
यो तो थी ताऊ के साथ धोखाधडी की बात,एक नया किस्सा सुण...................म्हारे सरपंच का छोरा फुलसिंग कॉलेज में पढ़े सै। होया नु के आज कल कम्पूटर पे इंटरनेट से दोस्ती-दोस्ती खेलने का काम चल रह्या सै। उसने उसमे भी भाग लिया.गांव का छोरा तो था ही.उसने ऑरकुट में अपनी पिछाण बनाई. जैसे ही ऑरकुट का पन्ना खुल्या उसने एक सोणी सी छोरी की फोटू दिखी. उसने उसके बारे में जानकारी लेने की कोशिश करी,लेकिन बात तो नु थी ना पहले दोस्त बनो फेर फोटू दिखेगी उसने दोस्ती का हाथ बढा दिया. उस छोरी ने दोस्ती कबूल कर ली. जब छोरे ने उसकी फोटू का अलबम खोल्या तो उसमे उसके बेटे के ब्याह की और उसके पोते के कुआ पूजन की फोटू थी. बेचारा फुलसिंग "फूल" बन गया. तो इस तरह के धोखे देने वाले तो पग-पग पे मिले हैं. लुहार ने इसका तोड़ यो पाया के भाई सौदा अपनी आँख के सामने देख के करो नहीं फेर थारी भी निकासी रूंग (बाल) उडी घोडी पे ही निकलेगी.
सबने लुहार की राम-राम,मेरी सलाह अच्छी लागी हो तो भाई एकाध कार्ड इंटरनेट पे लिख दियो।इससे मुझे पता चल जायेगा के भाइयों का प्यार म्हारी खातिर भी सै.
आपका
रमलू लुहार
(फोटो गूगल से साभार)