मंगलवार, 8 सितंबर 2009

बता तू अकल बड़ी के भैंस

ताऊ ने काल एक कविताई लिखी थी पण कम्पूटर महाराज की मेहरबानी तै आप तक नही पहुँची,इसलिए या कविताई आज आप तक पहुंचान की कोशिश हो रही सै। या कविताई गाम के भोले भाले ताऊ की बनाई हुई है। आपके समझ में आ जा तो आछी बात है, और ना आवे तो धैर्य ना खोके उत्साह बढ़ाना।
ताऊ बोल्या मै पूछूं था

बता तू अकल बड़ी के भैंस
मास्टर जी ने सवाल लगाया के बतावे सुरेश
भैंस में तै पाड़ी घटाई झोट्टा रह गया शेष
बता तू अकल बड़ी के भैंस

जाडा भोत पड़े था भाई खूब लगाई रेस
पहले तो कम्बल ओड्या उस पे डाला खेस
बता तू अकल बड़ी के भैंस

कुत्ते के पिल्लै पकड़े उसके मुंडे केश
बिना उस्तरे नाइ मुंडा ताऊ पे चल्या केश
बता तू अकल बड़ी के भैंस

बिना चक्के की गाड्डी चाली रेल उडी परदेश
गार्ड बेचारा खड़ा रह गया देखे बाट नरेश
बता तू अकल बड़ी के भैंस

एक पेड़ पे चालीस चिडिया तभी घटना घटी विशेष
शिकारी की एक गोली चाली बच गई कितनी शेष

बता तू अकल बड़ी के भैंस


सबने मेरी राम राम

आपका
रमलू लुहार
रामपुरा वाला

 

फ़ौजी ताऊ की फ़ौज