गुरुवार, 29 अक्तूबर 2009

टिप्पणियाँ मोडरेशन से प्रकाशन के बाद कहाँ गायब हो जाती हैं-कोई तो बताये

एक प्रश्न मेंरे दिमाग में कई दिन से घूम रहा है कि मोडरेशन से प्रकाशित करने के बाद टिप्पणियाँ ब्लॉग पर दिखती नहीं हैं, कहीं इस रास्ते में  ही बीच में गायब हो जाती है, मै इससे अचम्भित हूँ, कई बार ऐसा हो चूका है. लेकिन मुझे इस समस्या का समाधान नहीं मिला, अभी "शिल्पकार के मुख से " ब्लॉग पर समीर भाई ने मेरी गजल प्रकाशित होते ही पहली टिप्पणी की थी मैंने उसे प्रकाशित किया और वह ब्लॉग पर नहीं दिख रही है, बीच में ही कहीं "उड़ने वाली स्याही" की तरह गायब हो गई, दूसरी टिप्पणी  अभी गिरिजेश राव  जी की आई वो प्रकाशित हो गयी है. पहले भी ऐसा कई बार हो चूका है.उस समय तो मैंने ध्यान नही दिया, आज मुझे ये गंभीर बीमारी लगी. इस लिए आप लोगों से पूछने के लिए एक पोस्ट लिखने के लिए मजबूर होना पड़ा है, कृपया किसी को मालूम हो तो मुझ जिज्ञासु की जिज्ञासा शांत करने की कृपा करे.

6 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

reject publish and moderate mae sae publish kaa option chunae
blogspot mae moderate nahin hotee haen

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

शर्मा जी, मोडरेशन लगाते क्यों हो ? मेरा तो यह मानना है कि एक तो हम लोग किसी के भी प्रति ऐसा कुछ व्यक्तिगत आक्षेप नहीं लगाते, और फिर भी यदि कोई पागल या मूर्ख गलत टिपण्णी कर भी देता है तो आप उसे बाद में डिलीट कर सकते है ! होता क्या है कि अगर किसे ने बड़े चाव से आपके ब्लॉग पर टिपण्णी दी मगर पता चलता है कि ब्लॉग धारक की अनुमति के बाद ही टिपण्णी दिखेगी तो आगली बार टिपण्णी करता का रुझान कम हो जाता है !

एक बात और, कुछ लोगो की साईट पर हम लोग चाह कर भी टिपण्णी नहीं कर पाते जैसे उद्दहरण के लिए दर्पण साह दर्पण जी का ब्लॉग, लाख कोशिश करो लेकिन ब्लॉग ठीक से खुलता ही नहीं कारण ब्लॉग पर अत्यधिक भार जैसे विज्ञापन, फोटो इत्यादि अतः उन लोगो से भी यही अनुरोध रहेगा कि वे अपने ब्लॉग को लोगो की पहुँच के लिए सुगम बनाए !

Khushdeep Sehgal ने कहा…

ललित भाई,

हवन टोटका करा लीजिए...लगता है किसी सुंदर सी चुड़ैल की
नज़र है आपके ब्लॉग पर...और आपको परेशान कर रही है...लेकिन उसे पता नहीं ललित भाई का गुस्सा जाग गया तो
चुड़ैल का नरक में रहना भी मुश्किल हो जाएगा...

जय हिंद...

Unknown ने कहा…

ललित जी,

अपने ब्लोग के सेटिंग्स में टिप्पणियाँ को क्लिक करके देखें कि पहले ही आप्शन में "दिखाएँ" में चेक लगा हुआ है या "छुपाएँ" में। लगता है कि भूलवश "छिपाएँ" में चेक लगा होगा। आपका मेल पता मुझे नहीं मालूम है कुछ कठिनाई हो तो आप मुझे gkawadhiya@gmail.com पते पर मेल कर सकते हैं।

संगीता पुरी ने कहा…

मेरे साथ तो ऐसा कभी नहीं हुआ .. आपने गल्‍ती से प्रकाशित के बाद जो अस्‍वीकृत का बटन है .. उसे क्लिक कर दिया होगा .. ये गल्‍ती मेरे साथ भी एकाध बार हो गयी है .. अब आप मेल में मिले उनकी टिप्‍पणी को कापी करके उडनतश्‍तरी की ओर से खुद प्रकाशित कर दें .. ताकि समीर जी के टिप्‍पणी को भी दूसरे पाठक पढ सकें !!

Smart Indian ने कहा…

हमारी टिप्पणी कहाँ है भाई?

 

फ़ौजी ताऊ की फ़ौज