बुधवार, 9 सितंबर 2009

ठेके पे बैठ के देशी की बोतल

ताऊ के सारे भतीजे - भतीजियों, बेटे-बेटियों,पोते-पोतियों,पड़पोते -पड्पोतियों,गली -मोहल्ले के बच्चों की माँ और उनके बापुओं ने मेरी राम-राम.कहन- सुनन -देखन वालन ने भी मेरी राम-राम।
यो राम-राम भी बड़ी जरुरी चीज से , बिना राम-राम के कुछ कोणी। अगर हम राम के युग में पैदा होते तो राम-राम करनी ही थी ,अगर राम कलजुग में पैदा होते तो उन्हें भी राम करनी थी.आप सोचते होगे के चिट्टी की शुरुआत में मन्ने सरे गाम ते राम-राम क्यूँ करी,? इसका जवाब यो से के ४ दिन होगे जितनी भी पोस्ट लिखी वो बिना राम-राम करे ही लिख दी, पण जब पोस्ट करण की बारी आई तो कदे बिजली चली गई कदे कम्पूटर खड़ा हो गया कदे इंटरनेट जवाब दे गया, मेरा मतबल यो से के उपद्रव चालू ,में सोचु था ये किसकी नजर लग गी मेरे ब्लॉग पे। इतने उपद्रव तो लंका की लडाई में राम ने न झेले होंगे,और इन उपद्रवी राक्शाशों की काट तो राम के ही पास सै,चलो आज की बात राम ते ही चालु करो, ठोकर खाने के बड़ ही बुधी आती है हमारे बुजुर्ग कह गए है। बुजुर्गों की बात तुलसी दास जी मानी थी तो उपद्रव से बच गे । उन्होंने "राम चरित मानस के शुरू में ही लिख दिया था।
बंदौ प्रथम मही सुर चरना , मोहजनित संशय सब हरना
कितना समझदारी काम था , भाइयों इस लिए आज से मन्ने भी यो परमपरा कायम रखने की सोच लई ,सारे गाम ते राम-राम करना इसलिए जरुरी सै के "गाम में ही राम बसता है। गाम की बंदगी हो गई ,तो राम की बंदगी भी होय गयी , अब लगे सै के मेरे ब्लॉग में भी उपद्रव होना बंद हो जा गा, नही तो फेर सवा रुपया का परसाद बाबा बजरंगबली का बोलना ही पड़ेगा, फेर इ न उताँ ने वो ही संभालेगा।
ताऊ की बात बताऊँ आज वो सबेरे ते ही ठेके पे बैठ के देशी की बोतल लगाने लग रह्या सै, ताई "मनभरी" हाथ में लाठी लेके उसने ढूंढ़ रही सै। ताऊ पेंशन लेने गया था और आके ठेके पे मौज करने लग गया, ताऊ "मनफूल"और ताई "मनभरी " का ड्रामा आगले दिन के मोड़ लेगा ........?
ताऊ की कहानी अगली बार,

आपका
रमलू लुहार

7 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

ताऊ की कहानी का इन्तजार रहेगा..राम राम!!

Br.Lalit Sharma ने कहा…

thamne bhi ramlu ki ram-ram

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर ने कहा…

yo to ghano hee sutharo hai. narayan narayan

हेमन्त कुमार ने कहा…

बेहतर ।अगली पोस्ट क इन्तजार ।

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत ही सुंदर, भावपूर्ण और प्यारी रचना लिखा है आपने!ahut Barhia...aapka swagat hai...


http://sanjaybhaskar.blogspot.com

Creative Manch ने कहा…

कहानी का इन्तजार रहेगा

राम राम !!!



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Unknown ने कहा…

gaon ke chattisgariha sabse badhiya

tor rachna abbad bhais

auu badhiya likhbe

mor badhie

 

फ़ौजी ताऊ की फ़ौज