गुरुवार, 22 अक्तूबर 2009

मैंने तो हार के भी बहुत कुछ पाया सै- फौजी ताऊ मनफूल सिंग का कहणा

आज ताऊ की किस्मत का फैसला होणे वाला सै. आज ताऊ के वोटों की गिनती होगी. तडके ते ही ताऊ, रमलू, बनवारी, रामेषर, शिम्भू. भोला, चन्दरु, कमली, राधे, चुन्नू, चौधरी, सारे मतगणना स्थल पै पहुँच गए. भाई जब इतनी मेहनत करी सै इलेक्शन में तो वोट गिणन जाणा ही पड़ेगा. सारे अपने "जुगाड़" पे बैठ के चल पड़े.
ताऊ-"के होगा रमलू?"
रमलू-"ठीक ही होगा ताऊ. आपां इलेक्शन जितांगे"
"यार मन्ने तो कुछ गड़-बड लागे सै"
"क्यूँ"
"वो मनी राम सै ना! सुसरे ने घणे ही रुपये बांटे सै."
"कोई बात ना ताऊ. जो होगा देख्या जायेगा" शिम्भू  बोल्या
वोटां की गिनती चालू होयगी. ताऊ तो सारे राउंड मै मनी राम ते पीछे चल रह्या सै. आखरी राउंड में ताऊ मनी राम से ८३४५ वोटों से हार गया.
ताऊ बोल्या"चालो भाई लोगो-घर चालो"
"यो किस तरह हो गया ताऊ हमने तो समझ में ही नहीं आया"शिम्भू 
"होना के था इब चौपाल में ही चल के बात करेंगे" ताऊ बोल्या
सारे चौपाल में पहुचे, देख्या तो पूरा गांव इक्कट्ठा हो रह्या था. सबके मुह उतरे हुए थे. जैसे कोई घणा बड़ा शोक का काम हो गया. ताऊ नै सबसे पहले उनसे कहा कि" भाईयों! आप इस तरह किस चीज का शोक मना रहे हो? अरे भाई!दो लडेंगे तो एक ही जीतेगा. दोनों नहीं जीतते. और मेरे धोरे तो कुछ था ही नहीं खोने के लिए. मैंने तो हार के भी बहुत कुछ पाया सै. वो दुनिया की सबसे कीमती  चीज सै "आपका प्यार". आपने मन्ने जीताने में कोई कसर नहीं छोड़ी. मनी राम नै मुझे हराने में कोई कसर नहीं छोड़ी वो जीत गया. भाई उसने तो एक रात मैं ही तख्ता पलट दिया, इतने नोट बांटे के सारे गांव नोटों से भर दिये. और पैसा भी ऐसी चीज है बड़ों बड़ों का इमाण ख़राब कर दे सै. इसमें किसी की को गलती नहीं सै. मैं पैसे से कमजोर था. मेरे धोरे तो सिर्फ लोगों का प्यार था देने के लिए. फेर मैं ठहरा फौजी, सारी चीजें और विरोधियों के ओछे हथकंडे मैं समझ नहीं पाया. क्यूँ की!हमने तो छल करना सिख्या ही नही. जब तक हमारे देश में इलेक्शन मे रुपयों से वोट ख़रीदे जायेंगे तब तक हमारे जैसे लोग हारते ही रहेंगे. इब इस देश पे राज पैसे वाले  ही कर सकते हैं. सारे ही करोड़ पति-अरब पति खड़े थे. सिर्फ मैं ही ऐसा था जिसके पास पैसे नहीं थे. वो तो आप लोगों का साहस और हिम्मत थी के मैं इलेक्सन लड़ गया. कुल मिला के मेरी जीत चोरी हो गई, मनी राम नै मेरी जीत चुरा ली. कोई बात नहीं, इब आगे और इलेक्शन आवेगा. और लड़ लेंगे. इब यो तो पता चल गया कुण से वोट बीकन वाले सै, भाई हमारी लोकप्रियता में तो कोई कमी नहीं थी, बस वोट ही नहीं पड़े.
"ताऊ एक बात बताऊँ- " मधु लिमये गोवा मुक्ति आन्दोंलन में गोवा की जेल में बंद थे. उनको जब जेल से छोड्या गया तो गोवा ते बम्बई तक सड़क के दोनों तरफ लगभग २० लाख लोगों ने उनका सुवागत किया था, जब मुंबई से इलेक्शन लड्या तो ८०० वोट मिले थे. वो भी बहुत परसिद्ध आदमी थे पर उनकी प्रसिद्धि वोट में नहीं बदल सकी. यो तो मजबूत लीडर के होता ही है." रमलू बोल्या.
ताऊ बोल्या-" भाइयों इस चुनाव में जिसने भी मुझे वोट दिये ,मेरी सहायता करी, उन सबका मै धन्यवाद करू सूं, इब आराम करण दयो, बाकी बात बाद में करेंगे. आप सबने मेरी राम-राम,



आपका 
रमलू लुहार


 

 

फ़ौजी ताऊ की फ़ौज