गुरुवार, 1 अक्तूबर 2009

हम मरे कोणी-म्हारे तो साल में ३६५ दिन सै-जो एक दिन श्राद्ध करोगे??? फौजी ताऊ मनफूल सिंग

ताऊ के इलेक्शन की तैयारी जोर शोर ते चल रही सै,उड़न तश्तरी ताऊ के चुनाव परचार में  आ रही सै, इस लिए सारे गाम के लोग आम सभा की तैयारी करण लग रहे सै,ताऊ ने सरपंच बुला नै बुला कै कह दिया सै के पुरे गाम में मुनादी करवा दियो के  कोई भी शख्स आजा रात का दूध नहीं जमावेगा,जिसके घर में जितना भी फालतू दूध होगा वो ग्राम पंचायत में आ के जमा करवा जाये,क्योंकि उड़न तश्तरी चुनाव प्रचार में आ रही सै,तो लोग भी घणे आवेंगे उनके लिए चाय पाणी कि बेवस्था करणी पड़ेगी,ओर जिसके भी घर में फालतू खाट ओर हुक्का सै वो भी चौपाल पे पहुंचा दे, यो मुनादी सारे गाम में बनवारी भी कर आया, उसके अभी रमलू की काल की दी हुयी बोतल का नशा नहीं उतरा सै,सारे काम हांजी-हाजी कह के बड़े मजे से कर रहया सै,रमलू उड़न तश्तरी के प्रोग्राम की परमिशन लेने मिनी सचिवालय गया हुआ सै, गाम के बीच में मंच बनाया गया सै सकुल के खेल के मैदान मै, मतबल मामला जोर ते ही चल रहया सै.इतनी देर में रामेषर आया ताऊ धोरे ओर बोल्या- ताऊ जल्दी चाल तेरा बुलावा हो रह्या सै,चौपाल में,के बात हो गई -ताऊ बोल्या,रामेषर बोल्या-ताऊ बात तो कोई बड़ी नहीं सै,आज बूढों का दिन सै, ताऊ बोल्या-अरे बावली बूच बूढों का दिन सदा ही रहवे सै, रात तो सारी खांसते निकल जा ओर दिन में कोई सोणे नहीं दे,यो के बला सै,रामेषर बोल्या-ताऊ दुनिया के सारे बूढों की पंचायत नै मिल कै फैसला करया सै के एक अक्तूबर नै हर साल बूढों को याद किया जायेगा,उनके बारे में सोच्या जायेगा,आज सरकार की तरफ ते यो दिन मनाया जा रहया सै,आप चालो, ताऊ चौपाल पे पहुचे तो गाम के सारे बूढों को इकट्ठा कर राख्या था, सरपंच ने ताऊ ते राम-राम करी ओर बोल्या - म्हारे गाम के बुजुर्ग लोगो इब म्हारे बीच में रिटायर फौजी ताऊ मनफूल सिंग जी आ चुके है,मन्ने जीतनी बात कहनी थी वो कह ली, इब ताऊ आपने वृद्ध दिवस के बारे में बतावेंगे, हम ताऊ का सुवागत करते है, ताऊ भी म्हारा घाट कोणी,उसने भी माइक संभाला ओर बोल्या-गाम के सारे बड़े बूढों ते मेरी राम-राम,भाईयों मै तो इलेक्शन की तैयारी में लाग रह्या थो के रामेषर बुला लाया के ताऊ आज बूढों का दिन आ रह्या सै, आपने सरपंच चौपाल पे बुला रह्या सै,मै भी सोच मै पड़ गया  के म्हारे हरियाणे दिन आणे का मतबल ऊपर जाने की बात होया करे मै भी सोचूं था के किस बूढे-बूढी का दिन आ गया. भाईयों एक बात मेरी समझ में नहीं आती के किस देश के बूढों नै यो दिन फैनल करया के आज बूढों का दिन मनाना है ओर इसकी जरुरत क्यों पड़ गई? म्हारे तो देश में राज ही बूढों का सै,जो भी फैसले ले सै,सारे बूढे ही मिल के ले सै, लग भग जितने भी परधान मंत्री हुए सारे ही बूढे थे ओर दूर मत जा यो म्हारे गाम का सरपंच सै बंशी यो नेहरु के ज़माने में भी सरपंच था ओर आज सरदार जी के ज़माने में भी सरपंच ही सै, इब बताओ इतने साल ते इसने सरपंची नहीं छोड़ी सै, यो ही मजे ले रहया सै बैरी ओर म्हारे गाम के जवान चाहते भी नहीं के बंशी नै छोड़ कोई दूसरा सरपंच बन जा,क्यूँ के यो सब का ख्याल रखे सै,म्हारे गाम के किसी बूढे नै कोई तकलीफ सै तो बताओ, के छोरा परेशान करे सै के बहु रोटी ना दे या ओर कोई समस्या? कोई नहीं बोल्या तो शिम्भू बोल्या-ताऊ हमने अपने छोरे-छोरियों को जलम ते ही यो बात सिखाई है के बडो बूढों की बात मानना उनकी हुकुम अदूली मत करना,म्हारे गाम ते ब्याह के भी कोई बेटी सासरे जा सै उसने भी बड़ी बूढी समझावे सै के बेटी बड़े बूढों का आदर करना कदे यो उलहना नहीं आणा चाहिए, म्हारे गाम तो कोई भी छोरा शहर में पढ़ने जावे सै,उसने कोई भी काम शहर का बता दो वो शाम नै करके लावे सै, म्हारे गाम में तो चले ही बूढों की सै ओर यो साल में एक दिन बूढों के नाम का नया रोला करया सै, यो बोल्लो के साल में ३६५ दिन बूढों की सेवा करो उसने याद रखो,भूलो मत, ताऊ बोल्या -भाई हमने तो कोई परेशानी कोणी,म्हारे इलेक्शन का भी इन जवानो ने संभाल रख्या है,ओर तो कहवे सै के ताऊ तू चिंता ना कर मौज कर हम सब कुछ संभाल लेंगे, तो भाइयों हम तो इब्बे जिन्दा सै मरे कोणी जो म्हारा साल में एक दिन श्राद्ध करोगे, म्हारे तो साल में ३६५ दिन सै,सारे गाम के छोरे दिन हो या रात ताऊ -ताऊ ही कहते रह सै,यो काम तो सै अंग्रेजन का जिसके बूढे जुवानी इसे करम करे सै के बुढापे में कोई उनने पूछता कोणी जब ही एक दिन यूँ बनाया सै के बेटे-बेटी साल में एक बार मिल जा आके, चालो भाई हो गयी बूढों की पंचायत,अपने अपने घर नै जाओ ओर बहुओं के हाथ ते गरम -गरम रोटी खाओ,अगर कोई शिकायत हो तो आके मन्ने कहो ओर ज्यादा बुढा दिन मनाना सै तो आके फेर शाम नै चौपाल पे मिलो,अपनी जुवान करण वाली दुवाई तैयार पावेगी,सब नै मेरी राम-राम कल बड़ी पंचायत मै आण की मत भूलियो.


आपका
रमलू लुहार


(फोटो गूगल से साभार)

4 टिप्‍पणियां:

अल्पना ने कहा…

ताऊ ने सही कहा,हमारे बुजुर्गो के पति सम्मान साल मे 365 दिन है ये एक दिन वाली बात तो विदेशियो की है,हमारे देश मे आज भी बडो की ही चलती है,ताऊ का गम्भीर बात को भी अपने लह्जे मे कहने का अन्दाज ही अलग है,

Udan Tashtari ने कहा…

सच्ची सच्ची बात. बहुत बेहतरीन कहा.

वैसे उड़न तश्तरी आवे तो दूध से क्या काम चलेगा..वो भी चुनाव के समय. जरा, महफिल हो तो चुनाव भी निकलेगा ताऊ. जाम शाम छलकवाओ , उसके बिना आजकल कैसा चुनाव. :)

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

समीर भाई जाम-शाम भी छ्लकेगे,अपणे फ़ौजी ताऊ का कैन्टिन का कोटा सै 8 बोतल रम ओर 4 बोतल व्हिस्की का,कैन्टीन का इन्चार्ज महेन्द्र गुज्जर अपने ताऊ का पुराना याडी सै आपने किसी चीज की कमी ना होणे दे,और रही दुध की बात वो तो आणे-जाणे वाले लोगो के लिये सै,अगर सब नै दारु बाँट दी तो पुरी सभा का सत्यानाश हो जा गा,

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

माफ़ करना समीर भाई आज 2 अक्टुबर सै-ड्राई डे,मै तो भुल ही गया था,ताऊ कानून के खिलाफ़ कोई काम नही करे, जब ही उसने दूध की कही सै,बहुत दुर की सोचे सै ताउ अपणा मै तो भुल ही गया था,आखिर फ़ौजी ताऊ और सिविलियन मे कोई तो फ़रक होगा,

 

फ़ौजी ताऊ की फ़ौज