बढ़िया बात बताई इससे तो फौज मै तो बहोत काम लिया जा सकता है-कप्तान सिंग बोल्या, रामेषर बोल्या -फौज मै दिमाग वाला के काम, जिसने अपना दिमाग लगाया ओर वो ही मार खाया,ताऊ बोल्या-सुसरे! तन्ने म्हारे में दिमाग कम लगे सै, फौजियां के कोटे की तो दारू पीवे हमेशा ओर हमने ही कम दिमाग बतावे, हम तन्ने बावली बूच लगे सै, दे रे रमलू इसकी गुद्दी पे-सुसरा आया सै चल के लम्बरदारी करण. परमानद जी ने विषय बदला ताऊ - यो बता आज तो तेरा यार कप्तान सिंग भी आ रहया सै दोनों की फौज में कटे किस तरह थी, कप्तान सिंग बोल्या-मनफूल सिंग तो था सप्लाई में ओर मै था कैंटीन इंचार्ज खूब छ्न्या करती म्हारी,दारू तो कदे खतम ही नहीं होती थी, फेर ड्यूटी भी म्हारी हेडक्वाटर में ही थी कोई समस्या नहीं थी,समीर बोल्या-तो ताऊ उस टैम आपने तनखा कितनी मिल्या करती,ताऊ बोल्या-जब भरती होया था तो चालीस रूपये तनखा मिल्या करती २ रुपये अपणे बीडी-बाडी के खर्चे के राख के ३८ रुपये घर बापू धोरे भिजवा दिया करता, बनवारी सोच्या के ताऊ के चार पैग लग लिए इब रंग मै आ गया वो पाकिस्तान की लडाई वाली बात पूछ ही लूँ, उसने ताऊ ते पूछ्या -ताऊ वो पाकिस्तान वाली लडाई की के बात थी? इतने मै कप्तान सिंग बोल्या -अरे पाकिस्तान की लडाई की बात- मनफूल सिंग बडा बहादर माणस सै यो तो लाहोर से सुसरा पकिस्तानियाँ कि भैंस भी खोल ल्याया था, शिम्भू कूद के पडा -अच्छा यो बात सै-तो ताऊ तन्ने पाकिस्तान मैं भी भैंस ही पाई ओर कुछ नहीं मिल्या लाने के लिए,-ताऊ बोल्या -यो बात आज ख़तम करो युद्ध की बात किसी ओर दिन सुनाउंगा, आज माफ़ करो, ल्याओ रे भाई खाना,लगाओ जल्दी,समीर भाई नै भी भूख लग रही होगी, ओर तुमने चाहिए तो पूरा कैरेट पड्या सै ले लियो,पण कल काम के लायक रहियो....................नहीं तो 

आपका

रमलू लुहार 

"रूकावट के लिए खेद है"-फौजी ताऊ मनफूल सिंग

ताऊ टुब बेल पार्टी कि तेयारी में लग रहया सै, इधर इलेक्शन भी चल रहया सै, चारुं तरफ का काम बढ़ गया सै, आप सोच रहे होगे के  फौजी ताऊ मनफूल सिंग कहाँ गायब हो गया, भाई इलेकशण का काम सै. थोडा इंतजार करो,मन्ने यो कविताई लिखी सै आपके लिए,यो टीवी पे जिस तरियां दिखाया करते ना वो  ही सै,"रूकावट के लिए खेद है"। आपके समझ में आ जा तो बढ़िया बात सै, और ना आवे तो धैर्य ना खोके उत्साह बढ़ाना।आपने ताऊ की राम-राम,कविताई का आनंद लो ,
ताऊ बोल्या मै पूछूं था


बता तू अकल बड़ी के भैंस........................
मास्टर जी ने सवाल लगाया के बतावे सुरेश
भैंस  में तै  पाड़ी  घटाई,झोट्टा रह गया शेष
बता तू अकल बड़ी के भैंस..........................


जाडा   घणा   पड़े  था   भाई, खूब  लगाई रेस
पहले  तो  कम्बल  ओढ़या, उस पे डाला खेस
बता तू अकल बड़ी के भैंस..........................


राधे नै  कुत्ते के पिल्लै  पकड़े, उसके  मुंडे केश
बिना उस्तरे नाइ मुंड गया ताऊ पे चल्या केश
बता तू अकल बड़ी के भैंस............................


बिना  चक्के  की  गाड्डी चाली रेल उडी परदेश
गार्ड  बेचारा  खड़ा  रह  गया  देखे  बाट   नरेश
बता तू अकल बड़ी के भैंस............................


एक पेड़ पे चालीस चिडिया तभी घटना घटी विशेष
शिकारी  की  एक गोली चाली बच गई कितनी शेष
बता तू अकल बड़ी के भैंस.................................


आपका
रमलू लुहार

शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2009

लुटेरों के चंगुल में मत फंस जाणा ओर अपने ताऊ को ही वोट देना-उड़न तश्तरी -फौजी ताऊ की सभा में

खुशखबरी-खुशखबरी-बनवारी मंच ते माइक में बोलणे लग रह्या सै-जो उड़न तश्तरी आज म्हारे बीच में आण वाली सै वो गुडगाँव इंटर नेशनल हवाई अड्डे तक पहुच गई सै, तम शांति ते बैठो, आज अपने समीर लाल जी की आम सभा सै, गाँधी जी ओर लाल बहादुर शास्त्री दोनों का जनम दिन सै बहोत ही सुथरा दिन सै,गाँधी जी देश को आजाद कराया अंग्रेजों को भगाया ओर शास्त्री जी नै पाकिस्तान का बैंड बजाया,दोनों महापुरुषों का हम आदर करे सै-बनवारी का भाषण चाल रहया सै,मै आपने जरा पब्लिक के तरफ ले चलूँ, पब्लिक एक दम खचा-खच भारी सै ,सकुल के मैदान में चारों तरफ लाइट ही लाइट जग मग करण लग रही सै,ताऊ के छोरों नै भी जोरदार इंतजाम कर दिया,इब तो ओर कोई नहीं कह सके के म्हारे गाम के छोरे नालायक सै, सारे कार्यकर्ता बिल्ला लगाये पब्लिक नै सँभालने लग रहे सै,ताऊ नै पूरी छोले -चाय-पकोडे की स्टाल सकुल कने मंदर आले पीपल के नीचे लगवा दी,पाणी के टैंकर खड़े कर दिए और पब्लिक चाय नसते का मजा ले रही सै, गांव की बूढी लुगाइयां अपने पीढे घर से ला के सजा के बैठी सै, संतरा ताई नै बोल्ली-ऍ जी यो उड़न तश्तरी किसी हो सै,ताई बोल्ली-ये बीरा मन्ने के पता ये छोरे कह रहे थे भोत बड़ी हो सै ओर नु घुमती आवे सै, पहले आसमान मै गोल-गोल चक्कर कटेगी फेर सकुल के मैदान  मै उतरेगी, चन्द्कोर बोल्ली-ताई कदे वो तो नहीं सै जो कई साल पहले उतरया था,के बोल्ले थे "सकाईलेब", ना-ना वो कोणी, तन्ने ताऊ इतना बावला लगे सै?वो तो सारे काम सोच समझ के करे सै,यो के हुयी कदे दो चार घूंट लगा ले आखर फौजी जो सै, यो चर्चा ओरतों के बीच में चल रही सै, सब अपने -अपने तरीके सै उड़न तश्तरी के बारे में अंदाजा लगा रहे सै, के कैसी होगी,?इधर ताऊ,रमलू,परमानद जी ओर भी घणे सारे लोग हवाई अड्डे पहुचगे उड़न तस्तरी का सवागत करण खातिर,हवाई अड्डे पर समीर लाल जी पहुचे तो सबने उनका स्वागत किया,ताऊ नै भी अपना आशीर्वाद दिया ओर बोल्या-भाई तुने तो बहुत बढ़िया काम कर दिया जो आ गया,सारे हवाई अड्डे से गाम में सभा स्थल पे पहुचे बनवारी का भाषण चालू  ही था, सबने समीर लाल उर्फ़ उड़न तश्तरी का सुवागत किया, रमलू मंच का संचालन करने लगा-भाइयों ओर बहनों मेरे बुजुर्गों बाहर गाम ते आये हुए साथियों इब म्हारे बीच कनाडा से भाई समीर लाल जी आ चुके सै, लोग इनने ही उड़न तश्तरी के नाम ते जाने सै,इब मै आप लोगो का टैम ख़राब ना करके सीधा माइक समीर लाल जी ने  सौंपता हूँ, फार्मेलिटी में ज्यादा टैम ख़राब होता है, आप इनने ही सुनो, यो बोल  के रमलू नै माइक समीर लाल के हाथ  में सौंप दिया,
समीर लाल नै बोलना चालू करया- मेरे भाईयों ओर बहनों ताऊ-ताई,रमलू, परमानन्द जी ओर गाम के लोगो मै भी आपके बीच का ही छोरा सूं ,देश ते बाहर काम करण चला गया ओर उत ही बस गया,मै तो आप लोगो ते मिलने के लिए आया सूं, ताऊ का इलेक्शन तो एक बहाना सै,ताऊ जी इलेक्शन में खडे हुए बड़ी अच्छी बात है,आज देश नै ऐसा नेता चाहिए जो सच्चा हो इमानदार हो गरीब आदमी की मज़बूरी ओर उसकी भूख नै समझ सके,जो कारीगर की दुःख तकलीफ नै समझ सके, आज म्हारे देश के दो महापुरुषों का जनम दिन है,एक तो बापू,दूसरा शास्त्री जी,दोनों ही ईमानदारी ओर देश भक्ति की एक बहुत बडी मिशाल थे,दोनों ने ही अपना जीवन सादगी के साथ बिताया,गाँधी जी नै तो भारतवासियों का दर्द ओर गरीबी को महसूस करने के लिए लंगोटी ही पहननी चालू कर दी थी, ओर वे कहते थे की भारत की आत्मा तो गावं में ही बसती है,गावं का विकास होगा तो सारे देश का विकास हो जायेगा, ओर कैसे होगा ये बात उन्होंने गोली लगने के एक दिन पहले ही लिख दी थी,आज म्हारे देश में अमीर ओर गरीब की खाई बढती जा रही सै,अमीर ओर अमीर होता जा रह्या सै, गरीब ओर गरीब होता जा रह्या सै,मरण तो म्हारे जैसे लोगों का ही हो रह्या सै,आज भी देश में कई करोड़ ऐसे सै जिनने खाने को दाना नही मिल पाता, देश नै आजाद हुए ६३ साल हो चुके पण ये नेता अपना ही घर भरने में लग रहे सै,गरीब की तो कोई चिंता ही नही सै,सरकार में इसे -इसे मंत्री सै जो एक दिन रहने के लिए एक लाख रुपया खर्च कर रहे सै ओर यहाँ गरीब की झोपडी में दिया जलाने के लीये भी तेल कोणी,बड़े शरम की बात सै, जो हवाई जहाज में जाये सै वो भी इनने भेड़ बकरी ही दिखे सै,म्हारे जैसे सड़क पे चलने वाले तो इनने दीखते ही कोणी होंगे,ओर ये म्हारे देश के कर्णधार सै,यो देश नै किसा चलावेंगे? आज जरुरत सै देश ने गाँधी जी जैसी सोच के आदमी की आज जरुरत सै देश ने लाल बहादुर शास्त्री जैसी सोच के आदमी की,जो गरीबों का दुःख दर्द समझ सके,भाईयों मै कोई नेता तो नही सूं पण जो मेरे मन में आया आपने कह दिया,अपने रिटायर हवालदार फौजी ताऊ मनफूल सिंग जी सच्चे-इमानदार ओर मेहनतकश मनमौजी किसम के आदमी सै,इनने मेरे ते ज्यादा तो आप ही जानते हो, मै तो इतनी कहने आया हूँ इनको कप प्लेट छाप पे बटन दबा के जिताओ, ये आपको खूब सेवा करेंगे,सेवा करना तो इनका पेशा ही सै पहले तो फौज में देश की सेवा करी फेर रिटायर होके गावं की सेवा कर रहे सै,इब आप जीता दोगे तो पुरे हलके की सेवा करेंगे,मेरी तो आपसे यो ही विनती सै, बड़े बड़े पैसे वाले लोग ताऊ के सामने खड़े सै वो आपने बहकाने की कोशिश करेंगे वोट खरीदने की कोशिश करेंगे पण आप लोग इन लोकतंत्र के लुटेरों के चंगुल में मत फंस जाणा ओर अपने ताऊ को ही वोट देना,आप सब नै धन्यवाद जो आपने इतना प्यार ओर आशीर्वाद मुझे दिया,मै आपका आभारी सूं फेर मिलेंगे, एक बर ताऊ नै जिताओ,आप सबने मेरी राम-राम.
(कल ताऊ नै उड़न तश्तरी के सुवागत मै अपने टुबबेल पे एक पार्टी रखी सै,उसका आँखों देखा हाल आपको कल सुनावेंगे,सबको राम-राम)

गुरुवार, 1 अक्तूबर 2009

हम मरे कोणी-म्हारे तो साल में ३६५ दिन सै-जो एक दिन श्राद्ध करोगे??? फौजी ताऊ मनफूल सिंग

ताऊ के इलेक्शन की तैयारी जोर शोर ते चल रही सै,उड़न तश्तरी ताऊ के चुनाव परचार में  आ रही सै, इस लिए सारे गाम के लोग आम सभा की तैयारी करण लग रहे सै,ताऊ ने सरपंच बुला नै बुला कै कह दिया सै के पुरे गाम में मुनादी करवा दियो के  कोई भी शख्स आजा रात का दूध नहीं जमावेगा,जिसके घर में जितना भी फालतू दूध होगा वो ग्राम पंचायत में आ के जमा करवा जाये,क्योंकि उड़न तश्तरी चुनाव प्रचार में आ रही सै,तो लोग भी घणे आवेंगे उनके लिए चाय पाणी कि बेवस्था करणी पड़ेगी,ओर जिसके भी घर में फालतू खाट ओर हुक्का सै वो भी चौपाल पे पहुंचा दे, यो मुनादी सारे गाम में बनवारी भी कर आया, उसके अभी रमलू की काल की दी हुयी बोतल का नशा नहीं उतरा सै,सारे काम हांजी-हाजी कह के बड़े मजे से कर रहया सै,रमलू उड़न तश्तरी के प्रोग्राम की परमिशन लेने मिनी सचिवालय गया हुआ सै, गाम के बीच में मंच बनाया गया सै सकुल के खेल के मैदान मै, मतबल मामला जोर ते ही चल रहया सै.इतनी देर में रामेषर आया ताऊ धोरे ओर बोल्या- ताऊ जल्दी चाल तेरा बुलावा हो रह्या सै,चौपाल में,के बात हो गई -ताऊ बोल्या,रामेषर बोल्या-ताऊ बात तो कोई बड़ी नहीं सै,आज बूढों का दिन सै, ताऊ बोल्या-अरे बावली बूच बूढों का दिन सदा ही रहवे सै, रात तो सारी खांसते निकल जा ओर दिन में कोई सोणे नहीं दे,यो के बला सै,रामेषर बोल्या-ताऊ दुनिया के सारे बूढों की पंचायत नै मिल कै फैसला करया सै के एक अक्तूबर नै हर साल बूढों को याद किया जायेगा,उनके बारे में सोच्या जायेगा,आज सरकार की तरफ ते यो दिन मनाया जा रहया सै,आप चालो, ताऊ चौपाल पे पहुचे तो गाम के सारे बूढों को इकट्ठा कर राख्या था, सरपंच ने ताऊ ते राम-राम करी ओर बोल्या - म्हारे गाम के बुजुर्ग लोगो इब म्हारे बीच में रिटायर फौजी ताऊ मनफूल सिंग जी आ चुके है,मन्ने जीतनी बात कहनी थी वो कह ली, इब ताऊ आपने वृद्ध दिवस के बारे में बतावेंगे, हम ताऊ का सुवागत करते है, ताऊ भी म्हारा घाट कोणी,उसने भी माइक संभाला ओर बोल्या-गाम के सारे बड़े बूढों ते मेरी राम-राम,भाईयों मै तो इलेक्शन की तैयारी में लाग रह्या थो के रामेषर बुला लाया के ताऊ आज बूढों का दिन आ रह्या सै, आपने सरपंच चौपाल पे बुला रह्या सै,मै भी सोच मै पड़ गया  के म्हारे हरियाणे दिन आणे का मतबल ऊपर जाने की बात होया करे मै भी सोचूं था के किस बूढे-बूढी का दिन आ गया. भाईयों एक बात मेरी समझ में नहीं आती के किस देश के बूढों नै यो दिन फैनल करया के आज बूढों का दिन मनाना है ओर इसकी जरुरत क्यों पड़ गई? म्हारे तो देश में राज ही बूढों का सै,जो भी फैसले ले सै,सारे बूढे ही मिल के ले सै, लग भग जितने भी परधान मंत्री हुए सारे ही बूढे थे ओर दूर मत जा यो म्हारे गाम का सरपंच सै बंशी यो नेहरु के ज़माने में भी सरपंच था ओर आज सरदार जी के ज़माने में भी सरपंच ही सै, इब बताओ इतने साल ते इसने सरपंची नहीं छोड़ी सै, यो ही मजे ले रहया सै बैरी ओर म्हारे गाम के जवान चाहते भी नहीं के बंशी नै छोड़ कोई दूसरा सरपंच बन जा,क्यूँ के यो सब का ख्याल रखे सै,म्हारे गाम के किसी बूढे नै कोई तकलीफ सै तो बताओ, के छोरा परेशान करे सै के बहु रोटी ना दे या ओर कोई समस्या? कोई नहीं बोल्या तो शिम्भू बोल्या-ताऊ हमने अपने छोरे-छोरियों को जलम ते ही यो बात सिखाई है के बडो बूढों की बात मानना उनकी हुकुम अदूली मत करना,म्हारे गाम ते ब्याह के भी कोई बेटी सासरे जा सै उसने भी बड़ी बूढी समझावे सै के बेटी बड़े बूढों का आदर करना कदे यो उलहना नहीं आणा चाहिए, म्हारे गाम तो कोई भी छोरा शहर में पढ़ने जावे सै,उसने कोई भी काम शहर का बता दो वो शाम नै करके लावे सै, म्हारे गाम में तो चले ही बूढों की सै ओर यो साल में एक दिन बूढों के नाम का नया रोला करया सै, यो बोल्लो के साल में ३६५ दिन बूढों की सेवा करो उसने याद रखो,भूलो मत, ताऊ बोल्या -भाई हमने तो कोई परेशानी कोणी,म्हारे इलेक्शन का भी इन जवानो ने संभाल रख्या है,ओर तो कहवे सै के ताऊ तू चिंता ना कर मौज कर हम सब कुछ संभाल लेंगे, तो भाइयों हम तो इब्बे जिन्दा सै मरे कोणी जो म्हारा साल में एक दिन श्राद्ध करोगे, म्हारे तो साल में ३६५ दिन सै,सारे गाम के छोरे दिन हो या रात ताऊ -ताऊ ही कहते रह सै,यो काम तो सै अंग्रेजन का जिसके बूढे जुवानी इसे करम करे सै के बुढापे में कोई उनने पूछता कोणी जब ही एक दिन यूँ बनाया सै के बेटे-बेटी साल में एक बार मिल जा आके, चालो भाई हो गयी बूढों की पंचायत,अपने अपने घर नै जाओ ओर बहुओं के हाथ ते गरम -गरम रोटी खाओ,अगर कोई शिकायत हो तो आके मन्ने कहो ओर ज्यादा बुढा दिन मनाना सै तो आके फेर शाम नै चौपाल पे मिलो,अपनी जुवान करण वाली दुवाई तैयार पावेगी,सब नै मेरी राम-राम कल बड़ी पंचायत मै आण की मत भूलियो.


आपका
रमलू लुहार


(फोटो गूगल से साभार)

बुधवार, 30 सितंबर 2009

फौजी ताऊ मनफूल सिंग के इलेक्सन परचार में उड़न तस्तरी -रमलू नै दी खबर

ताऊ और सारे कार्यकर्ता सूबे से ही अपणे काम में लग लिए, कोई अपनी मोटर सायकिल ते तो कोई,अपणी सायकिल ते ही आ रह्या सै ताऊ के प्रचार में, ताऊ सबने काम बाँट रह्या था किसने किधर जाणा सै, रमलू आज मिनी सचिवालय गया सै ताऊ का प्रतिनिधि बण के,वहां पे चुनाव चिन्ह मिलेंगे,रामेषर ने ते कह्या-ताऊ राम-राम ,ताऊ बोल्या राम-राम भाई राम-राम, बनवारी नहीं दिखाता कड़े चला गया सुसरा ,रामेषर बोल्या,बनवारी तो भैंसा नै सानी ही डाल रह्या सै..ताऊ ने आवाज लगाई - अरे बनवारी के भैंसा नै भी साथ ले जा गा प्रचार में, सुसरे तन्ने तीन घंटे हो गए सान्नी गेरते ने, इब्बे आया ताऊ- बनवारी बोल्या, थोडी देर बाद रमलू भी आ गया, ताऊ ने पूछ्या- के निशान मिल्या सै? रमलू बोल्या - कप प्लेट मिल्या सै, ताऊ बोल्या - यार यो तो बहुत ही अच्छा निशान सै हर घर में पावे सै, शिम्भू बोल्या- हाँ ताऊ निशान तो बढ़िया मिल्या सै, फेर एकाध ने बिल्ले - विल्ले छ्पवान भेज दे. रमलू बोल्या - ताऊ परचार सामग्री की चिंता कोणी परमानद जी नै कह दिया सै के कल ते पहुच जायेगी, तम अपणा परचार चालू रखो, यो सब काम मेरे पे छोड़ दो, रामेषर बोल्या- चालो भाई एक तो समस्या हल हुयी,ताऊ बोल्या-रमलू कल का दौरे का प्रोग्राम बना लिया, हाँ ताऊ सब तेयार सै, कल आपां सेक्टर वाले एरिये में चलेगे, वहां सब जगह एक -एक सभा ले लेगे, एक सभा डी.एल.ऍफ़. में ले लेंगे, डुंडा हेडा, उद्योग विहार, बस टेंड, महरोली रोड के गोल चक्कर पे, मै आज रात नै, सारी कहानी फिट करूँ सूं, बनवारी बोल्या -ताऊ कल अपने पतरकार वार्ता में कही थी के कोई बाहर बिदेश ते भी आवेगा चुनाव परचार के लिए,?ताऊ  बोल्या-हाँ भाई आवेगा, कल ही मेरे धोरे उसकी मेल आई सै,रामेसर बोल्या -तो ताऊ के नाम से इसका ? ताऊ बोल्या-अरे भाई उसने उड़न तश्तरी कहवे सै, शिम्भू बोल्या -ताऊ यो नाम तो बहुत सुणयोड़ा सै, ये जो आकाश मै उड़ती फिरे है उसने ही कहवे सै, तो ताऊ फेर ये परचार किस तरियां करेगी, के इसके भी हाथ मुह हो सै? अरे-अरे रुक जा बावली बूच-ताऊ बोल्या-यो भी तो उस तरियां उड़न वाला ही सै, पर यो अपणा ही देशी छोरा सै,इसका नाम समीर लाल सै, लोग इसने इंटरनेट की किताब के नाम ते जाने सै,यो इन्टर नेट में रोज लिखे सै,बिदेश में रहे सै, जब आणा हो तो उड़ के ही आता है, भोत बड़ा आदमी है, गरीबों के लिए कुछ करने की इसके मन में ललक है, कविता -कहानी -किस्से खूब लिखे सै, मै तो सुन्या सै के इसने किताब भी लिखी सै, मन्ने तो इस ते एक बार कही थी कहते मान गया, बोल्या "ताऊ लड़ ले इलेक्शन जब मेरी जरुरत पड़े बुला लियो, ओर तो राम-राम भी कही सै, सारे गाम वाला ते,रामेषर बोया-यो तो ताऊ भोत अच्छी बात सै, आपने सारी बता दी, तो मै भी उड़न तस्तरी ही समझू था, तो फेर पोस्टर छपवाओ ओर परचार चालू करो २ तारीख नै बापू वाली जयेंती पे गाम में उड़न तस्तरी की आम सभा की तैयारी  करो -ताऊ बोल्या, यो ले ताऊ इब ते ही तैयारी चालू होयगी- अरी ताई २ तारीख ने उड़न तस्तरी की आम सभा सै,यो बिदेश ते आवेगी, अपनी सारी बुड्ढी सहेलियों नै बता देना शिम्भू बोल्या, यो ले या भी ठीक रही तुने प्रचार म्हारे घर ते चालू कर दिया, रमलू बोल्या - ताऊ सभा की तो परमिशन लेनी पड़ेगी, तो तू परमिशन ले ओर हम आम सभा की तैयारी सुरु करे सै- ताऊ बोल्या, चालो भाई अपणे -अपणे काम ते लगो,काम ज्यादा सै और बखत कम सै-रामेषर बोल्या, बनवारी धीरे सै बोल्या-ताऊ एक बोतल रम की ही दे दे सारे दो-दो घूंट ले लेंगे-हाथ पैरां में बडा दर्द सै, नहीं तो फेर इस तरियां म्हारे ते काम होगा नहीं, ताऊ बोल्या जा चुपचाप रमलू धोरे ले ओर रोला मत ना करियो, अपणे चुपचाप घूंट मारो ओर काम पे लग जाओ कोई शिकायत नहीं आणि चाहिए नहीं तो सुसरो मन्ने बदनाम करवाओगे, रमलू दे दिए रे ताऊ बोल्या, अब उड़न तस्तरी आणे वाली सै काम पे लग जाओ, अरे यो रिटायर फौजी ताऊ मनफूल सिंग का  इलेकसन सै, किसी नत्थू खैरे का नही, रमलू बनवारी लोगो नै बोतल देन गया सै, चालो यार आपां भी दो चार पैग मार के तबियत हरी करें, 

आपका 
रमलू लुहार   

फोटो गूगल से साभार

दारू चलनी चाहिए-यो म्हारे जैसे बुड्ढों के टैम-टैम पे काम आवे सै-फौजी ताऊ मनफूल सिंग पत्रकार वार्ता में

ताऊ की चौपाल में आज ताऊ के इलेक्शन की पहली प्रेस वार्ता सै, ताऊ नै पूरा इंतजाम करवा दिया और चौपाल पे बहुत सारी खाट लगाव दी,जिसमे आने वाले पत्रकार और मेहमान- कार्यकर्ता बैठेंगे, रमलू ताऊ नै पत्रकार वार्ता की बारीकी सिखाने लग रहा सै, किस सवाल का जवाब देना सै, किसका जवाब टाल देना सै, बिदेशी पत्रकार भी आ रहे सै, वो भी ताऊ का अनोखा इलेक्शन देखना चावे सै, उनके लिए भी ताऊ नै ब्रेड बिस्कुट का इंतजाम कर राख्या सै। 

आच्छी तगडी भीड़ इकट्ठी हो रही सै, पूरा गाम ही इकट्ठा हो रह्या सै, ताई भी अपनी सहेलियों को लेकर तैयार है, सारे पत्रकार टी.वी. चैनल वाले अपनी -अपनी गाड़ियों में पहुच रहे है, ये देश का पहली पत्रकार वार्ता है, जो खुले में पूरे गाम की जनता के बीच हो रही सै, बनवारी,रामेसर,शिम्भू,झोट्टा, पाडा सारे ही आने वालों की खातिर में लग रहे सै, चालो भाई पत्रकारों का कैमरा विमर सब सेट हो गया सै, पत्रकार वार्ता चालू होने वाली है, ताई भी घूँघट निकाल के ताऊ के बगल में आके बैठ गई, रमलू सारा मसोदा ले के ताऊ के पीछे बैठा सै।  

इब पत्रकार वार्ता चालू हो रही सै,ताऊ ने माईक संभल लिया ओर बोल्या-भईयों आपने सबने मेरा राम-राम, मेरे इलेक्शन में खडे होणे का मतबल यो सै के जो गरीब मजदूर,कारीगर, लोग सै उनकी सुनने वाला कोई नहीं सै, कोई भी पार्टी इनने टिकिट नहीं देती,लेकिन वोट जरुर लेती है, मै इलेक्शन में इसलिए खडा हुआ के पैसे वाले लोग गरीब लोगों के वोट का बेजा इस्तेमाल करते है,,मै भी कारीगर समाज से ही हूँ, मन्ने पता सै के इनकी तकलीफ के सै, इनकी तकलीफ दूर कारने के लिए मै पुरजोर परयास करूँगा, आप मन्ने अपना वोट दे के एक बर जितवा बस दो फेर सारा काम-दुःख तकलीफ मेरे पे छोड़ दो, आज तक आपके हमेशा काम आया सूं, और इब भी काम आऊंगा, मै आपके सामने दोनों हाथ जोड़ के अपनी उम्मीदवारी घोषित करता हूँ, यो आपका ताऊ सै जो किसी के भी दबाव मै नहीं आणे वाला, आप मन्ने अपणा वोट दे के चुनाव जिताओ, भाई गाम वाले सरे शांत बैठेंगे, कोई रोला नहीं करेगा, हाँ भाई पत्रकार लोगो आप अपने सवाल इब पूछ सकते हो पूछो,

टाईम्स ऑफ़ इंडिया का पत्रकार बोल्या- ताऊ मनफूल सिंग जी आप ये बताओ के आपने रास्ट्रीय सहारा पार्टी से ही अपनी उम्मीदवारी क्यों की? आपने और भी दूसरी बड़ी पार्टी टिकट दे रही थी?
ताऊ बोल्या-देखो देस के भीतर अनेक राजनैतिक पार्टिया है, लेकिन उन सबका टिकिट देने का आधार प्रत्याशी की आर्थिक स्थिति ओर पार्टी को चंदा कितना दे रहया होता है, हमारी पार्टी में उन सभी लोगों को टिकट दिया है जिनके खान-दान में किसी ने विधान सभा का मुह नही देखा है, हमारी पार्टी में आर्थिक एवं सामाजिक रूप से सताए हुए लोगो नै परमुख स्थान दिया सै, इस पार्टी में वो लोग सै जो एक दिन की दिहाडी के लिये कमरतोड़  मेहनत करते है, चाहे वो कोई भी जात-धर्म -संप्रदाय का है, पर सबके काम करने के औजार तो एक ही है ना, इस पार्टी में भाई भतीजावाद नहीं सै और हमारे पार्टी के परधान परमानन्द जी नै घोषणा कर दी है के वे कभी भी इलेक्शन नहीं लडेंगे और भाई भतीजा वाद को कभी पार्टी में नहीं होणे देंगे, पार्टी हमेशा काबिल लोगों को ही टिकट देगी, तो इस लिए मैंने रा.सा.पा में आके इलेक्शन लड़ने की सोची।

आपको पार्टी के पास विकास की क्या योजना है -पंजाब केशरी के पत्रकार ने पूछा,

ताऊ बोल्या-  म्हारी योजना यो है जी के हम अपने विधान सभा के सभी गावों को शहर की सारी सुविधा उपलब्ध कराएँगे, कानून बेवस्था में सुधर लायेंगे, खरगोश को बन्दर बनाने वाली पुलिस के ढांचे में सुधार करेंगे, गावों में ही रोजगार के साधन मुहईया करवाएंगे, एक आम नागरिक की बेहतरी के लिए सारे काम करेंगे. मै कोई नेता तो हूँ नहीं-ना ही मेरे खान-दान में कोई था इसलिए झूठे आश्वासन तो में दूंगा नहीं, जितने के बाद करके दिखाऊंगा।

हरिभूमि ने पूछा-ताऊ आपको इलेक्शन लड़ने के लिए पैसे कहाँ से मिल रहे है?

ताऊ बोल्या- सच बोलूं !! पर्चे बेनर तो पार्टी की तरफ से है, गाड्डी-घोडे का इंतजाम ये सारे  यार- दोस्तों -रिश्तेदारों ने किया सै, और हाथ खर्च के लिए ताई नै अपने गुल्लक ते निकाल के दिए सै।

तो ताऊ दारू बंदी के बारे में आपकी क्या राय है? गाम के छोरे दारू पी के बिगड़ रहे है,

ताऊ- भाई !! दारू बंदी के बारे में तो मेरे राय ठीक सै, दारू चलनी चाहिए वो म्हारे जैसे बुड्ढों के टैम -टैम पे काम आवे सै, ओर अगर फौजी धोरे दारु का कोटा ही ना तो सारा मामला गड-बड,इस लिए ये तो चलनी चाहिए,ओर छोरों को इसे नहीं  पीनी चाहिए,

हिंदुस्तान टाईम्स - ताऊ ! आपके परचार के लिए बाहर से कोण- कोण से स्टार आ रहे  हैं ,सभी पार्टियाँ तो बड़े बड़े फिलम स्टार को बुला रही है, आपक किसको बुला रहे है,

ताऊ- भाई म्हारे  प्रचार में तो वो ही आवेगा जिसके दिल में गरीब मजदूरों के लिए दर्द है, म्हारे धोरे भी बड़े -बड़े स्टार सै, देश ओर विदेशों से भी म्हारे परचार में हस्तियां आ रही सै,

जी.टी.वी.-तो ताऊ कोण -कोण आ रहा है जरा नाम का खुलासा तो करो,

ताऊ - जिनकी मंजूरी  आई  है उसमे सबसे पहले कनाडा से उड़न तस्तरी, सूरत से लाफ्टर शो विनर अलबेला खत्री, भिलाई से  बी.एस. पावला, अभनपुर से ललित शर्मा, दुर्ग से संजीव तिवारी ओर रायपुर से अनिल पुसदकर की मंजूरी आणि बची  है, उम्मीद है वो भी आ जावेगा,  तो  भाई इब हो गया यो प्रेस कान्फरेंस इब ख़तम करो, और पत्रकार साथियों खाने का इंतजाम है, आप भोजन का आनंद ले के जाणा, रमलू जल्दी तैयारी करवा, कल चुनाव का निशान भी लेने जाणा है। 


आपका 
रमलू लुहार

फोटो गूगल से साभार 

मंगलवार, 29 सितंबर 2009

दारू चलनी चाहिए वो म्हारे जैसे बुड्ढों के टैम -टैम पे काम आवे सै-फौजी ताऊ मनफूल सिंग

ताऊ की चौपाल में आज ताऊ के इलेक्शन की पहली प्रेस वार्ता सै, ताऊ नै पूरा इंतजाम करवा दिया और चौपाल पे बहुत सारी खाट लगाव दी,जिसमे आने वाले पत्रकार और मेहमान- कार्यकर्ता बैठेंगे, रमलू ताऊ नै पत्रकार वार्ता की बारीकी सिखाने लग रहा सै,किस सवाल का जवाब देना सै,किसका जवाब टाल देना सै, बिदेशी पत्रकार भी आ रहे सै, वो भी ताऊ का अनोखा इलेक्शन देखना चावे सै, उनके लिए भी ताऊ नै ब्रेड बिस्कुट का इंतजाम कर राख्या सै, आच्छी तगडी भीड़ इकट्ठी हो रही सै, पूरा गाम ही इकट्ठा हो रह्या सै, ताई भी अपनी सहेलियों को लेकर तैयार है, सारे पत्रकार टी.वी. चैनल वाले अपनी -अपनी गाड़ियों में पहुच रहे है, ये देश का पहली पत्रकार वार्ता है, जो खुले में पुरे गाम की जनता के बीच हो रही सै, बनवारी,रामेसर,शिम्भू,झोट्टा, पाडा सारे ही आने वालों की खातिर में लग रहे सै, चालो भाई पत्रकारों का कैमरा विमर सब सेट हो गया सै, पत्रकार वार्ता चालू होने वाली है, ताई भी घूँघट निकाल के ताऊ के बगल में आके बैठ गई,रमलू सारा मसोदा ले के ताऊ के पीछे बैठा सै, इब पत्रकार वार्ता चालू हो रही सै,ताऊ ने माईक संभल लिया ओर बोल्या-भईयों आपने सबने मेरा राम-राम, मेरे इलेक्शन में खडे होणे का मतबल यो सै के जो गरीब मजदूर,कारीगर, लोग सै उनकी सुनने वाला कोई नहीं सै, कोई भी पार्टी इनने टिकिट नहीं देती,लेकिन वोट जरुर लेती है, मै इलेक्शन में इसलिए खडा हुआ के पैसे वाले लोग गरीब लोगों के वोट का बेजा इस्तेमाल करते है,,मै भी कारीगर समाज से ही हूँ, मन्ने पता सै के इनकी तकलीफ के सै, इनकी तकलीफ दूर कारने के लिए मै पुरजोर परयास करूँगा,आप मन्ने अपना वोट दे के एक बर  जितवा बस दो फेर सारा काम-दुःख तकलीफ मेरे पे छोड़ दो,आज तक आपके हमेशा काम आया सूं,और इब भी काम आऊंगा, मै आके सामने दोनों हाथ जोड़ के अपनी उम्मीदवारी घोषित करता हु, यो आपका ताऊ सै जो किसी के भी दबाव मै नहीं आणे वाला, आप मन्ने अपणा वोट दे के चुनाव जिताओ, भाई गाम वाले सरे शांत बैठेंगे, कोई रोला नहीं करेगा, हाँ भाई पत्रकार लोगो आप अपने सवाल इब पूछ सकते हो पूछो,
टाईम्स ऑफ़ इंडिया का पत्रकार बोल्या- ताऊ मनफूल सिंग जी आप ये बताओ के आपने रास्ट्रीय सहारा पार्टी से ही अपनी उम्मीदवारी क्यों की? आपने और भी दूसरी बड़ी पार्टी टिकट दे रही थी?
ताऊ बोल्या-देखो देस के भीतर अनेक राजनैतिक पार्टिया है, लेकिन उन सबका टिकिट देने का आधार प्रत्याशी की आर्थिक स्थिति ओर पार्टी को चंदा कितना दे रहया होता है, हमारी पार्टी में उन सभी लोगों को टिकट दिया है जिनके खान-दान में किसी ने विधान सभा का मुह नही देखा है, हमारी पार्टी में आर्थिक एवं सामाजिक रूप से सताए हुए लोगो नै परमुख स्थान दिया सै, इस पार्टी में वो लोग सै जो एक दिन की दिहाडी के लीये कमरतोड़  मेहनत करते है,चाहे वो कोई भी जात-धर्म -संप्रदाय का है, पर सबके काम कारने के औजार तो एक ही है ना,इस पार्टी में भाई भतीजावाद नहीं सै,और हमारे पार्टी के परधान परमानन्द जी नै घोषणा कर दी है के वे कभी भी इलेक्शन नहीं लडेंगे और भाई भतीजा वाद को कभी पार्टी में नहीं होणे देंगे, पार्टी हमेशा काबिल लोगों को ही टिकट देगी, तो इस लिए मैंने रा.सा.पा में आके इलेक्शन लड़ने की सोची ,
आपको पार्टी के पास विकास की क्या योजना है -पंजाब केशरी के पत्रकार ने पूछा,
ताऊ बोल्या-  म्हारी योजना यो है जी के हम अपने विधान सभा के सभी गावों को शहर की सारी सुविधा उपलब्ध कराएँगे, कानून बेवस्था में सुधर लायेंगे, खरगोश को बन्दर बनाने वाली पुलिस के ढांचे में सुधार करेंगे, गावों में ही रोजगार के साधन मुहईया करवाएंगे, एक आम नागरिक की बेहतरी के लिए सारे काम करेंगे. मै कोई नेता तो हूँ नहीं-ना ही मेरे खान-दान में कोई था इसलिए झूठे आश्वासन तो में दूंगा नहीं, जितने के बाद करके दिखाऊंगा,
हरिभूमि ने पूछा-ताऊ आपको इलेक्शन लड़ने के लिए पैसे कहाँ से मिल रहे है?
ताऊ बोल्या- सच बोलूं !! पर्चे बेनर तो पार्टी की तरफ से है, गाड्डी-घोडे का इंतजाम ये सारे  यार- दोस्तों -रिश्तेदारों ने किया सै, और हाथ खर्च के लिए ताई नै अपने गुल्लक ते निकाल के दिए सै,
तो ताऊ दारू बंदी के बारे में आपकी क्या राय है? गाम के छोरे दारू पी के बिगड़ रहे है,
ताऊ- भाई !! दारू बंदी के बारे में तो मेरे राय ठीक सै, दारू चलनी चाहिए वो म्हारे जैसे बुड्ढों के टैम -टैम पे काम आवे सै, ओर अगर फौजी धोरे दारु का कोटा ही ना तो सारा मामला गड-बड,इस लिए ये तो चलनी चाहिए,ओर छोरों को इसे नहीं  पीनी चाहिए,
हिंदुस्तान टाईम्स - ताऊ ! आपके परचार के लिए बाहर से कोण- कोण से स्टार आ रहे  हैं ,सभी पार्टियाँ तो बड़े बड़े फिलम स्टार को बुला रही है, आपक किसको बुला रहे है,
ताऊ- भाई म्हारे  प्रचार में तो वो ही आवेगा जिसके दिल में गरीब मजदूरों के लिए दर्द है, म्हारे धोरे भी बड़े -बड़े स्टार सै, देश ओर विदेशों से भी म्हारे परचार में हस्तियां आ रही सै,
जी.टी.वी.-तो ताऊ कोण -कोण आ रहा है जरा नाम का खुलासा तो करो,
ताऊ - जिनकी मंजूरी  आई  है उसमे सबसे पहले कनाडा से उड़न तस्तरी, सूरत से लाफ्टर शो विनर अलबेला खत्री, भिलाई से  बी.एस. पावला, अभनपुर से ललित शर्मा, दुर्ग से संजीव तिवारी ओर रायपुर से अनिल पुसदकर की मंजूरी आणि बची  है, उम्मीद है वो भी आ जावेगा,  तो  भाई इब हो गया यो प्रेस कान्फरेंस इब ख़तम करो, और पत्रकार साथियों खाने का इंतजाम है, आप भोजन का आनंद ले के जाणा, रमलू जल्दी तैयारी करवा, कल चुनाव का निशान भी लेने जाणा है, 


आपका 
रमलू लुहार

फोटो गूगल से साभार 





सोमवार, 28 सितंबर 2009

जो बटन प्रोबलम कर रहया सै उसने डायरेकट कर दो -फौजी ताऊ मनफूल सिंग का कहणा

सुबह-सुबह ताऊ ने पता चल्या के ब्लोग्वानी बंद हो गयी ताऊ नई भी बड़ा अफ़सोस होया,के क्यूँ बंद होयगी? इसा के हो गया मेरी भी समझ में नहीं आया फेर दो चार लोंगो ने कहानी बताई सारी के सिर्फ एक बटन का ही प्रोब्लम सै, तो यारो जो बटन प्रोब्लम कर रह्या सै उसी ने हटा दो सारा रोला ख़तम,यो मान लो के बटन ही ख़राब हो गया था डायरेकट कर दो, हम भी कभी - कभी घर के बिजली के बटन,टयूबवेल के मोटर के बटन को डायरेकट करते है,यो सारा मामला रेंकिंग का सै पसंद -नापसंद का सै, हमने तो भाई इस ते इतना मतबल कोणी, भाई एक म्हारे जैसे गांव के गंवार की भी बाते पाठको तक पहुच रही सै यो ही म्हारे लिए बड़ी बात है, चाहे उसका माध्यम कोई भी हो, जैसे भी अपनी नाराजी दूर करो ब्लोग्वानी फेर से चालू करो,आज सुबह से ही ठीक नहीं लग रह्या सै, जणू अपना कोई ख़ास आज म्हारे ते बिछड़ गया, मन्ने तो यो समाचार भी अविनाश जी की पोस्ट ते मिल्या, तो लोगो एक बार फेर रिटायर फौजी हवलदार ताऊ मनफूल सिंग का कहणा सै के ब्लोगवाणी चालू करनी चाहिए.
रमलू भी यो ही बात कह रहया सै,

आपका 
रमलू लुहार  

रविवार, 27 सितंबर 2009

जब मै पर्चा दाखिल कर रह्या सूं,तो इलेक्शन तो लडूंगा ही-फौजी ताऊ मनफूल सिंग

रमलू लुहार आज सारे काम जल्दी-जल्दी निपटाने लग रहा था,क्योंकि आज ताऊ को पर्चा भरना है,५ दिन से तैयारी चल रही थी,इलेक्शन में खडा होना कोई मामूली बात तो नहीं है, दो दिन तक तो पावला जी का जनम दिन मनाया कैंटीन की असली दारू थी, बूढों को जयादा चढ़ गई, रामेसर और बनवारी तो दो दिन खाट से ही नहीं उठे, बनवारी के दस्त लग गे,उसके दारू गर्मी कर गयी, इब कर गई तो कर गई, सारे के सारे ही बडे से बड़े उत सै,ताऊ तो पहले ही कह रहा था के कम चढाओ पण मान्य ही कोई नहीं, वो कह्या करे ना "चाहे जूते पडो हजार तमाशा घुस के देखेंगे" यो ही हाल इन बूढों का सै,इब इसमें फंस गया रमलू पूरी तैयारी रमलू नै ही करनी पड़ी,हरियाणे का इलेक्शन सै,वो भी गुडगावं विधान सभा सीट का बड़ा मुस्किल काम सै,एक ते एक पैसे वाले लोगो को पार्टियों अपने टिकट दिए हैं,यो अपनी सहारा पार्टी तो गरीबों की पार्टी सै,धन बल का मुकाबला जन बल ते ही हो सके है, तो ताऊ नै अपणे सारे सगे सम्बन्धी-रिश्तेदार-यार-मित्तर नै कह दिया के,कल पर्चा भरण जाणा सै,अपनी अपनी सवारी लेके आ जाईयो, सूबे ते ही सारे आण लग रहे सै, गावं की सीमा में ताऊ नै पूरी छोलों की बेवस्था करवा दी है, गोवर्धन हलवाई नै बैठा दिया,सबको खिलाओ,कोई भूखा नहीं जाणा चाहिए,फालतू कोई खाली पेट चक्कर खा के पडेगा ओर बदनामी ताऊ की होगी, रमलू नै सारा इंतजाम कर लिया पहले ते ही,वो गुरु सुलेमान के अखाडे के ४० पहलवान किराये में कर के आ गया था वो पहुच गए,अखाडे के पहलवानों की सेवा म्हारे यहाँ सारी पार्टियाँ लेती है,कईयों के तो खुद के ही अखाडे है,गाम के छोरे घर ते दूध पी के आ यही जोर लगते है, ३ ट्रेक्टर कर दिए, साउंड सिस्टम लगा दिया, बेनर ओर पोस्टर परमानन्द जी ने भिजवा दिए ओर दारू अपणे कोटे की ताऊ केंटिन ते लेके ही आ गया था, हरियाणे में फोजियों की नफरी ज्यादा है, हर गांव में ५० तो रिटायर फोजी मिल ही जायेंगे,ताऊ नै रिटायर फोजियों की एसोसिअशन से भी कह दिया था पूरी एसोसिएसन ताऊ के समर्थन में है,फोजियों की समस्या है,अगर एक फौजी विधायक बन जायेगा तो चलो अपना फौजी तो सै कुछ तो काम करेगा, यो कह के सारे फौजी भी अपणे साथ सै, ताई नै भी अपनी सारी भायली एकठी कर रखी है,सूबे ते ही घाघरी गोटेदार चमकाए कड़ी है, पूछ रही सै बर-बर में कब चालना सै? ताऊ भी अपनी डरेश लगा के तैयार सै, सर पे पगड़ी फौजी बुसशर्ट और निचे पतलून एक दम नोसे (दूल्हा) सा लग रह्या सै, रमलू नै पर्चा तैयार कर राख्या सै, ताऊ ने यो मिनी सचिवालय में जा के भरना सै, अरे चालो रे !!!!!!!! चालो टैम हो लिया इब चाल भी पडो फेर टैम निकल जायेगा, बनवारी नै जोर लगाया, रामेषर बोल्या - अरे धीरे जोर सुसरे कल तो तेरे दस्त लाग रहे थे, कड़े धोती ही ख़राब करेगा, बनवारी चुप हो गया, रामेषर नै तो साले नै मुफ्त की चौधर चाहिए,खुद तो कुछ करेगा नहीं और दुसरे नै भी नहीं करण देगा,शुम्भु बोल्या, चालो -चालो टैम मत ना लगाओ ताऊ बोल्या,
इब ताऊ का लश्कर निकल पड़या पर्चा दाखिल करण के लिए,भाई रेली की शान देखते ही बणे थी,सबते आगे ताऊ और ताई ट्रेक्टर के अंजन पे बैठे थे नोटों की माला डाल रखी थी, रमलू ट्रेक्टर चलावे था,४० पहलवान ट्रेक्टर के चारों तरफ मोटर सायकिलों पे पीछे ट्रेक्टर,जिप ,ऊंट गाड़ी, जुगाड़ सारी सवारी ही चल रही थी,अपणे ताऊ का टौर ही कुछ ओर सै, ताऊ की रेली में किसान जवान मजदूर रिटायर फौजी सारे ही आ लिए, आगे -आगे "खड़ी चोट बेन्ड पार्टी" का बेन्ड बाजण लगा रह्या है, छोरे भी अपना डी.जे. लेके आ गये,"गाना बजा राख्या है दीवाना राधे का" जोर दार डांस हो रहया है, ताऊ की चारों तरफ रोनक -रोनक, सहर के सरे नागरिकों से ताऊ हाथ जोड़ के राम-राम कर रह्या सै,ताई भी घूँघट में से हाथ निकल के हिला रही सै जणू इब्बे इटली ते ही आई सै, ताऊ का जलुश मिनी सचिवालय पहुँच गया, सिर्फ १० आदमियों ने ही फार्म भरण वाली जगह में जाणे की इजाजत सै,अपणे परधान परमानन्द जी पहले ही पहुच गए थे, ताऊ को फारम भरवाना था, निर्वाचन अधिकारी के सामने ताऊ नै पर्चे पे दस्खत करे, अधिकारी ने पूछ्या-ताऊ इलेक्शन लड़ रहे हो, म्हारे ताऊ का भी दिमाग घूम गया वो बोल्या-"जब मै पर्चा दाखिल कर रह्या सूं,तो इलेक्शन तो लडूंगा ही,नहीं तो या सारी बारात तेरी भुवा नै ब्याहण नै ले के आया सूं," वो बेचारा जवाब सुण के चुप हो गया, ताऊ का पर्चा दाखिल हो गया, बड़ी धूम-धाम सै,सारे पतरकार ताऊ के पीछे कैमरे लेके पड़ गए,बोल्ले ताऊ एकाध बाईट तो दे दे, ताऊ बोल्या " बाईट यूँ सड़क पे नहीं मिल्या करती" कल सारे म्हारे चौपाल पे आओ तो वही पतरकार सम्मलेन होगा खुली चौपाल में," आपको मेरा न्योता है, खाने पीने का पूरा इंतजाम रहेगा,यो कह के ताऊ नै सबसे बिदा ली ओर आगली तैयारी के लिए अपनी मण्डली को लेके गावं नै चल दिए.

मित्रों ताऊ की चौपाल में कल पतरकार वार्ता है, ताऊ रिटायर फौजी हवालदार मनफूल सिंग की आपने भी आना है, सबने ताऊ का निमंत्रण सै,जिसने ताऊ कहनी भूल गए उसने मै कह रह्या सूं,जरुर -जरुर आणा,



आपका 
रमलू लुहार 


(फोटो गूगल से साभार)

सोमवार, 21 सितंबर 2009

पावला जी को पहले जन्मदिन की बधाई,रिटायर फौजी ताऊ मनफूल सिंग की तरफ से


ताऊ बोल्या-अरे सुणियो रे लोगो आज सबके जन्म दिन की की खबर रखने
वाले बी.एस.पावला जी का जनम दिन सै,तमने पता हैं के नहीं
रमलू बोल्या- ताऊ आज तो मन्ने टाइम ही नहीं मिला इन्टरनेट पे जाण का
ताऊ बोल्या-अरे भाई सूबे ते ही पावला जी ने बधाई देने लग रहे हैं लोग चलो हम भी उनको शुभकामनायें दे दे
रमलू बोल्या -ताऊ पावला जी कितने साल के हो गए कुछ पता हैं आपको
ताऊ-बोल्या-जब ते तू किसी को जाणे,उसका जन्म दिन तो तब से समझना चाहिए मेरी तो कल ही बात हुयी थी पावला जी से रात को यो समझ ले कोई १४-१५ घंटे हुए होंगे,इसलिए में समझू सूं के पावला जी कोई आज साँझ तक एक दिन के होही जायेंगे कोई ज्यादा उम्र नही हैं,इब हम तो पके फल हो गए म्हारी भी उम्र लाग जाये पावला जी को,

ताऊ ओर रमलू लुहार ओर पुरे गाम की तरफ से पावला जी को पहले जन्म दिन पे हार्दिक बधाई
रमलू बोल्या-ताऊ फेर आज साँझ नै पार्टी होगी के नहीं,ढाबे वाली?
ताऊ बोल्या-अरे बावला इब पार्टी की बात करे से ,हम हरियाणा में ओर पावला जी भिलाई में
फेर पार्टी किस तरह होगी?
रमलू बोल्या - ताऊ न्यू कर ले पार्टी हम आज मना लेते हैं हरियाणा में ओर जब भिलाई जायेंगे तो पार्टी का बिल पावला जी दे देंगे के भाई तेरे पहले जन्म दिन  की खुसी मनाई थी उसका बिल हैं
ताऊ बोल्या-तू ठीक बोल्या, नु ए कर ले,साँझ ने जब तक बोतल ना खुलेगी तो फेर किसा जन्म दिन,अरे भाई अस्सी ओर तुस्सी नहीं पैग मारे तो मजा किस तरह आवेगा. 
रमलू बोल्या-नहीं ताऊ जन्म दिन जोर शोर से मानेगा तू चिंता मत कर मै इब्बे केंटिन ते बोतल ले के आऊं
ताऊ ओर रमलू लुहार ओर पुरे गाम की तरफ से पावला जी को पहले जन्म दिन पे हार्दिक बधाई वे शतायु हो ताऊ नै भी अपनी उम्र जोड़ दी हैं,मिला के गिन लियो,
खूब जमेगी मिलके, जब बैठेंगे दो दीवाने जमके 

आपका 
रमलू लुहार





रविवार, 20 सितंबर 2009

रिटायर फौजी ताऊ मनफूल सिंग की आप सब को ईद मुबारक

ताऊ नै रमलू ते पूछ्या-रमलू चाँद दिख गया
रमलू बोल्या-ताऊ चाँद तो मै देखता ही रहूँ सूं
ताऊ -अरे बावला आज के चाँद की बात करू सूं
रमलू-आज के चाँद की के बात सै,
ताऊ - अरे तेरे समझ में नहीं आया मै ईद के चाँद की बार करू सूं
रमलू- ओहो ताऊ इब समझ मै आई दिख गया कल ईद सै,कल ईद मनावेंगे जोर दार चलो सबने ईद की बधाई दे दे
आप सबने रमलू ओर  फौजी ताऊ मनफूल सिंग की तरफ से हार्दिक बधाई, हम सब तहे दिल से आपको ईद की मुबारकबाद देते हैं और मासूम अली रज़ा भाई के यंहा ईद की दावत में जायेंगे,
एक बार फिर से सबको ईद मुबारक  

फौजी ताऊ मनफूल सिंग का सिलेक्शन,ताऊ लडेगा इब हरियाणे इलेक्शन


आप सब ने रमलू की राम-राम ,
आज ताऊ की चौपाल साँझ नै फेर जम गयी आज ताऊ तो घर पे ही मोजूद था,दो दिन की गैरहाजिरी ताऊ की हमने लगा रक्खी थी,
शिम्भू नै पूछा-ताऊ आप कहाँ चले गए थे, पुरे दो दिन गायब थे,
ताऊ बोल्या-भाई शिम्भू बात यूँ हैं के वो अपना सै न गुडगांव आला परमानद जांगडा,उसने भाई नई पार्टी बनाई सै,इब इलेक्शन आरे सें न,उसने बुलाया था,पूछे था,के इलेक्शन लड़ना हैं के?
फेर आपने के कह्या? रामेषर बोल्या ,
ताऊ बोल्या-भाई बात यो हैं के पहले तो मेरे मन में इलेक्शन लड़ने की की कोई बात नहीं थी,पण परमानन्द का ब्योहार,काबिलियत पार्टी के उद्देश्य भी मेरे बिचारों से मिलते हैं, और गरीबों की बात भी समझे सै यो समझ के मन्ने इलेक्शन लड़ने का मन बना लिया,
पण ताऊ यो तो बता पार्टी का नाम के सै.-बनवारी बोल्या
ताऊ-भाई पार्टी का नाम से रास्ट्रीय सहारा पार्टी
सुखराम बोल्या-घणा सुथरा नाम सै ताऊ ,गरीबों ,मजदूरों,कामगारों,किसानो नै सहारा तो चाहिए,और या पार्टी एक दिन जरुर सहारा बनेगी,ताऊ यो तू  पहली बर कोई दिमाग आला काम करके आया सै,
ताऊ भोत बढ़िया सोच्या, हमने एक दिन यो भी काम करना था, यो तो आप शास्त्री जी के सपने नै साकार कर रहे सो, आप म्हारे हिंदुस्तान मै पहले आदमी होगे जो एक साथ किसान+जवान+नेता का रोल करोगे, वाह-वाह मौज होयगी,फेर ताऊ हमने के करना पडेगा, रमलू बोल्या
ताऊ बोल्या -रमलू इस इलेक्शन की पूरी जिम्मेदारी लिखा पढ़ी की तन्ने ही संभालनी पड़ेगी ,आज कल चुनाव लड़ना कोई बच्चों का खेल कोणी,कोई पहले की तरह कोणी के फारम भराया ओर खड़े होगे,आज कल तो चुनाव आयोग बहुत कड़े रूल निकल दिए ,मुतन का भी हिसाब देना पडेगा,
बनवारी बोल्या-नु हो गया ताऊ ,हमने तो पता  ही न था,
ताऊ बोल्या -भईयों पार्टी नै मेरी टिकट भी डिक्लेर कर दी सै ,काल के अखबारां में आज्या गा, पण तैयार इब ते ही करनी पड़ेगी,
सारे एक सूर में बोले-हम तैयार हैं ताऊ ,तू जो कहेगा सब हाजिर सै,तू हुकुम कर ,तेरे समर्थम में पूरा गाम खडा सै,हम अपने गम की इज्जत ख़राब थोड़े होने देंगे,जी जान लगा देंगे,यो समझ ले एक कुरुक्षेत्र की लडाई ओर लड़ ली
ताऊ भी राजी हो गया के अपने सारे साथी तैयार सै,
ताऊ बोल्या-तो थम सुन लो,परसुं फारम भरना हैं उसकी तयारी करनी पड़ेगी,
रामेषर बोल्या-ताऊ तन्ने ताई ते पूछ ली इलेक्शन लड़ने की ,मंजूरी ले ली, नहीं तो फेर झाडू ले के मिनी सचिवालय में तेरा जुलुस काढेगी,तेरी तो आरती होगी ओर थोडा भोत प्रसाद हमने भी दिल्वावेगा .
ताऊ बोल्या -रे मन्ने उस ते पूछ लिया से ,उसकी मंजूरी हो गयी सै, जब ही मन्ने थम ते कह्या सै, वो तो अपनी पूरी महिला मण्डली ले के तैयार सै,उसकी राधा स्वामी भजन मण्डली अपने इब कामआवेगी,
शिम्भी बोल्या- तो ताऊ फेर इलेक्शन की तयारी चालू करते हैं, अभी से,
अभी सै ,बावली बूच अभी से किस तरह चालू करेगा ,इसके लिए अपने आदमियों की मीटिंग बुला के पूरी पलानिग करनी पड़ेगी, रमलू नै सलाह दी
शिम्भू बोल्या-अरे रमलू मै नु कहे था के एक-एक- घूंट मार  लेते तो तयारी चालू हो जाती, भाई बिना दवा-
दारु के किसा इलेक्शन,
अरे शर्म कर रे बूढे,गांव बस्या ही नहीं डकैत पहले ही आ गए, रामेषर बोल्या,
ताऊ सबकी बात सुणे था चुपचाप,पुराना फौजी आदमी,नियत डोल ही गयी
ताऊ बोल्या-चालो यार इलेक्शन तो लड़ना ही सै, शिम्भू भी अपना ही आदमी सै, उसका मन मै नहीं मार सकता चालो एक-एक क्यूँ  दो-दो घूंट हो जाये, पर कल सबेरे बैठ के सारा प्रोगराम तय करना सै,ओर शाम नै यहीं पे आके पूरी तयारी का जायजा लेना सै,कड़े कोई कमी रह जाये उसने भी पूरी करनी सै,
चलो रे भाई ठेके पे ,थारी ताई नै बस पता नहीं चलना चाहिए,बाकी सब ठीक सै,
नु कहके सारे इलेक्शन की तयारी करने चल पड़े,

आपका
रमलू लुहार

(फोटो गूगल से साभार)

गुरुवार, 17 सितंबर 2009

फौजी ताऊ की चौपाल में कविताई

शाम नै फेर ताऊ की चौपाल जम गयी पर ताऊ नै आया,सबने चिंता होने लग गयी के ताऊ गया तो गया कहाँ ,
बनवारी बोल्या-रमलू आज ताऊ नहीं आया मन्ने हुक्का भी सिलगा लिया चिलम भी भर लाया,
रमलू बोल्या गया होगा कहीं काम से आ जायेगा, रामेषर बोल्या -रमलू जा पूछ के आ के ताऊ गया कहाँ,
रमलू बोल्या -किस ते पुछू ?
शिम्भू बोल्या -ताई ते पुच्या. मैं कोणी जाता मन्ने ताई ते डर लगे हैं, जाते ही सौ सवाल खडे कर देगी,रमलू बोल्या,
राधे बोल्या - अरे बूढे शिम्बू तेरी अकाल ख़राब हो रही सै, तू बूढी ने ताई बोलता हैं,तेरी तो भाभी लगे सै,
शिम्भू बोल्या-बुढापे में बालक ओर बूढे की एक ही मति हो जाती हैं ओर ताई कह भी दिया तो के फर्क पड़े सै ,म्हारे बच्चों की तो ताई हैं, सोच ले म्हारी भी ताई ही समझ ले ,जा बातों की खराद मत उतर पूछ के आ
रमलू पूछे गया तो ताई नै बताया के सरपंच के साथ जाने वाला था फेर गया के पता नहीं, फेर बोली याद आया वो तो सुखराम के साथ बैल गाड़ी पे बैठ के एक गाम में गया हैं, बतावे था के सुखराम कीछोरी नै उसकी सासू घणी परेशान करे सै,तो गाम मै पंचायत होगी उसमे ही गया सै, रमलू जवाब लेके वापस आया ,ओर सबको ये बात बताई , बनवारी बोल्या- यार आज की साँझ ख़राब हो गयी ताऊ भी ना पाया,
रामेसर बोल्या कैसे ख़राब होय गी, आज मै ताऊ पे एक कविताई बना के लाया हूँ, वो सुनो,
राधे बोल्या -अरे तू कवी कब से हो गया, सुसरे इस्कूल का तो तनने मुह नहीं देख्या,
अरे कविता करने के लिए के इस्कूल जाना जरुरी सै, अपने मन में याद कर ले फेर किसी पढ़े लिखे मास्टर ते डायरी में लिखवा ले, यो बात तो पते की कही,हमारे देश में इतने कवी हुए के उनके पास डिग्री थी ओर बड़े
बड़े ग्रन्थ लिख मारे ,बहोत बढ़िया सुना भाई ,शंभू बोल्या,
रमलू बोल्या - अरे रोला मत मचाओ भाई प्रेम ते कविताई सुनो रामेषर की,
ताऊ मनफूल सिंग का पाया नहीं ठिकाना
इब उस फौजी नै मन्ने ही ढूंढ़ने पडेगा जाना
बहोत बढ़िया वाह -वाह कर दिया कमाल,यो कविता तो इसने म्हारे ताऊ पे बने हैं, चल आगे बोल, रमलू बोल्या
या मिलेगा फेर तन्ने रमलू की गोल मॉल में
या मिलेगा फेर तन्ने गांव के अल्हड चाल में
या मिलेगा फेर तन्ने गुरतुर गोठ की ताल में
या मिलेगा फेर तन्ने एक लोहार की टाल में
या मिलेगा फेर तन्ने ललित डॉट के माल में
या मिलेगा फेर तन्ने ललित वा
बोल्डणी के जाल में
या मिलेगा फेर तन्ने शिल्पकार की पड़ताल में
या मिलेगा फेर तन्ने जंतर-मंतर की हड़ताल में
या मिलेगा फेर तन्ने अपने घर के ही जंजाल में
रोज मिलेगा फेर तन्ने ताऊ साँझ की चोपाल में

वाह भाई वह बड़ी बढ़िया कविता सुनाई, मजा आ गया जी सा आ गया ,बनवारी बोया, चलो भाई आज की सभा ख़त्म करो कल मिलेंगे जब ताऊ आ जायेगा,
सबने राम -राम

बुधवार, 16 सितंबर 2009

मैडल वाला मुक्का जणू इसने ही मारया हैं-ताऊ फौजी मनफूल सिंग की चौपाल

ताऊ के घर के आगे नीम का पेड़ सै,आज साँझ नै अपनी चौपाल फेर जमने लग गई,लगभग सारे लिए पर ताऊ नही आया,सारे ताऊ का इंतजार कर रहे थे ,
रमलू बोल्या -"कल दोपहरे में ताऊ कह गया था के सारे बुड्ढों को बता देना के कल हिन्दी दिवस मान्या गया है सबको अपनी बोली में ही हिन्दी बोलना है,
रामेसर बोल्या-यो ताऊ हिन्दी दिवस कब मना गया हमने तो पता ही नही चाला,
बनवारी बोल्या-अपने हिंदुस्तान हिन्दी दिवस यूँ ही मनाया जाता है, के किसी को पता भी ना चाले और हिन्दी दिवस भी मन जा,
भाई क्यूँ हिन्दी के पीछे पड़ रहे हो, जब दिवस मन गया तो मन गया जब अपने ताऊ नै कै ही दिया सै तो मान भी लो और सारे हिन्दी बोलो,रामधन बोल्या
इतने में ताऊ भी आ गया
शिम्भू बोल्या-ताऊ राम-राम,
ताऊ बोल्या राम-राम,
भाई आज आपने देर हो गयी -रमलू बोल्या
अरे भाई आज म्हारे गाम में गुल्ली डंडा संग के अध्यक्ष का चुनाव था,
बड़ा हंगामा हुआ जैसे लाडू बाँट रहे हों,ताऊ बोल्या
रमलू बोल्या " तो ताऊ आपने भी परधानी का फार्म भरया था के ?
भरया तो था रे भाई, लेकिन हमने तो कुण जितने दे था. वहां तो बड़े बड़े आदमी आये थे लम्बी लम्भी गाड़ियों में बैठ के,
तो ताऊ अपना गुल्ली डंडा के सारे देश में इतन प्रसिद्ध हो गया जो इतने बड़े बड़े आदमी आये थे प्रधानी करने के लिए. रमलू बोल्या,
ताऊ बोल्या-अरे भाई पहले तो हुक्का भरो,अरे बनवारी चिलम सुलगा के नहीं लाया, सुसरे
आज ठाली बैठा हैं,
बनवारी बोल्या-नहीं ताऊ आपका इंतजाम तो मै आपके आने के पहले ही तैयार रखता हूँ, यो ले,
ताऊ नै एक सुट्टा मार के लम्बी सास भरी और बोल्या - अरे भाई यो परधानी इलेक्शन इतना बड़ा हो जायेगा मन्ने पता नहीं था, गाम में जैसे मेला लाग गया हो, सकुल के पास एक ने हलवाई बैठा दिया था,वो पूरी छोले मुफ्त में खिला रहा था,एक कंडीडेट ने जलेबी और दूध की ही दुकान लगा दी थी,अपने मुफ्त में खाए जाओ,
मन्ने हलवाई ते पूछ्या- छोरे तू ये बता तेरे को यहाँ ये मुफ्त की दुकान किसने लगवाई हैं?
हलवाई बोल्या - वो अपना सेठ हैं न बनिया रोडूमल उसने लगवाया हैं, वो भी खडा हैं न परधानी के लिए सबको मुफ्त में देशी घी की जलेभियाँ और इमरती खिला रहा सै,
अरे भाई इसकी बाम्बे में फैक्टरी भी सै ना-ताऊ बोल्या
हलवाई बोल्या - ताऊ इसकी मोबाइल की फेक्ट्री सै, सबने एक -एक मोबाइल भी देगा फ्री में,
तो भाई बता रमलू सारी जिन्दगी बचपने में गुल्ली डंडा हम खेले हमारे बाप दादा खेले और म्हारे बच्चे भी खेल रहे सै,ताऊ बोल्या
ताऊ तो अपने ज़माने में गुल्ली डंडे का एक लम्बर का खिलाडी था तुने तो परधान बनना जरूरी था?तू परधानी करता तो कम ते कम गुल्ली डंडा ओलम्पिक में शामिल तो हो जाता और गोल्ड मैडल अपने देश नै ही मिलता, रामेषर बोल्या,
ताऊ एक लम्बी साँस खीच के बोल्या, अरे भाई देख यो काम तेरे मेरे बस का नहीं हैं, आज जिसके पास पैसे हैं रुतबा हैं दिल्ली की गलियां जिसने जाने सै ये काम उसका हैं, सेन्ट्रल गोरमेंट नै खेल का अलग फंड बना रख्या सै, उसे सै ये खेल संघ नै पैसे देके चलावे सै, जब बिदेशां में कोई बड़ा टूर्नामेंट होसे तो ये हवाई जहाज से जा सै, अपनी लुगाई नै भी साथ ले जा सै चल घूम के आ जाना कहके,
रमलू बोल्या- तो यो बात सै ताऊ, तो अपने बच्चों को भी ले जाते होंगे?
ताऊ बोल्या- तू बच्चों की बात करता हैं ये मालिश करने वाले भी साथ में जाते हैं,नाम खिलाडियों का होता हैं और मालिश अपनी करवाते हैं, जब कोई खिलाडी अपनी मेहनत और काबिलियत ते जीत जाता हैं तो उसके साथ अपनी फोटो ऐसे खिचवाते हैं जैसे यो मैडल इसने ही लड़ के जित्या सै,
बनवारी बोल्या-हाँ मन्ने देख्या था जब अपना बिजेंद्र मैडल जिताया तो सारे फोटू खिचाने ऐसे कूदे के जणू मैडल वाला मुक्का इन्होने ही मारा हैं,
ताऊ बोल्या - के जमाना आ गया, जिसने कभी हाकी देखि नहीं वो हाकी संघ का प्रधान, जिसने कदे तीर धनुष नहीं देखा वो तीरंदाजी का प्रधान जैसे पुरे महाभारत की लडाई में गुरुद्रोन का परथम शिष्य वो ही था,जिसने कदे फुटबाल के एक भी लात नहीं मारी वो फूटबाल संघ का प्रधान,बना फिर रहा हैं,
बनवारी बोल्या- बताओ फेर देश को मैडल किस तरह मिलेगा? बड़े शर्म की बात सै सवा करोड़ की जनता में एक सोने मैडल लिया वो भी अपने दम पे लेके आया तो नाम रह गया नहीं तो नाक कटी की कटी पड़ी थी,
रमलू बोल्या-भाई यो सोचना देश की जनता का काम सै,आगे ऐसे आदमी चुन के भेजो जो जो म्हारे देश के खिलाडीयों के बारे में सोचे और खुद भी इन्टरनेशनल खिलाडी हो, उसका अनुभव ही हमें मैडल दिलाएगा,
ताऊ बोल्या-रमलू तुने सही बात कही ऐसा दिन हमको लाना ही पडेगा।नेताओं के लिए मेरी ये ही सलाह हैं की भाई तुम देश को चलाओ और खिलाडीयों को खेलने दो खेल संघ चलाने दो,चलो रे भाई दिया बत्ती का टैम हो गया सै,
रमलू बोल्या-ताऊ कल की पाकिस्तान की लडाई का किस्सा तो अधुरा ही रह गया,
ताऊ बोल्या-अरे मै अभी जिन्दा हूँ मरया कोणी फेर किसे दिन सुना देंगे,तुमने तो मन्ने इस लफडे में ही उलझा दिया ,चलो रे भाई सबने मेरी राम-राम

आपका

रमलू लुहार

 

फ़ौजी ताऊ की फ़ौज