सोमवार, 5 अक्तूबर 2009

फौजी ताऊ के"लालटेन लाइट"डिनर में उड़न तश्तरी

आज ताऊ नै टुब वेळ पे उड़न तश्तरी की आण की ख़ुशी में पार्ट्री रखी सै, टुब वेळ पे पार्टी रखने कारण यो सै के एक तो गाम ते दूर सै, ओर कोई सा बुढा टल्ली भी होयगा तो भी कोई समस्या कोणी भले ही खेतों में रात भर भाषण दिए जावे, इलेक्शन का टैम से कोई नै मना भी नहीं कर सकते,रमलू कैंटीन ते ताऊ का महीने का कोटा लेने गया सै, रात का ८ बजे का टैम सै पार्टी का ताऊ के चमचे तेयारी करण लग रहे सै. रसोइए का काम बनवारी नै संभाल रख्या सै, पत्थरों का चूल्हा बना के हांडी चढा रक्खी सै,उसमे तरी बना रहया सै ओर मुर्ग मुस्सलम  की डिश तेयार हो रही सै,ताऊ ने अपणे खास फौजी दोस्त कप्तान सिंग जाट नै भी बुला रख्या सै, ठीक ८ बजे उड़न तश्तरी की सवारी लेके ताऊ पहुच गया, टेबल तो थी कोणी "ऊंट का गाडा" के चारों तरफ कुर्सी लगा रखी थी उसके उपर दरी बिछा के बढ़िया सुन्दर गुलदस्ता लगा के बीच में लालटेन रखी थी मतबल ताऊ के गाम का "लालटेन डिनर" था, इतनी देर में रमलू भी आयटम लेके आ गया उसने पूछा बनवारी ते -क्यूँ सामान तेयार सै सब, बनवारी बोल्यो- के बताऊँ यार रमलू थोडा लेट सै, वो सुसरी मुर्गी खुल गयी तो भाज गई थी रामेषर दुबारा लेके आया सै बस १५ मिनट मै सब तेयार सै, तू चिंता ना कर जब तक पनीर लेजा मैंने बढ़िया बना दिए अपणा कार्यक्रम चालू करो, रमलू आयटम लेके डिनर टेबल पे पहुँच गया, देखते हैं के अपणे परमानद जी पहुच गे अपनी सेना लेके,उतरते बोले फौजी चिंता मत कर मै सामान साथ लाया सूं किसी छोरे नै भेज के गाड़ी में से उतरवाले,भाई आज तो सारी मण्डली ही बैठ गई पहला दौर चालू हुआ उड़न तस्तरी के नाम ते,बातचित चल रही थी, बीच मै शिम्भू बोल्या-ताऊ सुणया सै बिदेश मै आज कल एक सपेशल सवारी चल रही सै, जिसमे ना तेल लगता,ना उसका इंजन आवाज करे,ना उसने घोडे-गधे जैसे खिलाने की जरूरत, वो तो दाना ही चुगे सै,दो पैर की सै,और आदमी उस पे चढ़ के बाजार जा के सारे काम करके आ सके सै, मन्ने तो म्हारे गाम का वो नौबत सै ना वो कह था, फेर मै सोचु था कोई बिदेश ते आवे गा उस ते पूछूँगा, इब समीर भाई आ रहे सें तो सोच्या पूछ ही लूँ हो सके सै एकाध ऐसी सवारी इनने भी ले रखी हो, ताऊ बोल्या-हाँ भाई समीर बता के यो बात सच्ची सै, समीर बोले -हाँ ताऊ यो बात सच्ची सै के इस तरह का एक प्राणी तो हो सै पर उसका सवारी में काम लेते मन्ने देख्या नहीं, रमलू बोल्या-कोण का जानवर हो सै, समीर बोल्ले-उसने ताऊ "ईमू" कह सै यो आस्ट्रेलियन चिडिया सै, ओर दो पैर की हो सै दाना चुगे सै चले भी घणी सै ओर ६ से७ फुट तक की ऊँची हो सै पण इसका दिमाग छोटा हो सै,सिर्फ डेढ़ इंच का इसलिए यो जयादा सोच नही सकती ओर ज्यादा याद नहीं रख सकती इसलिए इसने जंगली पक्षी बोले सै,यो सवारी के काम नहीं आ सकती,पण इसमें ताकत घणी होया करे, वाह भाई बढ़िया बात बताई इससे तो फौज मै तो बहोत काम लिया जा सकता है-कप्तान सिंग बोल्या, रामेषर बोल्या -फौज मै दिमाग वाला के काम, जिसने अपना दिमाग लगाया ओर वो ही मार खाया,ताऊ बोल्या-सुसरे! तन्ने म्हारे में दिमाग कम लगे सै, फौजियां के कोटे की तो दारू पीवे हमेशा ओर हमने ही कम दिमाग बतावे, हम तन्ने बावली बूच लगे सै, दे रे रमलू इसकी गुद्दी पे-सुसरा आया सै चल के लम्बरदारी करण. परमानद जी ने विषय बदला ताऊ - यो बता आज तो तेरा यार कप्तान सिंग भी आ रहया सै दोनों की फौज में कटे किस तरह थी, कप्तान सिंग बोल्या-मनफूल सिंग तो था सप्लाई में ओर मै था कैंटीन इंचार्ज खूब छ्न्या करती म्हारी,दारू तो कदे खतम ही नहीं होती थी, फेर ड्यूटी भी म्हारी हेडक्वाटर में ही थी कोई समस्या नहीं थी,समीर बोल्या-तो ताऊ उस टैम आपने तनखा कितनी मिल्या करती,ताऊ बोल्या-जब भरती होया था तो चालीस रूपये तनखा मिल्या करती २ रुपये अपणे बीडी-बाडी के खर्चे के राख के ३८ रुपये घर बापू धोरे भिजवा दिया करता, बनवारी सोच्या के ताऊ के चार पैग लग लिए इब रंग मै आ गया वो पाकिस्तान की लडाई वाली बात पूछ ही लूँ, उसने ताऊ ते पूछ्या -ताऊ वो पाकिस्तान वाली लडाई की के बात थी? इतने मै कप्तान सिंग बोल्या -अरे पाकिस्तान की लडाई की बात- मनफूल सिंग बडा बहादर माणस सै यो तो लाहोर से सुसरा पकिस्तानियाँ कि भैंस भी खोल ल्याया था, शिम्भू कूद के पडा -अच्छा यो बात सै-तो ताऊ तन्ने पाकिस्तान मैं भी भैंस ही पाई ओर कुछ नहीं मिल्या लाने के लिए,-ताऊ बोल्या -यो बात आज ख़तम करो युद्ध की बात किसी ओर दिन सुनाउंगा, आज माफ़ करो, ल्याओ रे भाई खाना,लगाओ जल्दी,समीर भाई नै भी भूख लग रही होगी, ओर तुमने चाहिए तो पूरा कैरेट पड्या सै ले लियो,पण कल काम के लायक रहियो....................नहीं तो 

आपका

रमलू लुहार 

"रूकावट के लिए खेद है"-फौजी ताऊ मनफूल सिंग

ताऊ टुब बेल पार्टी कि तेयारी में लग रहया सै, इधर इलेक्शन भी चल रहया सै, चारुं तरफ का काम बढ़ गया सै, आप सोच रहे होगे के  फौजी ताऊ मनफूल सिंग कहाँ गायब हो गया, भाई इलेकशण का काम सै. थोडा इंतजार करो,मन्ने यो कविताई लिखी सै आपके लिए,यो टीवी पे जिस तरियां दिखाया करते ना वो  ही सै,"रूकावट के लिए खेद है"। आपके समझ में आ जा तो बढ़िया बात सै, और ना आवे तो धैर्य ना खोके उत्साह बढ़ाना।आपने ताऊ की राम-राम,कविताई का आनंद लो ,
ताऊ बोल्या मै पूछूं था


बता तू अकल बड़ी के भैंस........................
मास्टर जी ने सवाल लगाया के बतावे सुरेश
भैंस  में तै  पाड़ी  घटाई,झोट्टा रह गया शेष
बता तू अकल बड़ी के भैंस..........................


जाडा   घणा   पड़े  था   भाई, खूब  लगाई रेस
पहले  तो  कम्बल  ओढ़या, उस पे डाला खेस
बता तू अकल बड़ी के भैंस..........................


राधे नै  कुत्ते के पिल्लै  पकड़े, उसके  मुंडे केश
बिना उस्तरे नाइ मुंड गया ताऊ पे चल्या केश
बता तू अकल बड़ी के भैंस............................


बिना  चक्के  की  गाड्डी चाली रेल उडी परदेश
गार्ड  बेचारा  खड़ा  रह  गया  देखे  बाट   नरेश
बता तू अकल बड़ी के भैंस............................


एक पेड़ पे चालीस चिडिया तभी घटना घटी विशेष
शिकारी  की  एक गोली चाली बच गई कितनी शेष
बता तू अकल बड़ी के भैंस.................................


आपका
रमलू लुहार

 

फ़ौजी ताऊ की फ़ौज