ताऊ के सारे भतीजे - भतीजियों, बेटे-बेटियों,पोते-पोतियों,पड़पोते -पड्पोतियों,गली -मोहल्ले के बच्चों की माँ और उनके बापुओं ने मेरी राम-राम.कहन- सुनन -देखन वालन ने भी मेरी राम-राम।
यो राम-राम भी बड़ी जरुरी चीज से , बिना राम-राम के कुछ कोणी। अगर हम राम के युग में पैदा होते तो राम-राम करनी ही थी ,अगर राम कलजुग में पैदा होते तो उन्हें भी राम करनी थी.आप सोचते होगे के चिट्टी की शुरुआत में मन्ने सरे गाम ते राम-राम क्यूँ करी,? इसका जवाब यो से के ४ दिन होगे जितनी भी पोस्ट लिखी वो बिना राम-राम करे ही लिख दी, पण जब पोस्ट करण की बारी आई तो कदे बिजली चली गई कदे कम्पूटर खड़ा हो गया कदे इंटरनेट जवाब दे गया, मेरा मतबल यो से के उपद्रव चालू ,में सोचु था ये किसकी नजर लग गी मेरे ब्लॉग पे। इतने उपद्रव तो लंका की लडाई में राम ने न झेले होंगे,और इन उपद्रवी राक्शाशों की काट तो राम के ही पास सै,चलो आज की बात राम ते ही चालु करो, ठोकर खाने के बड़ ही बुधी आती है हमारे बुजुर्ग कह गए है। बुजुर्गों की बात तुलसी दास जी मानी थी तो उपद्रव से बच गे । उन्होंने "राम चरित मानस के शुरू में ही लिख दिया था।
बंदौ प्रथम मही सुर चरना , मोहजनित संशय सब हरना
कितना समझदारी काम था , भाइयों इस लिए आज से मन्ने भी यो परमपरा कायम रखने की सोच लई ,सारे गाम ते राम-राम करना इसलिए जरुरी सै के "गाम में ही राम बसता है। गाम की बंदगी हो गई ,तो राम की बंदगी भी होय गयी , अब लगे सै के मेरे ब्लॉग में भी उपद्रव होना बंद हो जा गा, नही तो फेर सवा रुपया का परसाद बाबा बजरंगबली का बोलना ही पड़ेगा, फेर इ न उताँ ने वो ही संभालेगा।
ताऊ की बात बताऊँ आज वो सबेरे ते ही ठेके पे बैठ के देशी की बोतल लगाने लग रह्या सै, ताई "मनभरी" हाथ में लाठी लेके उसने ढूंढ़ रही सै। ताऊ पेंशन लेने गया था और आके ठेके पे मौज करने लग गया, ताऊ "मनफूल"और ताई "मनभरी " का ड्रामा आगले दिन के मोड़ लेगा ........?
ताऊ की कहानी अगली बार,
आपका
रमलू लुहार
7 टिप्पणियां:
ताऊ की कहानी का इन्तजार रहेगा..राम राम!!
thamne bhi ramlu ki ram-ram
yo to ghano hee sutharo hai. narayan narayan
बेहतर ।अगली पोस्ट क इन्तजार ।
बहुत ही सुंदर, भावपूर्ण और प्यारी रचना लिखा है आपने!ahut Barhia...aapka swagat hai...
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
कहानी का इन्तजार रहेगा
राम राम !!!
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gaon ke chattisgariha sabse badhiya
tor rachna abbad bhais
auu badhiya likhbe
mor badhie
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