गुरुवार, 20 अगस्त 2009

अरे भाई! फोटू देख के फंसियो न कोय


बात यूँ हुई के म्हारे ताऊजी के छोरे का ब्याह था। तैयारी बड़ी जोर-शोर ते चल रही थी। एक दिन ताऊ मेरे धोरे आए ओर बोल्ले- एँ रे रमलू तन्ने बेरा कोणी के राधे का ब्याह आखा तीज का मांड राख्या सै। तूं अडे आडा पड्या सै। चाल मेरे साथ घोडी करण चालना सै। मन्ने मन ही मन में सोच्या वाह रे ताऊ मेरे ब्याह में तो झोट्टा (भैसा) तक ल्याण ने कोन्या था इब अपने पूत के ब्याह में घोडी ढूंढे सै । चालो ताऊ जी बोल के मै तयार होग्या। दोनु जणे मोटरसायकिल पै बैठ के शहर चाल पडे। मेरे धोरे बुलेट मोटरसायकल थी। उसमे थोडी खराबी आ रक्खी थी। चालते-चालते मोटर सायकल मिसफायर करया करती। मेरे मन में आज ताऊ की परेड कराण की मन में आयगी। मै ताऊ ते बोल्या - ताऊ इस मोटर सायकल में माडी सी खराबी आ री सै। या जब गर्म हो जा सै । तो इसके इंजन में बम सा पाटे सै, इसी बात होगी तो मै गाड़ी रोकूंगा ओर तू उतर के भाज लिए। ब्याह का टैम सै । किते चोट - फेट लाग गी तो लोग सोचेंगे , के ताऊ दारू पीके पड़ मरया मुफ्त में बदनामी होगी ताऊ बोल्या ठीक सै। थोडी देर बाद गाड्डी ने मिसफायर करया मन्ने झट ब्रेक लाया ओर गाड्डी पटक के भाज लिया , आगे -आगे मै पीछे -पीछे धोती की लाँग पकडे-पकडे ताऊ। मै एक किलोमीटर भाज्या होऊंगा। ताऊ की हालत ख़राब, बोल्या- मन्ने बेरा होता तो बस ते ही आ जाता। माटी ख़राब तो नही होती। मै बोल्या ताऊ इब न होवे चाल बैठ ले । हम शहर पहुँच गे ।इब आगे की कहाणी सुण ल्यो। हम घोडी आले के पंहुचे , उसने क्या इक्यावंसो लूँगा ,ताऊ मोल-भावः करण लाग्या तो घोडी आला बोल्या देख ताऊ आखातीज का सावा सै। तेरी समझ में आवे तो दे बयाना घोडी टैम ते तेरे घर पहुँच जायेगी। तो ताऊ बोल्या पहले घोडी दिखा। तो घोडी आले ने बताया के घोडी तो ब्याह में जा रही सै। उसकी फोटो दिखा सकूँ सुं। घोडी वाले ने फोटो दिखाई घोडी धोले-चिट्टे (सफ़ेद) रंग की तगडी जानदार थी। ताऊ ने फोटू देख के बयाना दे दिया। हम घर आ गे।आखातीज का दिन भी आगया , निकासी की तयारी हो ली थी । बच्चे चिल्लाने लगे "घोडी आगी-घोडी आगी" मन्ने बाहर निकल के देख्या तो घोडी तो मेरा मटा खूब सजा कै लाया था। घोडी पै दूल्हा बैठ गया निकासी चालु हो गई। गाम का चक्कर काट लिया। जब दूल्हा घोडी ते उतरया तो कूद के घोडी पे एक छोरा चढ़ गया। चढ़ते ही उसे एड लगाईं, लगते ही घोडी बेहोस हो के पड़ गयी. घोडी वाले ने रोला मचाना (चिल्लाना) शुरू कर दिया- मेरी घोडी मार दई-मेरी घोडी मार दई, इतनी देर म्हारा सरपंच आया बोल्या के रोला मचा रख्या सै। घोडी वाले ने सारा किस्सा बताना,सरपंच ने घोडी के ऊपर का कपडे का श्रृंगार हटवाया और घोडी के कान में एक फूंक मारी घोडी उठ के खड़ी होगी ताऊ भी खड़े होके देख रह्या था. उसने देख्या के घोडी के तो बाल भी उडोडे थे, घोडी तो एक दम बूढी थी. ताऊ का छोह (गुस्सा) सातवें आसमान पे था. उसने कहा- के साले ठगी करता है. जो घोडी तुने बताई थी ये वो नहीं है. घोडी वाला बोला" मन्ने घोडी ना दिखाई उसकी फोटू दिखाई थी. ताऊ बोले वो तो जवान ठाडी गोदी की फोटू थी और ये बूढी फूस पड़ी है. घोडी वाला बोला ताऊ मै झूठ नहीं बोलता घोडी वाही सै. पण थोडा सा फर्क यो सै के जो फोटू मन्ने दिखाई थी वो "इसकी जवानी की थी." ताऊ के साथ तो चाला हो गया.जवान की फोटू दिखा कै बूढी थमा दी. यो तो थी ताऊ के साथ धोखाधडी की बात,एक नया किस्सा सुण...................म्हारे सरपंच का छोरा फुलसिंग कॉलेज में पढ़े सै। होया नु के आज कल कम्पूटर पे इंटरनेट से दोस्ती-दोस्ती खेलने का काम चल रह्या सै। उसने उसमे भी भाग लिया.गांव का छोरा तो था ही.उसने ऑरकुट में अपनी पिछाण बनाई. जैसे ही ऑरकुट का पन्ना खुल्या उसने एक सोणी सी छोरी की फोटू दिखी. उसने उसके बारे में जानकारी लेने की कोशिश करी,लेकिन बात तो नु थी ना पहले दोस्त बनो फेर फोटू दिखेगी उसने दोस्ती का हाथ बढा दिया. उस छोरी ने दोस्ती कबूल कर ली. जब छोरे ने उसकी फोटू का अलबम खोल्या तो उसमे उसके बेटे के ब्याह की और उसके पोते के कुआ पूजन की फोटू थी. बेचारा फुलसिंग "फूल" बन गया. तो इस तरह के धोखे देने वाले तो पग-पग पे मिले हैं. लुहार ने इसका तोड़ यो पाया के भाई सौदा अपनी आँख के सामने देख के करो नहीं फेर थारी भी निकासी रूंग (बाल) उडी घोडी पे ही निकलेगी.
ताऊ के बेटे,पोतों,भतीजे,भतीजियों,सरपंचो,सबने लुहार की राम-राम,मेरी सलाह अच्छी लागी हो तो भाई एकाध कार्ड इंटरनेट पे लिख दियो।इससे मुझे पता चल जायेगा के भाइयों का प्यार मेरे जैसे को मिलन लाग रह्या sai.



आपकारमलू लुहार

बुधवार, 19 अगस्त 2009

जय बोलो ठाणेदार की।

ताऊ जी राम- राम ,

या कविताई थारी नजर करूं सुं। बालक का ध्यान रखियो.



जय बोलो ठाणेदार की



निसदिन जो करे प्रतिज्ञा, मानव के कल्याण की,

आज सुना रहा हूँ मै गाथा,धरती के बलवान की,

जय बोलो ठाणेदार की,



सर पर मुकुट सोहे है उसके, कटी शास्त्र भी धरता है,

हस्त दंडिका लेकर चलता ,तब अम्बर भी हिलता है,

है मजाल कोई आए सामने, जय बोलो ठाणेदार की,



एक सो इक्यावन से अभिमंत्रित,अमोघ अस्त्र तेरा है,

चोर,उचक्के,ठगी, जगियों का,थाना ही अन्तिम बसेरा है,

बिना लड़े ही चित्त कर देता, जय बोलो ऐसे प्रहार की,

जय बोलो ठाणेदार की,



तेरा अभय paate ही ,निर्बल भी निर्भय हो जाता है,

करे वंदना सभी उसी की, जो तेरा आशीष पता है

गुननिधि, बल विशारद , जय बोलो महा उदार की,

जय बोलो ठाणेदार की



जिस पर तेरी किरपा होती, वो बंधन मुक्त हो जाता है,

वह प्राणी मृत्युलोक मै भी, स्वर्ग लोक का सुख पता है,

कृपा पात्र को धन्य करता, जय बोलो बड़े सरकार की

जय बोलो ठाणेदार की,


जन-मन-गन निसदिन ,तुझको ही ध्याता है,

कोटि तीर्थ सम फल पके, भवसागर तर जाता है

दुष्ट भंजक विधि के रक्षक ,जय बोलो करुनागार ,

जय बोलो ठाणेदार की, जय बोलो ठाणेदार की,




आपका


रमलू,

मंगलवार, 18 अगस्त 2009

"हट जा ताऊ पाच्छे नै"











यो ले भाई,
इब हम भी आगये मैदान में,
बात या थी के जित भी जाओ उत ब्लॉग की ही चर्चा हो री सै, एक दिन में भी इंटर नेट पै था। तबी सामने ताऊ डाट काम का ब्लॉग आ गया। में तो बावला होगया जी , अरे भाई म्हारे ताऊ जी अडे पहले ही पहुच गये मन्ने तो बताया भी नही आप पहले ही पुन्च गे। ताऊ बेटे का रिश्ता म्हारे हरियाणे में बड़ा ही मधुर होया करे। बाज्जे वालों ने गाना भी बना दिया - "हट जा ताऊ पाच्छे नै नाचन दे जी भरके नै"
तो बात या है पुरे हरियाणा के छोरे इस ताऊ तै ही दुखी हो रहए हैं। ना खान दे ,ना पीने दे , ना नाचन दे, ताऊ इब जमाना बदल गया, छोरों के साथ नाच्चो कुद्दो मौज मनाओ। ज्यादा परेसान करोगे तो चाँद मोह्ह्म्म्द ने रास्ता तो बता ही दिया सै। बाप्पू दुखी कर राख्या सै । इसी फिजा लाया के पुरे खानदान की ही फिजा ख़राब करके धर दी । तो दुनिया के जितने भी बड़े-बड़े ताऊ जी सै, इनने यो ही सलाह सै के इब मान भी जाओ । और छोरों ने नाचन दयो।
एक बात तो में बतानी भूल ही रह्या था। कुछ दिन lट्रेन में आ रह्या था । मेरे सामने वाली बर्थ पे दो महिलाएं और एक छोट्टा बच्चा था, दिल्ली सै गाड्डी चालली। आगरा में और पेसेंजर चढ़े , उनकी सिट पे जगा देख के बैठ गये । बोलले आगले टेसन तक जाना है। फेर आगले टेसन पे दूसरी सवारी भी चढ़ गयी ,उन्हें भी आगले टेसन जाना था। जब आगले टेसन पे सिट खाली हुयी तो में बोल्यो "माता जी आप अडे सो जाओ नही तो फेर कोई और बैठ जा गा । तो वा बोली" तनने में माताजी laagu su ? तेरे ते कोई एक दो साल मेरी उम्र छोटी ही होगी।" मेरे तो सांप सुंग गया ,काटो तो खून नही। मेरे ते रह्या नही गया "क्यूँ के बोले बिना रह नही सकता हरियाणे की इज्जत का सवाल था" तो मन्ने पूछा "ये छोटा बच्चा आपका पोता है के दोहिता? वा बोलली "दोहिता" में बोल्या "फेर तो हकीकत में मेरी उम्र आपसे बड़ी है।इससे बड़ा तो मेरा पडपोता है।"
तो ताऊ जी बड़ा खराब जमाना आ गया सै। बहन जी कह दो जीजा जी मुफ्त में लो, भुआ कह दो फूफा साथ में मुफ्त में लो और अगर फूफा हो ही गया तो सारे रास्ते फेर उसकी सेवा करो, उसका हुक्का भर के लाओ।
आख़िर में "लुहार" नै उसका यो ही तोड़ पाया के "मैडम" बोलो और आनन्द में रहो।
ताऊ के सारे बेटे पोतों को मेरी राम-राम
(और भाई कोई सलाह देनी तो मेरा घर का किवाड़ २४ ghante खुल्ला सै। क्यूँ के बंद किवाड़ तो बाल-बच्चेदारों के ही मिलगे देश की जनसँख्या जो बढानी से )

आपका
रमलू

 

फ़ौजी ताऊ की फ़ौज