ताऊ जी राम- राम ,
या कविताई थारी नजर करूं सुं। बालक का ध्यान रखियो.
जय बोलो ठाणेदार की।
निसदिन जो करे प्रतिज्ञा, मानव के कल्याण की,
आज सुना रहा हूँ मै गाथा,धरती के बलवान की,
जय बोलो ठाणेदार की,
सर पर मुकुट सोहे है उसके, कटी शास्त्र भी धरता है,
हस्त दंडिका लेकर चलता ,तब अम्बर भी हिलता है,
है मजाल कोई आए सामने, जय बोलो ठाणेदार की,
एक सो इक्यावन से अभिमंत्रित,अमोघ अस्त्र तेरा है,
चोर,उचक्के,ठगी, जगियों का,थाना ही अन्तिम बसेरा है,
बिना लड़े ही चित्त कर देता, जय बोलो ऐसे प्रहार की,
जय बोलो ठाणेदार की,
तेरा अभय paate ही ,निर्बल भी निर्भय हो जाता है,
करे वंदना सभी उसी की, जो तेरा आशीष पता है।
गुननिधि, बल विशारद , जय बोलो महा उदार की,
जय बोलो ठाणेदार की।
जिस पर तेरी किरपा होती, वो बंधन मुक्त हो जाता है,
वह प्राणी मृत्युलोक मै भी, स्वर्ग लोक का सुख पता है,
कृपा पात्र को धन्य करता, जय बोलो बड़े सरकार की ।
जय बोलो ठाणेदार की,
जन-मन-गन निसदिन ,तुझको ही ध्याता है,
कोटि तीर्थ सम फल पके, भवसागर तर जाता है।
दुष्ट भंजक विधि के रक्षक ,जय बोलो करुनागार ,
जय बोलो ठाणेदार की, जय बोलो ठाणेदार की,
आपका
रमलू,
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