शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2009

फोटू देख के फँसणा ना कोय-फौजी ताऊ मनफूल सिंग

बात यूँ हुई के म्हारे ताऊजी के छोरे का ब्याह था। तैयारी बड़ी जोर-शोर ते चल रही थी। एक दिन ताऊ मेरे धोरे आए ओर बोल्ले- एँ रे रमलू तन्ने बेरा कोणी के राधे का ब्याह आखा तीज का मांड राख्या सै। तूं अडे आडा पड्या सै। चाल मेरे साथ घोडी करण चालना सै। मन्ने मन ही मन में सोच्या वाह रे ताऊ मेरे ब्याह में तो झोट्टा (भैसा) तक ल्याण ने कोन्या था इब अपने पूत के ब्याह में घोडी ढूंढे सै । चालो ताऊ जी बोल के मै तयार होग्या। दोनु जणे मोटरसायकिल पै बैठ के शहर चाल पडे। मेरे धोरे बुलेट मोटरसायकल थी। उसमे थोडी खराबी आ रक्खी थी। चालते-चालते मोटर सायकल मिसफायर करया करती। मेरे मन में आज ताऊ की परेड कराण की मन में आयगी। मै ताऊ ते बोल्या - ताऊ इस मोटर सायकल में माडी सी खराबी आ री सै। या जब गर्म हो जा सै । तो इसके इंजन में बम सा पाटे सै, इसी बात होगी तो मै गाड़ी रोकूंगा ओर तू उतर के भाज लिए। ब्याह का टैम सै । किते चोट - फेट लाग गी तो लोग सोचेंगे , के ताऊ दारू पीके पड़ मरया मुफ्त में बदनामी होगी, ताऊ बोल्या- ठीक सै। थोडी देर बाद गाड्डी ने मिसफायर करया मन्ने झट ब्रेक लाया ओर गाड्डी पटक के भाज लिया, आगे -आगे मै, पीछे -पीछे धोती की लाँग पकडे-पकडे ताऊ। मै एक किलोमीटर भाज्या होऊंगा। ताऊ की हालत ख़राब, बोल्या- मन्ने बेरा होता तो बस ते ही आ जाता। माटी ख़राब तो नही होती। मै बोल्या- ताऊ इब न होवे, चाल बैठ ले । हम शहर पहुँच गे ।इब आगे की कहाणी सुण ल्यो। हम घोडी आले के पंहुचे , उसने क्या इक्यावंसो लूँगा ,ताऊ मोल-भावः करण लाग्या तो घोडी आला बोल्या देख ताऊ आखातीज का सावा सै। तेरी समझ में आवे तो दे बयाना घोडी टैम ते तेरे घर पहुँच जायेगी। तो ताऊ बोल्या पहले घोडी दिखा। तो घोडी आले ने बताया के घोडी तो ब्याह में जा रही सै। उसकी फोटो दिखा सकूँ सुं। घोडी वाले ने फोटो दिखाई घोडी धोले-चिट्टे (सफ़ेद) रंग की तगडी जानदार थी। ताऊ ने फोटू देख के बयाना दे दिया। हम घर आ गे।आखातीज का दिन भी आगया , निकासी की तयारी हो ली थी । बच्चे चिल्लाने लगे "घोडी आगी-घोडी आगी" मन्ने बाहर निकल के देख्या तो घोडी तो मेरा मटा खूब सजा कै लाया था। घोडी पै दूल्हा बैठ गया निकासी चालु हो गई। गाम का चक्कर काट लिया। जब दूल्हा घोडी ते उतरया तो कूद के घोडी पे एक छोरा चढ़ गया। चढ़ते ही उसे एड लगाईं, लगते ही घोडी बेहोस हो के पड़ गयी. घोडी वाले ने रोला मचाना (चिल्लाना) शुरू कर दिया- मेरी घोडी मार दई-मेरी घोडी मार दई, इतनी देर म्हारा सरपंच आया बोल्या के रोला मचा रख्या सै। घोडी वाले ने सारा किस्सा बताना,सरपंच ने घोडी के ऊपर का कपडे का श्रृंगार हटवाया और घोडी के कान में एक फूंक मारी घोडी उठ के खड़ी होगी, ताऊ भी खड़े होके देख रह्या था. उसने देख्या के घोडी के तो बाल भी उडोडे थे, घोडी तो एक दम बूढी थी. ताऊ का छोह (गुस्सा) सातवें आसमान पे था. उसने कहा- के साले ठगी करता है. जो घोडी तुने बताई थी ये वो नहीं है. घोडी वाला बोला" मन्ने घोडी ना दिखाई उसकी फोटू दिखाई थी. ताऊ बोले वो तो जवान ठाडी गोदी की फोटू थी और ये बूढी फूस पड़ी है. घोडी वाला बोला ताऊ मै झूठ नहीं बोलता घोडी वाही सै. पण थोडा सा फर्क यो सै के जो फोटू मन्ने दिखाई थी वो "इसकी जवानी की थी." ताऊ के साथ तो चाला हो गया.जवान की फोटू दिखा कै बूढी घोडी थमा दी. 

यो तो थी ताऊ के साथ धोखाधडी की बात,एक नया किस्सा सुण...................म्हारे सरपंच का छोरा फुलसिंग कॉलेज में पढ़े सै। होया नु के आज कल कम्पूटर पे इंटरनेट से दोस्ती-दोस्ती खेलने का काम चल रह्या सै। उसने उसमे भी भाग लिया.गांव का छोरा तो था ही.उसने ऑरकुट में अपनी पिछाण बनाई. जैसे ही ऑरकुट का पन्ना खुल्या उसने एक सोणी सी छोरी की फोटू दिखी. उसने उसके बारे में जानकारी लेने की कोशिश करी,लेकिन बात तो नु थी ना पहले दोस्त बनो फेर फोटू दिखेगी उसने दोस्ती का हाथ बढा दिया. उस छोरी ने दोस्ती कबूल कर ली. जब छोरे ने उसकी फोटू का अलबम खोल्या तो उसमे उसके बेटे के ब्याह की और उसके पोते के कुआ पूजन की फोटू थी. बेचारा फुलसिंग "फूल" बन गया. तो इस तरह के धोखे देने वाले तो पग-पग पे मिले हैं. लुहार ने इसका तोड़ यो पाया के भाई सौदा अपनी आँख के सामने देख के करो नहीं फेर थारी भी निकासी रूंग (बाल) उडी घोडी पे ही निकलेगी.

सबने लुहार की राम-राम,मेरी सलाह अच्छी लागी हो तो भाई एकाध कार्ड इंटरनेट पे लिख दियो।इससे मुझे पता चल जायेगा के भाइयों का प्यार म्हारी खातिर भी सै.





आपका



रमलू लुहार 

(फोटो गूगल से साभार)

गुरुवार, 29 अक्तूबर 2009

टिप्पणियाँ मोडरेशन से प्रकाशन के बाद कहाँ गायब हो जाती हैं-कोई तो बताये

एक प्रश्न मेंरे दिमाग में कई दिन से घूम रहा है कि मोडरेशन से प्रकाशित करने के बाद टिप्पणियाँ ब्लॉग पर दिखती नहीं हैं, कहीं इस रास्ते में  ही बीच में गायब हो जाती है, मै इससे अचम्भित हूँ, कई बार ऐसा हो चूका है. लेकिन मुझे इस समस्या का समाधान नहीं मिला, अभी "शिल्पकार के मुख से " ब्लॉग पर समीर भाई ने मेरी गजल प्रकाशित होते ही पहली टिप्पणी की थी मैंने उसे प्रकाशित किया और वह ब्लॉग पर नहीं दिख रही है, बीच में ही कहीं "उड़ने वाली स्याही" की तरह गायब हो गई, दूसरी टिप्पणी  अभी गिरिजेश राव  जी की आई वो प्रकाशित हो गयी है. पहले भी ऐसा कई बार हो चूका है.उस समय तो मैंने ध्यान नही दिया, आज मुझे ये गंभीर बीमारी लगी. इस लिए आप लोगों से पूछने के लिए एक पोस्ट लिखने के लिए मजबूर होना पड़ा है, कृपया किसी को मालूम हो तो मुझ जिज्ञासु की जिज्ञासा शांत करने की कृपा करे.

गुरुवार, 22 अक्तूबर 2009

मैंने तो हार के भी बहुत कुछ पाया सै- फौजी ताऊ मनफूल सिंग का कहणा

आज ताऊ की किस्मत का फैसला होणे वाला सै. आज ताऊ के वोटों की गिनती होगी. तडके ते ही ताऊ, रमलू, बनवारी, रामेषर, शिम्भू. भोला, चन्दरु, कमली, राधे, चुन्नू, चौधरी, सारे मतगणना स्थल पै पहुँच गए. भाई जब इतनी मेहनत करी सै इलेक्शन में तो वोट गिणन जाणा ही पड़ेगा. सारे अपने "जुगाड़" पे बैठ के चल पड़े.
ताऊ-"के होगा रमलू?"
रमलू-"ठीक ही होगा ताऊ. आपां इलेक्शन जितांगे"
"यार मन्ने तो कुछ गड़-बड लागे सै"
"क्यूँ"
"वो मनी राम सै ना! सुसरे ने घणे ही रुपये बांटे सै."
"कोई बात ना ताऊ. जो होगा देख्या जायेगा" शिम्भू  बोल्या
वोटां की गिनती चालू होयगी. ताऊ तो सारे राउंड मै मनी राम ते पीछे चल रह्या सै. आखरी राउंड में ताऊ मनी राम से ८३४५ वोटों से हार गया.
ताऊ बोल्या"चालो भाई लोगो-घर चालो"
"यो किस तरह हो गया ताऊ हमने तो समझ में ही नहीं आया"शिम्भू 
"होना के था इब चौपाल में ही चल के बात करेंगे" ताऊ बोल्या
सारे चौपाल में पहुचे, देख्या तो पूरा गांव इक्कट्ठा हो रह्या था. सबके मुह उतरे हुए थे. जैसे कोई घणा बड़ा शोक का काम हो गया. ताऊ नै सबसे पहले उनसे कहा कि" भाईयों! आप इस तरह किस चीज का शोक मना रहे हो? अरे भाई!दो लडेंगे तो एक ही जीतेगा. दोनों नहीं जीतते. और मेरे धोरे तो कुछ था ही नहीं खोने के लिए. मैंने तो हार के भी बहुत कुछ पाया सै. वो दुनिया की सबसे कीमती  चीज सै "आपका प्यार". आपने मन्ने जीताने में कोई कसर नहीं छोड़ी. मनी राम नै मुझे हराने में कोई कसर नहीं छोड़ी वो जीत गया. भाई उसने तो एक रात मैं ही तख्ता पलट दिया, इतने नोट बांटे के सारे गांव नोटों से भर दिये. और पैसा भी ऐसी चीज है बड़ों बड़ों का इमाण ख़राब कर दे सै. इसमें किसी की को गलती नहीं सै. मैं पैसे से कमजोर था. मेरे धोरे तो सिर्फ लोगों का प्यार था देने के लिए. फेर मैं ठहरा फौजी, सारी चीजें और विरोधियों के ओछे हथकंडे मैं समझ नहीं पाया. क्यूँ की!हमने तो छल करना सिख्या ही नही. जब तक हमारे देश में इलेक्शन मे रुपयों से वोट ख़रीदे जायेंगे तब तक हमारे जैसे लोग हारते ही रहेंगे. इब इस देश पे राज पैसे वाले  ही कर सकते हैं. सारे ही करोड़ पति-अरब पति खड़े थे. सिर्फ मैं ही ऐसा था जिसके पास पैसे नहीं थे. वो तो आप लोगों का साहस और हिम्मत थी के मैं इलेक्सन लड़ गया. कुल मिला के मेरी जीत चोरी हो गई, मनी राम नै मेरी जीत चुरा ली. कोई बात नहीं, इब आगे और इलेक्शन आवेगा. और लड़ लेंगे. इब यो तो पता चल गया कुण से वोट बीकन वाले सै, भाई हमारी लोकप्रियता में तो कोई कमी नहीं थी, बस वोट ही नहीं पड़े.
"ताऊ एक बात बताऊँ- " मधु लिमये गोवा मुक्ति आन्दोंलन में गोवा की जेल में बंद थे. उनको जब जेल से छोड्या गया तो गोवा ते बम्बई तक सड़क के दोनों तरफ लगभग २० लाख लोगों ने उनका सुवागत किया था, जब मुंबई से इलेक्शन लड्या तो ८०० वोट मिले थे. वो भी बहुत परसिद्ध आदमी थे पर उनकी प्रसिद्धि वोट में नहीं बदल सकी. यो तो मजबूत लीडर के होता ही है." रमलू बोल्या.
ताऊ बोल्या-" भाइयों इस चुनाव में जिसने भी मुझे वोट दिये ,मेरी सहायता करी, उन सबका मै धन्यवाद करू सूं, इब आराम करण दयो, बाकी बात बाद में करेंगे. आप सबने मेरी राम-राम,



आपका 
रमलू लुहार


 

बुधवार, 21 अक्तूबर 2009

महर्षि चरक एवं चरक संहिता-१३,दूध के प्रकार एवं उसके गुण

रमलू बोल्या- ताऊ एक बात बताऊँ 
ताऊ - बता रमलू
"वो ललित वाणी पे चरक संहिता का प्रवचन चाल रह्या सै, एक दिन अपनी चौपाल पे भी करवा दे, क्यूँ की हरियाणे में दूध,दही, घी का ही तो मामला सै"
"हाँ  यो तो घणी सुथरी बात कही, चाल बुला पंडत जी, ओर करा दे."
"तो आज शाम की चौपाल में पक्की -दूध पे प्रवचन होगा"
तो भाई लोगो सुण ल्यो आज ताऊ कि विशेष मांग पे चरक संहिता का एक प्रवचन चौपाल पे सै, लाभ उठाओ"

गतांक से आगे...................
अत: क्षिराणी वक्ष्यन्ते कर्म चैवां गुणाश्च ये
अविक्षीरमजाक्षीरं गोक्षीरम माहिषम च यत.(११५)
दूधों के गुण - अब दूधों का वर्णन किया जायेगा.उनके कार्य उपयोग एवं गुण कहे जायेंगे.
दूध के प्रकार
  • भेड़ का दूध
  • बकरी का दूध
  • गौ का दूध
  • भैंस का दूध
  • ऊंटनी का दूध
  • हस्तिनी का दूध
  • घोडी का दूध
  • मानवी (नारी) का दूध
दूध के सामान्य गुण - दूध प्राय: मधुर, स्निग्ध(चिकना), शीत, स्तन्य(स्तनों में दूध बढ़ाने वाला), प्रीमण तृप्त करने वाला, वृहण (मांस बढ़ाने वाला) वृष्य (वीर्य वर्धक रति शक्ति बढ़ाने वाला) मेध्य, मेधा बुद्धिवर्धक, बलवर्धक, मनश्कर(मन को प्रशन्न करने वाला) जीवन शक्ति वर्धक, थकावट दूर करने वाला, रक्त पित्त का नाश करता है.विहत (चोट घाव) और चोट के कारण टूटी हड्डी को भी जोड़ने वाला है. सब प्राणियों के धातु के अनूकूल पड़ता है.दोषों को शांत करता है, मलों का शोधन करता है. प्यास को बुझाता है. मन्दाग्नि को तीव्र करता है. दुर्बलता एवं घाव लगने पर श्रेष्ठ है. पांडू रोग अम्ल पित्त शोष (सूखा), गुल्म( पेट आदि में गांठ बढ़ जाना) तथा उदर रोग, अतिसार(पतले दस्त आना), ज्वर, दाह, सोजन, इनमे दूध को ही पथ्य कहा गया है.
योनी के दोष, वीर्य के दोष, मूत्र के रोग. प्रदर के रोग, मल की गांठें (सुदे) पड़ जाने पर, वात एवं पित्त रोगियों को दूध पथ्य है. नस्य (नाक से लेने), लेप करने, स्नान करने, वमन, और आस्थापन(निरुह वस्ति लेने), विरेचन और स्नेहन लेने आदि प्राय: सब कार्यों में दूध का उपयोग किया जाता है. इनके पान करने के गुण विस्तार में आगे कहेंगे. प्राय: सभी दूध मधुर हैं. ऊंटनी का दूध कुछ नमकीन होता है, बकरी का दूध कसैला होता है, ऊंट का दूध कुछ रूखा और गरम होता है.मनस्कर अर्थात प्रभाव में ओज बढ़ाने से  मन का सामर्थ्य बढ़ जाता है. रक्त पित्त में बकरी के दूध को पॉँच गुना पानी में देने का विधान है.

भाइयों थमने यो किसा लाग्या प्रवचन,बतईयों

आपने रमलू लुहार की राम-राम 

शनिवार, 17 अक्तूबर 2009

फौजी ताऊ मनफूल सिंग की टैंकर भर -भर के दीवाली की बधाई!!!!




इलेक्शन का काम ख़तम होया, घणी मारा मारी थी. इब दीवाली आगी,
ताऊ बोल्या-"रमलू इलेक्शन का काम तो ख़तम हो गया.सबने मतदाता नै धन्यवाद भी देणा सै. एक काम कर कार्ड छपवा दे दीवाली के"
रमलू- "किस तरह के कार्ड छपवाने सै ताऊ जी"
ताऊ-"यार घणे दिन हो गए इलेक्शन में चक्कर काटते.कोई बढ़िया सी फिल्म की हिरोइन का फोटू लगा के दीवाली की बधाई का सन्देश लिखवा दे, तो मजा आ जावेगा." न्यू कर "वो कैटरिना कैफ की फोटू छपवा दे"
रमलू - "ताऊ आपका कहणा तो ठीक सै पण सल्लू भाई नाराज हो जागा"
ताऊ-"तो एक काम कर बेबो का फोटू लगा दे.उसते भी काम चल जागा"
रमलू- "ताऊ क्यूँ पंगे लेन लग रहया सै सूबे-सूबे"
ताऊ- "यो के बात हो गई पंगे लेन की"
 रमलू-"यो अपना पटौदी आला नवाब सै ना, उसकी छोरे की बहु बनन वाली सै सारा मामला फिट सै, वो आपका मुलाकाती नाराज हो जागा ओर आपकी दोस्ती भी खतरे में पड़ जागी"
ताऊ-"तो भाई मीना कुमारी की ही लगा दे अपणे ज़माने की किलकी पाड़ हिरोइन सै"
रमलू-"ताऊ इनती पुरानी हिरोइन की फोटू लगावेगा तो आज कल के छोरे नाराज हो जावेंगे"
ताऊ-"यार तुने बड़ा चक्कर में डाल दिया, तो फेर के करया जाये"
रमलू-"एक काम करें सै, मै अपणे आप ही कोई अच्छी सी हिरोइन देख के कार्ड में लगवा दूंगा, जो एक दम फ्रेश होगी."
ताऊ-"ओर कार्ड के साथ मै कुछ गिफ्ट भी देणा पड़ेगा ना,उसके लिए के लेना सै'
रमलू-"ताऊ एक बात सूझी मन्ने, वो अपना दारू कम्पनी वाला सै ना मालिया, उसने दीवाली पे सबने एक-एक दारू की बोतल बांटी सै. आप उसते कम थोडी हो आप भी बाँट दो"
ताऊ-"हाँ यार यो काम सही बताया, जा मेरा कैंटीन का कार्ड लेजा और यो ही लिया, आपण भी राजी और पब्लिक भी राजी"
रमलू-"यो काम ठीक करया ताऊ-सारे गाम के छोरे खुश हो जंगे."
ताऊ-"जा फेर यो काम जल्दी करके आ, दीवाली का टैम हो रहया सै."
ईब रमलू किसा कार्ड छपा के लाया वो आपके सामने सै .


आप सब नै फौजी ताऊ मनफूल सिंग की दीवाली की टैंकर भर -भर के बधाई, आप भी आओ म्हारे गाम की चौपाल पे जिन्दगी के मजे यहीं मिलेंगे. एक बार फेर दीवाली की बधाई.

आपका 
रमलू लुहार



सोमवार, 5 अक्तूबर 2009

फौजी ताऊ के"लालटेन लाइट"डिनर में उड़न तश्तरी

आज ताऊ नै टुब वेळ पे उड़न तश्तरी की आण की ख़ुशी में पार्ट्री रखी सै, टुब वेळ पे पार्टी रखने कारण यो सै के एक तो गाम ते दूर सै, ओर कोई सा बुढा टल्ली भी होयगा तो भी कोई समस्या कोणी भले ही खेतों में रात भर भाषण दिए जावे, इलेक्शन का टैम से कोई नै मना भी नहीं कर सकते,रमलू कैंटीन ते ताऊ का महीने का कोटा लेने गया सै, रात का ८ बजे का टैम सै पार्टी का ताऊ के चमचे तेयारी करण लग रहे सै. रसोइए का काम बनवारी नै संभाल रख्या सै, पत्थरों का चूल्हा बना के हांडी चढा रक्खी सै,उसमे तरी बना रहया सै ओर मुर्ग मुस्सलम  की डिश तेयार हो रही सै,ताऊ ने अपणे खास फौजी दोस्त कप्तान सिंग जाट नै भी बुला रख्या सै, ठीक ८ बजे उड़न तश्तरी की सवारी लेके ताऊ पहुच गया, टेबल तो थी कोणी "ऊंट का गाडा" के चारों तरफ कुर्सी लगा रखी थी उसके उपर दरी बिछा के बढ़िया सुन्दर गुलदस्ता लगा के बीच में लालटेन रखी थी मतबल ताऊ के गाम का "लालटेन डिनर" था, इतनी देर में रमलू भी आयटम लेके आ गया उसने पूछा बनवारी ते -क्यूँ सामान तेयार सै सब, बनवारी बोल्यो- के बताऊँ यार रमलू थोडा लेट सै, वो सुसरी मुर्गी खुल गयी तो भाज गई थी रामेषर दुबारा लेके आया सै बस १५ मिनट मै सब तेयार सै, तू चिंता ना कर जब तक पनीर लेजा मैंने बढ़िया बना दिए अपणा कार्यक्रम चालू करो, रमलू आयटम लेके डिनर टेबल पे पहुँच गया, देखते हैं के अपणे परमानद जी पहुच गे अपनी सेना लेके,उतरते बोले फौजी चिंता मत कर मै सामान साथ लाया सूं किसी छोरे नै भेज के गाड़ी में से उतरवाले,भाई आज तो सारी मण्डली ही बैठ गई पहला दौर चालू हुआ उड़न तस्तरी के नाम ते,बातचित चल रही थी, बीच मै शिम्भू बोल्या-ताऊ सुणया सै बिदेश मै आज कल एक सपेशल सवारी चल रही सै, जिसमे ना तेल लगता,ना उसका इंजन आवाज करे,ना उसने घोडे-गधे जैसे खिलाने की जरूरत, वो तो दाना ही चुगे सै,दो पैर की सै,और आदमी उस पे चढ़ के बाजार जा के सारे काम करके आ सके सै, मन्ने तो म्हारे गाम का वो नौबत सै ना वो कह था, फेर मै सोचु था कोई बिदेश ते आवे गा उस ते पूछूँगा, इब समीर भाई आ रहे सें तो सोच्या पूछ ही लूँ हो सके सै एकाध ऐसी सवारी इनने भी ले रखी हो, ताऊ बोल्या-हाँ भाई समीर बता के यो बात सच्ची सै, समीर बोले -हाँ ताऊ यो बात सच्ची सै के इस तरह का एक प्राणी तो हो सै पर उसका सवारी में काम लेते मन्ने देख्या नहीं, रमलू बोल्या-कोण का जानवर हो सै, समीर बोल्ले-उसने ताऊ "ईमू" कह सै यो आस्ट्रेलियन चिडिया सै, ओर दो पैर की हो सै दाना चुगे सै चले भी घणी सै ओर ६ से७ फुट तक की ऊँची हो सै पण इसका दिमाग छोटा हो सै,सिर्फ डेढ़ इंच का इसलिए यो जयादा सोच नही सकती ओर ज्यादा याद नहीं रख सकती इसलिए इसने जंगली पक्षी बोले सै,यो सवारी के काम नहीं आ सकती,पण इसमें ताकत घणी होया करे, वाह भाई बढ़िया बात बताई इससे तो फौज मै तो बहोत काम लिया जा सकता है-कप्तान सिंग बोल्या, रामेषर बोल्या -फौज मै दिमाग वाला के काम, जिसने अपना दिमाग लगाया ओर वो ही मार खाया,ताऊ बोल्या-सुसरे! तन्ने म्हारे में दिमाग कम लगे सै, फौजियां के कोटे की तो दारू पीवे हमेशा ओर हमने ही कम दिमाग बतावे, हम तन्ने बावली बूच लगे सै, दे रे रमलू इसकी गुद्दी पे-सुसरा आया सै चल के लम्बरदारी करण. परमानद जी ने विषय बदला ताऊ - यो बता आज तो तेरा यार कप्तान सिंग भी आ रहया सै दोनों की फौज में कटे किस तरह थी, कप्तान सिंग बोल्या-मनफूल सिंग तो था सप्लाई में ओर मै था कैंटीन इंचार्ज खूब छ्न्या करती म्हारी,दारू तो कदे खतम ही नहीं होती थी, फेर ड्यूटी भी म्हारी हेडक्वाटर में ही थी कोई समस्या नहीं थी,समीर बोल्या-तो ताऊ उस टैम आपने तनखा कितनी मिल्या करती,ताऊ बोल्या-जब भरती होया था तो चालीस रूपये तनखा मिल्या करती २ रुपये अपणे बीडी-बाडी के खर्चे के राख के ३८ रुपये घर बापू धोरे भिजवा दिया करता, बनवारी सोच्या के ताऊ के चार पैग लग लिए इब रंग मै आ गया वो पाकिस्तान की लडाई वाली बात पूछ ही लूँ, उसने ताऊ ते पूछ्या -ताऊ वो पाकिस्तान वाली लडाई की के बात थी? इतने मै कप्तान सिंग बोल्या -अरे पाकिस्तान की लडाई की बात- मनफूल सिंग बडा बहादर माणस सै यो तो लाहोर से सुसरा पकिस्तानियाँ कि भैंस भी खोल ल्याया था, शिम्भू कूद के पडा -अच्छा यो बात सै-तो ताऊ तन्ने पाकिस्तान मैं भी भैंस ही पाई ओर कुछ नहीं मिल्या लाने के लिए,-ताऊ बोल्या -यो बात आज ख़तम करो युद्ध की बात किसी ओर दिन सुनाउंगा, आज माफ़ करो, ल्याओ रे भाई खाना,लगाओ जल्दी,समीर भाई नै भी भूख लग रही होगी, ओर तुमने चाहिए तो पूरा कैरेट पड्या सै ले लियो,पण कल काम के लायक रहियो....................नहीं तो 

आपका

रमलू लुहार 

"रूकावट के लिए खेद है"-फौजी ताऊ मनफूल सिंग

ताऊ टुब बेल पार्टी कि तेयारी में लग रहया सै, इधर इलेक्शन भी चल रहया सै, चारुं तरफ का काम बढ़ गया सै, आप सोच रहे होगे के  फौजी ताऊ मनफूल सिंग कहाँ गायब हो गया, भाई इलेकशण का काम सै. थोडा इंतजार करो,मन्ने यो कविताई लिखी सै आपके लिए,यो टीवी पे जिस तरियां दिखाया करते ना वो  ही सै,"रूकावट के लिए खेद है"। आपके समझ में आ जा तो बढ़िया बात सै, और ना आवे तो धैर्य ना खोके उत्साह बढ़ाना।आपने ताऊ की राम-राम,कविताई का आनंद लो ,
ताऊ बोल्या मै पूछूं था


बता तू अकल बड़ी के भैंस........................
मास्टर जी ने सवाल लगाया के बतावे सुरेश
भैंस  में तै  पाड़ी  घटाई,झोट्टा रह गया शेष
बता तू अकल बड़ी के भैंस..........................


जाडा   घणा   पड़े  था   भाई, खूब  लगाई रेस
पहले  तो  कम्बल  ओढ़या, उस पे डाला खेस
बता तू अकल बड़ी के भैंस..........................


राधे नै  कुत्ते के पिल्लै  पकड़े, उसके  मुंडे केश
बिना उस्तरे नाइ मुंड गया ताऊ पे चल्या केश
बता तू अकल बड़ी के भैंस............................


बिना  चक्के  की  गाड्डी चाली रेल उडी परदेश
गार्ड  बेचारा  खड़ा  रह  गया  देखे  बाट   नरेश
बता तू अकल बड़ी के भैंस............................


एक पेड़ पे चालीस चिडिया तभी घटना घटी विशेष
शिकारी  की  एक गोली चाली बच गई कितनी शेष
बता तू अकल बड़ी के भैंस.................................


आपका
रमलू लुहार

शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2009

लुटेरों के चंगुल में मत फंस जाणा ओर अपने ताऊ को ही वोट देना-उड़न तश्तरी -फौजी ताऊ की सभा में

खुशखबरी-खुशखबरी-बनवारी मंच ते माइक में बोलणे लग रह्या सै-जो उड़न तश्तरी आज म्हारे बीच में आण वाली सै वो गुडगाँव इंटर नेशनल हवाई अड्डे तक पहुच गई सै, तम शांति ते बैठो, आज अपने समीर लाल जी की आम सभा सै, गाँधी जी ओर लाल बहादुर शास्त्री दोनों का जनम दिन सै बहोत ही सुथरा दिन सै,गाँधी जी देश को आजाद कराया अंग्रेजों को भगाया ओर शास्त्री जी नै पाकिस्तान का बैंड बजाया,दोनों महापुरुषों का हम आदर करे सै-बनवारी का भाषण चाल रहया सै,मै आपने जरा पब्लिक के तरफ ले चलूँ, पब्लिक एक दम खचा-खच भारी सै ,सकुल के मैदान में चारों तरफ लाइट ही लाइट जग मग करण लग रही सै,ताऊ के छोरों नै भी जोरदार इंतजाम कर दिया,इब तो ओर कोई नहीं कह सके के म्हारे गाम के छोरे नालायक सै, सारे कार्यकर्ता बिल्ला लगाये पब्लिक नै सँभालने लग रहे सै,ताऊ नै पूरी छोले -चाय-पकोडे की स्टाल सकुल कने मंदर आले पीपल के नीचे लगवा दी,पाणी के टैंकर खड़े कर दिए और पब्लिक चाय नसते का मजा ले रही सै, गांव की बूढी लुगाइयां अपने पीढे घर से ला के सजा के बैठी सै, संतरा ताई नै बोल्ली-ऍ जी यो उड़न तश्तरी किसी हो सै,ताई बोल्ली-ये बीरा मन्ने के पता ये छोरे कह रहे थे भोत बड़ी हो सै ओर नु घुमती आवे सै, पहले आसमान मै गोल-गोल चक्कर कटेगी फेर सकुल के मैदान  मै उतरेगी, चन्द्कोर बोल्ली-ताई कदे वो तो नहीं सै जो कई साल पहले उतरया था,के बोल्ले थे "सकाईलेब", ना-ना वो कोणी, तन्ने ताऊ इतना बावला लगे सै?वो तो सारे काम सोच समझ के करे सै,यो के हुयी कदे दो चार घूंट लगा ले आखर फौजी जो सै, यो चर्चा ओरतों के बीच में चल रही सै, सब अपने -अपने तरीके सै उड़न तश्तरी के बारे में अंदाजा लगा रहे सै, के कैसी होगी,?इधर ताऊ,रमलू,परमानद जी ओर भी घणे सारे लोग हवाई अड्डे पहुचगे उड़न तस्तरी का सवागत करण खातिर,हवाई अड्डे पर समीर लाल जी पहुचे तो सबने उनका स्वागत किया,ताऊ नै भी अपना आशीर्वाद दिया ओर बोल्या-भाई तुने तो बहुत बढ़िया काम कर दिया जो आ गया,सारे हवाई अड्डे से गाम में सभा स्थल पे पहुचे बनवारी का भाषण चालू  ही था, सबने समीर लाल उर्फ़ उड़न तश्तरी का सुवागत किया, रमलू मंच का संचालन करने लगा-भाइयों ओर बहनों मेरे बुजुर्गों बाहर गाम ते आये हुए साथियों इब म्हारे बीच कनाडा से भाई समीर लाल जी आ चुके सै, लोग इनने ही उड़न तश्तरी के नाम ते जाने सै,इब मै आप लोगो का टैम ख़राब ना करके सीधा माइक समीर लाल जी ने  सौंपता हूँ, फार्मेलिटी में ज्यादा टैम ख़राब होता है, आप इनने ही सुनो, यो बोल  के रमलू नै माइक समीर लाल के हाथ  में सौंप दिया,
समीर लाल नै बोलना चालू करया- मेरे भाईयों ओर बहनों ताऊ-ताई,रमलू, परमानन्द जी ओर गाम के लोगो मै भी आपके बीच का ही छोरा सूं ,देश ते बाहर काम करण चला गया ओर उत ही बस गया,मै तो आप लोगो ते मिलने के लिए आया सूं, ताऊ का इलेक्शन तो एक बहाना सै,ताऊ जी इलेक्शन में खडे हुए बड़ी अच्छी बात है,आज देश नै ऐसा नेता चाहिए जो सच्चा हो इमानदार हो गरीब आदमी की मज़बूरी ओर उसकी भूख नै समझ सके,जो कारीगर की दुःख तकलीफ नै समझ सके, आज म्हारे देश के दो महापुरुषों का जनम दिन है,एक तो बापू,दूसरा शास्त्री जी,दोनों ही ईमानदारी ओर देश भक्ति की एक बहुत बडी मिशाल थे,दोनों ने ही अपना जीवन सादगी के साथ बिताया,गाँधी जी नै तो भारतवासियों का दर्द ओर गरीबी को महसूस करने के लिए लंगोटी ही पहननी चालू कर दी थी, ओर वे कहते थे की भारत की आत्मा तो गावं में ही बसती है,गावं का विकास होगा तो सारे देश का विकास हो जायेगा, ओर कैसे होगा ये बात उन्होंने गोली लगने के एक दिन पहले ही लिख दी थी,आज म्हारे देश में अमीर ओर गरीब की खाई बढती जा रही सै,अमीर ओर अमीर होता जा रह्या सै, गरीब ओर गरीब होता जा रह्या सै,मरण तो म्हारे जैसे लोगों का ही हो रह्या सै,आज भी देश में कई करोड़ ऐसे सै जिनने खाने को दाना नही मिल पाता, देश नै आजाद हुए ६३ साल हो चुके पण ये नेता अपना ही घर भरने में लग रहे सै,गरीब की तो कोई चिंता ही नही सै,सरकार में इसे -इसे मंत्री सै जो एक दिन रहने के लिए एक लाख रुपया खर्च कर रहे सै ओर यहाँ गरीब की झोपडी में दिया जलाने के लीये भी तेल कोणी,बड़े शरम की बात सै, जो हवाई जहाज में जाये सै वो भी इनने भेड़ बकरी ही दिखे सै,म्हारे जैसे सड़क पे चलने वाले तो इनने दीखते ही कोणी होंगे,ओर ये म्हारे देश के कर्णधार सै,यो देश नै किसा चलावेंगे? आज जरुरत सै देश ने गाँधी जी जैसी सोच के आदमी की आज जरुरत सै देश ने लाल बहादुर शास्त्री जैसी सोच के आदमी की,जो गरीबों का दुःख दर्द समझ सके,भाईयों मै कोई नेता तो नही सूं पण जो मेरे मन में आया आपने कह दिया,अपने रिटायर हवालदार फौजी ताऊ मनफूल सिंग जी सच्चे-इमानदार ओर मेहनतकश मनमौजी किसम के आदमी सै,इनने मेरे ते ज्यादा तो आप ही जानते हो, मै तो इतनी कहने आया हूँ इनको कप प्लेट छाप पे बटन दबा के जिताओ, ये आपको खूब सेवा करेंगे,सेवा करना तो इनका पेशा ही सै पहले तो फौज में देश की सेवा करी फेर रिटायर होके गावं की सेवा कर रहे सै,इब आप जीता दोगे तो पुरे हलके की सेवा करेंगे,मेरी तो आपसे यो ही विनती सै, बड़े बड़े पैसे वाले लोग ताऊ के सामने खड़े सै वो आपने बहकाने की कोशिश करेंगे वोट खरीदने की कोशिश करेंगे पण आप लोग इन लोकतंत्र के लुटेरों के चंगुल में मत फंस जाणा ओर अपने ताऊ को ही वोट देना,आप सब नै धन्यवाद जो आपने इतना प्यार ओर आशीर्वाद मुझे दिया,मै आपका आभारी सूं फेर मिलेंगे, एक बर ताऊ नै जिताओ,आप सबने मेरी राम-राम.
(कल ताऊ नै उड़न तश्तरी के सुवागत मै अपने टुबबेल पे एक पार्टी रखी सै,उसका आँखों देखा हाल आपको कल सुनावेंगे,सबको राम-राम)

गुरुवार, 1 अक्तूबर 2009

हम मरे कोणी-म्हारे तो साल में ३६५ दिन सै-जो एक दिन श्राद्ध करोगे??? फौजी ताऊ मनफूल सिंग

ताऊ के इलेक्शन की तैयारी जोर शोर ते चल रही सै,उड़न तश्तरी ताऊ के चुनाव परचार में  आ रही सै, इस लिए सारे गाम के लोग आम सभा की तैयारी करण लग रहे सै,ताऊ ने सरपंच बुला नै बुला कै कह दिया सै के पुरे गाम में मुनादी करवा दियो के  कोई भी शख्स आजा रात का दूध नहीं जमावेगा,जिसके घर में जितना भी फालतू दूध होगा वो ग्राम पंचायत में आ के जमा करवा जाये,क्योंकि उड़न तश्तरी चुनाव प्रचार में आ रही सै,तो लोग भी घणे आवेंगे उनके लिए चाय पाणी कि बेवस्था करणी पड़ेगी,ओर जिसके भी घर में फालतू खाट ओर हुक्का सै वो भी चौपाल पे पहुंचा दे, यो मुनादी सारे गाम में बनवारी भी कर आया, उसके अभी रमलू की काल की दी हुयी बोतल का नशा नहीं उतरा सै,सारे काम हांजी-हाजी कह के बड़े मजे से कर रहया सै,रमलू उड़न तश्तरी के प्रोग्राम की परमिशन लेने मिनी सचिवालय गया हुआ सै, गाम के बीच में मंच बनाया गया सै सकुल के खेल के मैदान मै, मतबल मामला जोर ते ही चल रहया सै.इतनी देर में रामेषर आया ताऊ धोरे ओर बोल्या- ताऊ जल्दी चाल तेरा बुलावा हो रह्या सै,चौपाल में,के बात हो गई -ताऊ बोल्या,रामेषर बोल्या-ताऊ बात तो कोई बड़ी नहीं सै,आज बूढों का दिन सै, ताऊ बोल्या-अरे बावली बूच बूढों का दिन सदा ही रहवे सै, रात तो सारी खांसते निकल जा ओर दिन में कोई सोणे नहीं दे,यो के बला सै,रामेषर बोल्या-ताऊ दुनिया के सारे बूढों की पंचायत नै मिल कै फैसला करया सै के एक अक्तूबर नै हर साल बूढों को याद किया जायेगा,उनके बारे में सोच्या जायेगा,आज सरकार की तरफ ते यो दिन मनाया जा रहया सै,आप चालो, ताऊ चौपाल पे पहुचे तो गाम के सारे बूढों को इकट्ठा कर राख्या था, सरपंच ने ताऊ ते राम-राम करी ओर बोल्या - म्हारे गाम के बुजुर्ग लोगो इब म्हारे बीच में रिटायर फौजी ताऊ मनफूल सिंग जी आ चुके है,मन्ने जीतनी बात कहनी थी वो कह ली, इब ताऊ आपने वृद्ध दिवस के बारे में बतावेंगे, हम ताऊ का सुवागत करते है, ताऊ भी म्हारा घाट कोणी,उसने भी माइक संभाला ओर बोल्या-गाम के सारे बड़े बूढों ते मेरी राम-राम,भाईयों मै तो इलेक्शन की तैयारी में लाग रह्या थो के रामेषर बुला लाया के ताऊ आज बूढों का दिन आ रह्या सै, आपने सरपंच चौपाल पे बुला रह्या सै,मै भी सोच मै पड़ गया  के म्हारे हरियाणे दिन आणे का मतबल ऊपर जाने की बात होया करे मै भी सोचूं था के किस बूढे-बूढी का दिन आ गया. भाईयों एक बात मेरी समझ में नहीं आती के किस देश के बूढों नै यो दिन फैनल करया के आज बूढों का दिन मनाना है ओर इसकी जरुरत क्यों पड़ गई? म्हारे तो देश में राज ही बूढों का सै,जो भी फैसले ले सै,सारे बूढे ही मिल के ले सै, लग भग जितने भी परधान मंत्री हुए सारे ही बूढे थे ओर दूर मत जा यो म्हारे गाम का सरपंच सै बंशी यो नेहरु के ज़माने में भी सरपंच था ओर आज सरदार जी के ज़माने में भी सरपंच ही सै, इब बताओ इतने साल ते इसने सरपंची नहीं छोड़ी सै, यो ही मजे ले रहया सै बैरी ओर म्हारे गाम के जवान चाहते भी नहीं के बंशी नै छोड़ कोई दूसरा सरपंच बन जा,क्यूँ के यो सब का ख्याल रखे सै,म्हारे गाम के किसी बूढे नै कोई तकलीफ सै तो बताओ, के छोरा परेशान करे सै के बहु रोटी ना दे या ओर कोई समस्या? कोई नहीं बोल्या तो शिम्भू बोल्या-ताऊ हमने अपने छोरे-छोरियों को जलम ते ही यो बात सिखाई है के बडो बूढों की बात मानना उनकी हुकुम अदूली मत करना,म्हारे गाम ते ब्याह के भी कोई बेटी सासरे जा सै उसने भी बड़ी बूढी समझावे सै के बेटी बड़े बूढों का आदर करना कदे यो उलहना नहीं आणा चाहिए, म्हारे गाम तो कोई भी छोरा शहर में पढ़ने जावे सै,उसने कोई भी काम शहर का बता दो वो शाम नै करके लावे सै, म्हारे गाम में तो चले ही बूढों की सै ओर यो साल में एक दिन बूढों के नाम का नया रोला करया सै, यो बोल्लो के साल में ३६५ दिन बूढों की सेवा करो उसने याद रखो,भूलो मत, ताऊ बोल्या -भाई हमने तो कोई परेशानी कोणी,म्हारे इलेक्शन का भी इन जवानो ने संभाल रख्या है,ओर तो कहवे सै के ताऊ तू चिंता ना कर मौज कर हम सब कुछ संभाल लेंगे, तो भाइयों हम तो इब्बे जिन्दा सै मरे कोणी जो म्हारा साल में एक दिन श्राद्ध करोगे, म्हारे तो साल में ३६५ दिन सै,सारे गाम के छोरे दिन हो या रात ताऊ -ताऊ ही कहते रह सै,यो काम तो सै अंग्रेजन का जिसके बूढे जुवानी इसे करम करे सै के बुढापे में कोई उनने पूछता कोणी जब ही एक दिन यूँ बनाया सै के बेटे-बेटी साल में एक बार मिल जा आके, चालो भाई हो गयी बूढों की पंचायत,अपने अपने घर नै जाओ ओर बहुओं के हाथ ते गरम -गरम रोटी खाओ,अगर कोई शिकायत हो तो आके मन्ने कहो ओर ज्यादा बुढा दिन मनाना सै तो आके फेर शाम नै चौपाल पे मिलो,अपनी जुवान करण वाली दुवाई तैयार पावेगी,सब नै मेरी राम-राम कल बड़ी पंचायत मै आण की मत भूलियो.


आपका
रमलू लुहार


(फोटो गूगल से साभार)

 

फ़ौजी ताऊ की फ़ौज